कश्मीर-नैनीताल नहीं! देखना चाहते हैं स्वर्ग! तो मानसून में जरूर पहुंचे इस जगह

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Kaimur Hlls: बिहार के रोहतास में मानसून के मौसम में कैमूर पहाड़ियों, धुआं-कुंड के झरनों, हरी-भरी घाटियों, उतरते बादलों और खेतों की हरियाली का नजारा मानो धरती पर स्वर्ग रच देता है. गांवों की गलियों से लेकर बाजारों तक, बारिश के बाद की खुशबू और चमक हर किसी को मोह लेती है.

बिहार के रोहतास कैमूर पहाड़ियों की गोद में स्थित धुआं-कुंड मानसून में मानो स्वर्ग का टुकड़ा लगता है. यहां पहाड़ी से गिरता पानी चट्टानों पर टकराकर बारीक बूंदों में बदल जाता है, जो हवा में तैरकर धुंध का रूप ले लेती है. चारों ओर की हरियाली और ठंडी हवा यहां आने वालों को घंटों ठहरने पर मजबूर कर देती है.

पहाड़ों पर फैली हरियाली, जो मानसून में और गहरी हो जाती है।

रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी रेंज मानसून में हरे रंग की चादर ओढ़ लेते हैं. घाटियां और ढलानें मखमली हरियाली से ढक जाती हैं, मानों किसी कलाकार ने नए सिरे से इन्हें सजाया हो. यहां का ताजा और ठंडा मौसम बरसाती दिनों में खास आकर्षण बन जाता है.

पानी से लबालब धान की क्यारियाँ और चमकती मिट्टी।

रोहतास के गांवों में मानसून का मतलब है खेतों में नई जान. धान की रोपाई के दौरान मिट्टी की सोंधी खुशबू और पानी में झलकते बादल किसानों के लिए जैसे त्योहार का माहौल बना देते हैं.

घाटियों में नीचे-नीचे उतरते बादल, जो पूरे परिदृश्य को ढक लेते हैं।

रोहतास के पहाड़ी इलाकों में मानसून के दौरान बादल इतनी नीचाई तक उतर आते हैं कि लगता है जैसे आप उन्हें हाथ से छू सकते हैं. सुबह-सुबह फैला कोहरा वादियों को रहस्यमयी और रोमांचक बना देता है.

मिट्टी की खुशबू और गलियों में बहते बरसाती पानी की धारा।

रोहतास के छोटे-छोटे गांवों में मानसून का रंग अलग ही होता है. गलियों में बहते साफ पानी, बच्चों की बारिश में किलकारियां और मिट्टी की भीनी खुशबू हर किसी के दिल को छू लेती है.

रोहतास के जंगल और बाग-बगीचें

रोहतास के जंगलों और बाग-बगीचों में बारिश के बाद जब सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो पत्तियों पर जमी बूंदें मोतियों की तरह चमक उठती हैं. ये नजारा मानसून में कैमरे में कैद करने लायक होता है.

बारिश से भरे छोटे-छोटे ताल, जिनमें आसमान का प्रतिबिंब।

रोहतास जिले के खेतों और नीची जमीनों में मानसून के दौरान पानी भरकर छोटे-छोटे ताल बन जाते हैं. इनमें आसमान और बादलों का प्रतिबिंब इतना साफ दिखता है कि लगता है जैसे पानी में एक अलग दुनिया बसी हो.

बरसात में धुंध की चादर ओढ़े, हरियाली से घिरा शेरगढ़ किला मानो बादलों में तैरता हो।

रोहतास जिले के ऊंचे पहाड़ की सबसे ऊपर बसी यह ऐतिहासिक धरोहर शेरगढ़ किला चारों तरफ घने जंगल और प्राकृतिक हरियाली से घिरा हुआ है. यहां तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई पार करनी पड़ती है, लेकिन बरसात के मौसम में इसका नजारा अद्भुत हो जाता है- धुंध, बादल और टपकते झरने इसे किसी स्वप्नलोक जैसा बना देते हैं.

मानसून में कैमूर पहाड़ी यूं लगती है मानो बादल ज़मीन पर उतर आए हों।

बरसात के मौसम में कैमूर पहाड़ी का नजारा किसी चित्रकला जैसा लगता है. चारों तरफ से बादलों से घिरी यह पहाड़ी, घने जंगलों और हरियाली की चादर में लिपटी रहती है. यह स्थान बिहार के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है. इसकी जिला मुख्यालय सासाराम है, जो राजधानी पटना से लगभग 140 किलोमीटर दूर है. पटना से रोहतास आने के लिए सड़क मार्ग से राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2) और फिर राष्ट्रीय राजमार्ग-30 (NH-30) का उपयोग किया जा सकता है. सड़क से लगभग 3-4 घंटे का सफर होता है. इसके अलावा, पटना से सासाराम तक रेल मार्ग भी है, जो एक आसान विकल्प है.

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