मॉस्को. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और समझा जाता है कि उन्होंने भारत-रूस संबंधों को और विस्तारित करने के तरीकों पर चर्चा की. यह बैठक जयशंकर द्वारा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक वार्ता के कुछ घंटों बाद हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया.
एस जयशंकर ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, ”आज क्रेमलिन में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात कर सम्मानित महसूस किया. मैंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हार्दिक शुभकामनाएं उन्हें प्रेषित कीं. मैंने उन्हें प्रथम उपप्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हुई अपनी चर्चाओं से अवगत कराया। वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियां तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं. वैश्विक परिदृश्य और यूक्रेन पर हालिया घटनाक्रम को लेकर उनके विचार साझा करने की सराहना करता हूं.”
रूसी विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने और ग्लोबल साउथ के देशों को उनकी राजनीतिक संप्रभुता की रक्षा में सहयोग देने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने राजनीतिक संपर्कों को और आगे बढ़ाने, व्यापार और आर्थिक सहयोग को गहरा करने, सतत परिवहन व लॉजिस्टिक श्रृंखलाओं तथा वित्तीय चैनलों को मज़बूत करने और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा व हाइड्रोकार्बन उत्पादन के क्षेत्र में साझेदारी का विस्तार करने पर भी चर्चा की.
जयशंकर ने लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, ‘हमारा मानना है कि भारत और रूस के बीच संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे प्रमुख संबंधों में से एक रहे हैं.’ उन्होंने कहा, “भू-राजनीतिक समन्वय, नेतृत्व के बीच आपस में संपर्क और लोकप्रिय भावना इसके प्रमुख मुख्य प्रेरक तत्व बने हुए हैं.”
विदेश मंत्री मंगलवार को मास्को पहुंचे, ताकि नवंबर या दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के विभिन्न पहलुओं को अंतिम रूप दिया जा सके. अपनी बातचीत में, जयशंकर और लावरोव ने आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया. जयशंकर ने कहा, “आतंक के मुद्दे पर, हमने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प लिया.”
उन्होंने कहा, “मैंने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने के भारत के दृढ़ संकल्प और सीमा पार आतंकवाद से अपने नागरिकों की रक्षा करने के हमारे संप्रभु अधिकार से अवगत कराया.” जयशंकर की टिप्पणियों से ऐसा प्रतीत हुआ कि उनकी बातचीत का मुख्य केंद्र द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है. विदेश मंत्री ने कहा, “हमने रूस को भारत के निर्यात को बढ़ाने सहित, संतुलित और टिकाऊ तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की.”
उन्होंने कहा, “इसके लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक बाधाओं को तुरंत दूर करने की आवश्यकता है. फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने से निश्चित रूप से मौजूदा असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी.” जयशंकर ने कहा, “उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए गए। भारतीय कुशल श्रमिक, विशेष रूप से आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्र में, रूस की श्रम आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं और सहयोग को प्रगाढ़ कर सकते हैं.” उन्होंने कहा कि व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है.
विदेश मंत्री ने रूसी सेना में सेवा दे रहे कुछ भारतीयों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, “हालांकि, कई लोगों को रिहा कर दिया गया है, फिर भी कुछ मामले लंबित हैं और कुछ लोग लापता हैं. हमें उम्मीद है कि रूसी पक्ष इन मामलों को शीघ्रता से सुलझाएगा.” बैठक में, जयशंकर और लावरोव ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए भारत और रूस की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की. दोनों पक्षों ने यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफग़ानिस्तान में स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया.
जयशंकर ने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि भारत का दृष्टिकोण मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति को आवश्यक मानता है.” इससे पहले, जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, “आज की बैठक ने हमें न केवल अपने राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करने का, बल्कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने का भी मौका दिया है। इसलिए, मैं राजनीति, व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर विचारों का आदान-प्रदान तथा निश्चित तौर पर लोगों के बीच संपर्क की आशा करता हूं.”
उन्होंने कहा, “हमारे नेता पिछले साल जुलाई में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिले थे, और उसके बाद कजान में भी मिले. अब हम साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने हमेशा हमें हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया है.”
रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्ष बैठक के दौरान द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के वर्तमान और भविष्य के अवसरों पर विशेष ध्यान देंगे. मंत्रालय ने कहा, “बैठक का एजेंडा परिवहन, साजोसामान, बैंकिंग और वित्तीय संपर्कों और शृंखलाओं को सुगम बनाने पर केंद्रित होगा जो बैरी देशों के किसी भी प्रतिकूल दबाव से मुक्त होंगे, साथ ही परस्पर समझौतों में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को भी बढ़ाएंगे.”
इसने कहा कि परिवहन, ऊर्जा, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना भी एजेंडे में होगा. जयशंकर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ (शुल्क) दोगुना कर कुल 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो गया है. इस टैरिफ में रूसी कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है.
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