Pseudobulbar Affect Symptoms: कहते हैं कि, हंसना या खुश रहना सेहत के लिए फायदे का सौदा है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्टों ने इसे थेरेपी का नाम दिया है. लेकिन, क्या आप यकीन कर पाओगे, अगर आपसे कहें कि बेवजह हंसना भी एक बीमारी है. जी हां, बेवजह हंसी निकलना एक गंभीर बीमारी है. क्योंकि, ये हंसी तभी तक ही ठीक है जब तक इसपर आपका कंट्रोल है. अनकंट्रोल होने की स्थिति में ये आपके लिए घातक हो सकती है. इस बीमारी को स्युडोबुलबार इफेक्ट या लाफिंग सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. बाहुबली की फेमस एक्ट्रेस अनुष्का शेट्टी भी इस गंभीर बीमारी की शिकार हो चुकी हैं. अब सवाल है कि आखिर क्या है बेवजह हंसने की बीमारी? किस कंडीशन में हो सकती है यह बीमारी? क्या हैं हंसने की बीमारी के लक्षण और बचाव? आइए जानते हैं इस बारे में-
लाफिंग सिंड्रोम क्यों होती है?
मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, लाफिंग सिंड्रोम या स्युडोबुलबार इफेक्ट नामक बीमारी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के कारण पैदा होती है. वैसे इस बीमारी की कोई स्पष्ट दवा तो नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी दवाएं जरूर हैं जिनसे कंट्रोल किया जा सकता है.
स्युडोबुलबार इफेक्ट क्या है?
स्युडोबुलबार इफेक्ट से पीड़ित होने पर दिमाग पर कंट्रोल खत्म हो जाता है. ऐसे लोग काफी देर तक हंस और रो सकते हैं. यह बीमारी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस का नतीजा है. जोकि, न्यूरोलॉजिकल कंडीशन से गुजर रहे बच्चों और व्यस्कों में देखी जाती है.
लाफिंग सिंड्रोम के लक्षण
वेबवह अचानक हंसना या रोना, देर-देर तक हंसी न रुकना, क्रोध या हताशा का अनुभव होने जैसे स्युडोबुलबार इफेक्ट के मुख्य लक्षण हैं. कई न्यूरोलॉजिकल डिजीज जैसे मोटर न्यूरॉन डिजीज , मल्टीपल स्केलेरोसिस, ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन टयूमर जैसी न्यूरोलॉलिकज डिसीज इस बीमारी का कारण बन सकती हैं.
स्यूडोबुलबार का इलाज
स्यूडोबुलबार इफेक्ट यानी लाफिंग सिंड्रोम का कोई स्पष्ट इलाज नहीं है. लेकिन दवाओं के जरिए इसे मैनेज जरूर किया जा सकता है. हालांकि, कई ऐसे मामलों में एंटीडिप्रेसेंट देने की जरूरत भी पड़ जाती है. ध्यान रहे कि कोई भी दवा डॉक्टर से पूछे बिना सेवन न करें. क्योंकि, लंबे समय तक इन दवाओं को लेने से साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं.
डॉक्टर से कब मिलें?
अगर आपको लगता है कि आप पीबीए के शिकार हो चुके हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें. अगर डॉक्टर कहता है कि आपको न्यूरोलॉजिकल समस्या है, इसके बाद इलाज संबंधित डॉक्टर से उपचार कराएं