एम्स की स्टडी में बड़ा खुलासा, मोटे लोगों को फैटी लिवर का ज्यादा खतरा, आदत में तुरंत करें बदलाव

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AIIMS Research on Fatty Liver: देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्था अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने अपने अध्ययन में पाया है जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है, उनमें नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का खत…और पढ़ें

एम्स की स्टडी में बड़ा खुलासा, मोटे लोगों को फैटी लिवर का ज्यादा खतराएम्स के डॉक्टर.
देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान एम्स ने मोटापे से जुड़ी फैटी लीवर बीमारी में बड़ा खुलासा किया है. अपने अध्ययन में एम्स ने पाया है कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का हाई रिस्क ज्यादा वजन वाले लोगों को ज्यादा है. इसके साथ ही जिसकी इम्यूनिटी कमजोरी होती है और जिसके शरीर में इंफ्लामेशन ज्यादा होता है, उन्हें भी फैटी लिवर डिजीज का खतरा ज्यादा होता है. यह सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसमें इम्यून सिस्टम और इंफ्लामेशन यानी सूजन का नया लिंक जुड़ा है. एम्स के डॉक्टरों ने इस नई रिसर्च में पता लगाया है कि मोटापे से जुड़ी नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) में इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी और शरीर में सूजन बीमारी खतरनाक स्तर तक ले जा सकती है.यह स्टडी ब्रिटिश जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है.

मोटे लोगों में अच्छे प्रोटीन का अभाव
रिपोर्ट के मुताबिक 2021 से 2024 के बीच हुई इस स्टडी में 250 मरीजों को शामिल किया गया जिनमें मोटापे वाले और बिना मोटापे वाले दोनों तरह के मरीज थे.रिसर्च में अलग-अलग ग्रुप बनाए गए -एक में सिर्फ डायबिटीज के मरीज, दूसरे में डायबिटीज के साथ मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले मरीज और तीसरे में NAFLD वाले मरीज थे जिनमें मोटे और गैर-मोटे दोनों मरीज शामिल थे. रिसर्च में देखा गया कि मोटापे वाले मरीजों में PK-1 नाम का गुड प्रोटीन काफी कम मिला जबकि PK-2 और FABP-5 जैसे खराब प्रोटीन ज्यादा पाए गए. PK-1 इम्यून सिस्टम को मजबूत रखता है जबकि PK-2 की ज्यादा मात्रा सूजन और रोग की प्रगति को बढ़ाती है. मोटापे वाले मरीजों में टी-रेगुलेटरी सेल्स भी काफी कम पाई गईं जो शरीर में सूजन को रोकने और इम्यून सिस्टम को संतुलित रखने में मदद करती हैं.

लिवर डिजीज से कैंसर तक का खतरा
अध्ययन के मुताबिक IL-10 जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी फैक्टर्स और कुछ इम्यून सेल्स के बीच मजबूत पॉज़िटिव लिंक मिला. टीम की अगुवाई करने वाले एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. श्याम प्रकाश कहते हैं कि मोटापा और इम्यून सिस्टम का असंतुलन NAFLD को आगे चलकर NASH (Non-Alcoholic Steatohepatitis) और फिर लिवर सिरोसिस या लीवर कैंसर में बदल सकता है. यह स्थिति भयावह होने वाली है. ऐसे में विश्व स्तर पर अनुमान है कि आने वाले समय में 8-9% मरीजों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.

कैसे बचें लिवर की बीमारी से
स्टडी करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि लिवर की बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए सबसे पहले अनहेल्दी खान-पान पर लगाम लगाना होगा. इसके लिए पिज्जा,बर्गर, फ्राइड फूड, मीठे पेय को छोड़ दें और रोजना एक्सरसाइज करें. एक्सरसाइज न करना भी बहुत बड़ी वजह है. एम्स के 11 डॉक्टरों की टीम की अगुवाई करने वाले एडिशनल प्रोफेसर डॉ श्याम प्रकाश ने बताया कि इस रिसर्च से NAFLD के लिए नए टारगेटेड इलाज और लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन प्लान बनाने में मदद मिल सकती है, जो लीवर कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

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एम्स की स्टडी में बड़ा खुलासा, मोटे लोगों को फैटी लिवर का ज्यादा खतरा

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