मसूड़ों से खून, बदबू और सूजन? बघेलखंड में तेजी से फैल रहा ये खामोश दांतों की बीमारी, जानें एक्सपर्ट की राय

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Teeth Care Tips: रीवा, सतना और आसपास के क्षेत्रों में पायरिया एक आम dental समस्या बन गई है. ग्रामीणों की दांतों की गलत सफाई आदतें जैसे दातून, इस बीमारी को बढ़ा रही हैं.

हाइलाइट्स

  • इलाज केवल डेंटल क्लीनिंग और अल्ट्रा सोनिक स्केलिंग से
  • मसूड़ों से खून, बदबू और सूजन इसके लक्षण
  • घरेलू उपाय शुरुआती राहत दे सकते
सतना. चेहरे की असली चमक मुस्कान से होती है और मुस्कान की जान होते हैं हमारे दांत. मगर बघेलखंड छेत्र में दांतों की पायरिया नामक गंभीर बीमारी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है दांतों की सही से सफाई नहीं होना, इसके अलावा अब भी कई ग्रामीण इलाकों में ब्रश की जगह दातून का इस्तेमाल करना.

दातून से नहीं हो रही है पूरी सफाई, ग्रामीण इलाकों में ज्यादा असर
रीवा, सतना, मैहर और आस पास के क्षेत्रों में पायरिया अब सबसे कॉमन दांतों की बीमारी बन गई है. लोकल 18 से खास बातचीत में संजय गांधी हॉस्पिटल रीवा में पदस्थ जूनियर डॉक्टर ज्योति अवधिया ने बताया कि पायरिया का मुख्य कारण है दांतों की नियमित और सही तरीके से सफाई न करना. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज भी दातून का इस्तेमाल करते हैं जिससे दांत पूरी तरह साफ नहीं होते और उनमें गंदगी की परत जमती जाती है. इसी परत को कैल्कुलस कहते हैं जो समय के साथ पायरिया में बदल जाता है.

सिर्फ टूथपेस्ट से नहीं मिलेगा इलाज, ज़रूरत है डेंटल क्लीनिंग की
डॉ. अवधिया बताती हैं कि अगर किसी को पायरिया हो चुका है तो चाहे वो कितनी भी बार ब्रश करे या कोई भी टूथपेस्ट या केमिकल लगा ले ये बीमारी सिर्फ साफ-सफाई से नहीं जाएगी. इसका इलाज केवल डेंटल क्लीनिंग खासकर अल्ट्रा सोनिक स्केलर से सफाई के ज़रिये संभव है. सफाई के बाद भी मरीज को हाइजीन का पूरा ध्यान रखना पड़ेगा जैसे हर सुबह-शाम ब्रश करना, दांतों के अंदरूनी हिस्सों तक अच्छी तरह सफाई करना जरूरी होता है.

घरेलू उपाय भी ला सकते हैं राहत, हल्दी-नमक से करें गरारे
पायरिया से जुड़ी शुरुआती समस्याओं जैसे मसूड़ों से खून आना, सूजन या बदबू जैसी स्थिति में कुछ देसी नुस्खे भी कारगर साबित हो सकते हैं. एक्सपर्ट के अनुसार एक गिलास गुनगुने पानी में एक चुटकी हल्दी और नमक डालकर गरारा करने से मसूड़ों की सूजन में आराम मिलता है और खून आना कम होता है. हालांकि ये उपाय बीमारी को रोक नहीं सकते लेकिन शुरुआती लक्षणों में कुछ राहत जरूर दे सकते हैं.

छुपे रहते हैं लक्षण, 6 महीने से 1 साल में दिखते हैं असर
सबसे खतरनाक बात यह है कि पायरिया के लक्षण जल्दी समझ मे नहीं आते. अक्सर लोग इसे मामूली बदबू या मसूड़ों की कमजोरी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन यह बीमारी धीरे-धीरे दांतों की जड़ों तक पहुंच जाती है. पायरिया समझ में आने में 6 महीने से लेकर एक साल तक लग सकता है और तब तक स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है.

जनजागरूकता ज़रूरी, नियमित ब्रश ही सबसे कारगर बचाव
इससे बचने का सबसे आसान तरीका है दिन में दो बार सही तरीके से ब्रश करना और समय-समय पर डेंटल चेकअप कराना. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि दातून से कहीं ज्यादा असरदार तरीका आधुनिक ब्रश और सही टूथपेस्ट है. स्वास्थ्य की यह छोटी सी आदत लंबे समय तक आपके चमक भरी मुस्कान को बनाए रख सकती है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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मसूड़ों से खून, बदबू और सूजन? तेजी से फैल रहा ये खामोश दांतों की बीमारी

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