MAFLD क्या है
MAFLD को पहले नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) कहा जाता था लेकिन अब शराब पिए बगैर लिवर से संबंधित जो बीमारियां होती है, वे सब अब एमएएफएलडी के अंतर्गत आता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर में अत्यधिक चर्बी जमा हो जाती है. यह नाम बदलाव यह दर्शाने के लिए किया गया है कि फैटी लिवर का संबंध मेटाबोलिक समस्याओं जैसे मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज़ और हाई कोलेस्ट्रॉल से जुड़ा होता है. इसमें लिवर में धीरे-धीरे घाव होने लगता है. एक तरह से लिवर में सूजन होने लगता है जो बढ़ते-बढ़ते फोड़ा में बदल जाता है. इसका पता तुरंत नहीं चलता है. लेकिन यह धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देता है. इसमें बहुत ज्यादा कमजोरी, थकान, सांस लेने में तकलीफ, पेट में दर्द, पैरों में सूजन, हाथों में रेडनेस जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. इससे शरीर के कई अन्य अंगों पर भी असर पड़ता है. डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों का खतरा बढ़ जाता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा ने कहा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज पर ऑपरेशनल गाइडलाइंस जारी की हैं. इसके लिए हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज, कम चीनी, कम तेल का सेवन पर जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वे निर्देशों के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा स्क्रीनिंग और जोखिम स्तरीकरण करें और उचित रेफरल की प्रक्रिया अपनाएं. केंद्रीय मंत्री ने दो अध्ययनों का हवाला दिया जो भारत में MAFLD के बढ़ते मामलों की ओर इशारा करते हैं. नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में 2025 में प्रकाशित एक अध्ययन भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कर्मचारियों के बीच MAFLD (मेटाबोलिक डिसफंक्शन असोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज) के बढ़ते प्रसार पर केंद्रित था.
केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने बताया कि हैदराबाद में किए गए इस अध्ययन में 345 आईटी कर्मचारियों को शामिल किया गया जिसमें पाया गया कि 118 कर्मचारियों (34.20 प्रतिशत) में मेटाबोलिक सिंड्रोम मौजूद था. उन्होंने कहा कि कुल 290 (84.06 प्रतिशत) कर्मचारियों में लिवर में चर्बी जमा होने की पुष्टि हुई, जो यह दर्शाता है कि आईटी कर्मचारियों के बीच MAFLD का प्रसार बहुत अधिक है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा भारतीय मेटाबोलिक और लिवर डिजीज (IMELD) पर आधारित एक और शोध किया गया, जिसका उद्देश्य राजस्थान के विभिन्न गांवों में फैटी लिवर डिजीज, मेटाबोलिक सिंड्रोम, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों के क्षेत्रीय जोखिम कारकों को समझना था. अध्ययन के के मुताबिक 37.19 प्रतिशत प्रतिभागियों को फैटी लिवर डिजीज थी, जिसमें पुरुषों की संख्या अधिक थी. जो लोग प्रति सप्ताह फास्ट फूड का सेवन करते थे उनमें 76.3 प्रतिशत व्यक्ति को इसका जोखिम ज्यादा था.
लिवर की बीमारी से बचने के लिए क्या करें
एक्सपर्ट के मुताबिक लिवर को हेल्दी रखने के लिए हेल्दी डाइट जरूरी है. घर में हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन करें. साबुत अनाज, दाल, ताजा फल, बींस, सीड्स, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें. इसके साथ ही अनहेल्दी फूड को न खाएं जैसे कि पिज्जा, बर्गर, ज्यादा तली-भुनी चीजें, ज्यादा तेल, बटर, चीज, शराब, सिगरटे, ड्रग्स आदि का सेवन न करें. इसके अलावा तनाव न लें और पर्याप्त नींद लें. इसके साथ ही रोज एक्सरसाइज करें.