Instagram-Facebook और TikTok पर ये देश लगाने वाला है बैन! जानिए क्यों लिया इतना बड़ा फैसला

नई द‍िल्‍ली. ऑस्ट्रेलिया में अगले चार महीनों में लागू होने वाले एक कानून के तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक, स्नैपचैट, टिकटॉक, इंस्टाग्राम, X (पहले ट्विटर), रेडिट और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.

फेडरल सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों को इन नाबालिग यूजर्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स को 10 दिसंबर तक हटाने और उम्र सत्यापन सॉफ्टवेयर के माध्यम से उन्हें नए अकाउंट बनाने से रोकने के लिए “उचित कदम” उठाने होंगे. इस कानून के तहत, बच्चों को उनके माता-पिता की अनुमति के बावजूद इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच नहीं दी जाएगी.

विवाद जारी है लेकिन प्रतिबंध तय है
देशभर में इस फैसले के संभावित लाभ और नुकसान को लेकर गर्म बहस चल रही है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से युवा खुद को व्यक्त करते हैं, अपनी पहचान बनाते हैं और सामाजिक जुड़ाव महसूस करते हैं. एक समाज में जहां हर पांच में से दो बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं, यह जुड़ाव बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है. दूसरी ओर, सोशल मीडिया की लत और इसके आनंद से वंचित होने का डर बच्चों को इन प्लेटफॉर्म्स पर अत्यधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करता है.

यूजर्स को क्‍या करना चाह‍िए
1) बैन की तारीख यानी 10 दिसंबर तक इंतजार न करें- सोशल मीडिया से अचानक दूरी बच्चों के लिए झटका हो सकती है. इसलिए, माता-पिता को अभी से इस विषय पर बच्चों से बात करनी चाहिए. उन्हें बताएं कि यह बैन क्यों लगाया जा रहा है और इसका उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

2) सोशल मीडिया से धीरे-धीरे दूरी बनाएं- स्क्रीन टाइम को धीरे-धीरे कम करने से बच्चों को इस बदलाव के साथ एडजस्ट करने में मदद मिलेगी. हर हफ्ते सोशल मीडिया पर बिताया गया समय 25% कम किया जा सकता है और एक महीने में इसे पूरी तरह से बंद किया जा सकता है.

3) हटाने की बजाय विकल्प दें- ग्रुप एक्टिविटीज, ग्रुप स्पोर्ट्स, क्रिएटिव इंटरेस्ट जैसे आर्ट, म्यूजिक, हैंडीक्राफ्ट या वॉलंटियर वर्क को सोशल मीडिया के विकल्प के रूप में शामिल किया जा सकता है. इससे बच्चों को सामाजिक जुड़ाव और अपनी पहचान व्यक्त करने के अवसर मिलेंगे.

4) ऑफलाइन रिश्तों को बढ़ावा दें- बच्चों को सोशल मीडिया के अलावा समुदाय में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें. ऑफलाइन ग्रुप्स बनाएं जहां बच्चे आमने-सामने जुड़ सकें, यह एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है. ऐसे ग्रुप्स एक-दूसरे को सोशल मीडिया से दूर रहने में मदद कर सकते हैं.

5) उदाहरण पेश करें – बच्चे अपने माता-पिता के व्यवहार को देखकर सीखते हैं. माता-पिता को भी स्क्रीन टाइम सीमित करना चाहिए, आमने-सामने के रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए और नियमित रूप से ऑफलाइन गतिविधियों में शामिल होना चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध बच्चों के लिए डिजिटल जीवन और वास्तविक जीवन के बीच संतुलन सीखने का एक अवसर हो सकता है. हालांकि इसे लागू करना आसान नहीं होगा, लेकिन पहले से तैयारी करके इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

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