आरंभिक प्रयास
यह सभी कुछ शुरू हुआ जब सीमा श्री बाथो नामक एक प्राथमिक शिक्षक ने एक ही क्लास से शुरुआत की. उनके विचार थे कि यदि घर-घर में योग पहुंच जाए, तो बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है. इसी विश्वास के साथ उन्होंने 2008 में इन्डोर स्टेडियम में पहली कक्षा ली. उस दिन केवल 15–20 लोग ही थे, लेकिन सीमा की लगन कुछ और कह रही थी.
आज सीमा के अथक प्रयास से खंडवा शहर सहित आसपास के गांवों में 30–35 योग केंद्र सक्रिय हैं. सुबह और शाम की समय-सारिणी में ये कक्षाएं महिलाओं के लिए चलती हैं. इस समूह में आशा उपाध्याय, डिंपल शर्मा, कोमल होतवानी जैसे दर्जनों प्रशिक्षित महिलाएं शामिल हैं, जो अपनी जगहों पर नियमित रूप से योग शिक्षण की जिम्मेदारी निभा रही हैं.
शिक्षक प्रशिक्षण शिविर
सीमा ने सिर्फ खुद योग नहीं सिखाया, बल्कि 50 से अधिक इच्छुक प्रशिक्षकों को भी शिक्षित किया. इन शिविरों का आयोजन समय-समय पर किया गया ताकि पौधों की तरह ये शिक्षक भी समाज में बीज बो सकें. यही वजह है कि आज समिति की कक्षाएं प्रति दिन 5–6 हजार महिलाएं नियमित रूप से ले रही हैं.
सीमा बताती हैं कि योग हमारे लिए कई बीमारियों का उन्मूलन करता है—जैसे कि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, थायराइड, मोटापा और मन–मस्तिष्क संबंधी तनाव. उन्होंने कहा, प्राणायाम और आसन नियमित रूप से करने से हार्ट संबंधी समस्याओं से बचाव होता है. बच्चों में धयान की कमी, मोटापा जैसी समस्याएँ भी दूर होती हैं.” योग का उचित समय वे सुबह 4:00–8:00 बजे और शाम 6:00–7:00 बजे तक मानती हैं. साथ ही यह सुझाव देती हैं कि भोजन के कम से कम दो घंटे पहले और दो घंटे बाद योग नहीं करना चाहिए.
महिलाओं पर केंद्रित पहल
सीमा कहती हैं कि उन्होंने अभी केवल महिलाओं पर फोकस किया है, क्योंकि घर का स्वास्थ्य सबसे पहले महिला के जीवन से जुड़ा होता है. यदि महिला स्वस्थ रहेगी, तो वह पूरे परिवार की भलाई सुनिश्चित कर सकेगी. ”आज उनके माध्यम से प्रति दिन लगभग 50–60 महिलाएं प्रत्यक्ष योग कर रही हैं; पूरे ग्रुप मिलकर योग करने वालों की संख्या पांच से छह हजार तक पहुंच चुकी है.
आगे की योजना
सीमा का उद्देश्य और बड़ा है. वह चाहती हैं कि यह अभियान हर घर, विशेषकर हर परिवार तक फैल जाए. ऐसी संभावना है कि भविष्य में वे पुरुषों के लिए भी समान अवसर प्रदान करेंगी.इसके अलावा, बच्चों के लिए विशेष युक्ति–आधारित योग कक्षाएं आयोजित करने की योजना भी तैयार है, ताकि स्वस्थ आदतें बचपन से ही समाज में स्थापित हो सकें. सीमा श्री बाथो, जो शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सूरजकुंड में प्राथमिक शिक्षक हैं, कहती हैं, मैं साधारण शिक्षक हूं, लेकिन मेरा मकसद स्वस्थ समाज बनाना है. मैंने एक योग कक्षा शुरू की थी—आज उसका असर हजारों में दिख रहा है.”
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