चश्मे की दुकान में है धांसू कमाई , खोलने के लिए क्या करना होता है? एक्‍सपर्ट से जानें

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How to open optical shop: अगर आप भी चश्‍मे की दुकान खोलना चाहते हैं लेकिन घबरा रहे हैं क‍ि इसके लिए क्‍या करना होता है या किन चीजों की जरूरत पड़ती है तो यह खबर आपको बताएगी क‍ि ऑप्‍ट‍िकल शॉप खोलने के लिए क्‍या च…और पढ़ें

चश्मे की दुकान में है धांसू कमाई , खोलने के लिए क्या करना होता है? जानेंचश्‍मे की दुकान कैसे खोलें जानें.
Chashme ki shop kaise khole: चश्मे आजकल सिर्फ कमजोर नजर की जरूरत पूरी करने के लिए नहीं पहने जाते बल्कि ये फैशन, लुक्स, ट्रेंड और स्टेटस का भी सिंबल बन गए हैं. बड़े-बड़े ब्रांड चश्मों की हजारों वैरायटीज के साथ आज मार्केट में मौजूद हैं. ब्रांड, डिजाइन और टेक्नोलॉजी के चलते चश्मों की कीमत हजारों से लेकर लाखों रुपये तक पहुंच गई है. यही वजह है कि चश्मों का कारोबार आज नोट छापने की मशीन बन चुका है. एक सामान्य दुकान की भी महीने की कमाई लाखों रुपये में होती है. ऐसे में चश्मे की दुकान खोलने को लेकर युवाओं में काफी दिलचस्पी देखने को मिल रही है.

हालांकि सबसे बड़ी चीज है कि चश्मे की दुकान खोलने के लिए करना क्या पड़ता है? क्या इसके लिए किसी डिग्री की जरूरत पड़ती है या कोई विशेष प्रकार का लाइसेंस लेना पड़ता है. क्या नजर के चश्मों की दुकान सिर्फ आंखों के डॉक्टर खोल सकते हैं या कोई भी व्यक्ति जिसका आंखों के अस्पताल या डॉक्टरों से कोई संबंध नहीं है वह भी ये दुकान खोल सकता है? आइए जानते हैं इसके बारे में..

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लाइसेंस नहीं, बस करना होता है ये काम
नोएडा सेक्टर 18 मेट्रो स्टेशन के नीचे, अट्टा मार्केट में सबसे पुरानी और नोएडा ऑप्टिक्स नाम से मशहूर चश्‍मे की दुकान वाले नरेंद्र त्रिखा बताते हैं कि चश्मों की दुकान खोलने के लिए कोई लाइसेंस नहीं लेना पड़ता है लेकिन अन्य दुकानों की तरह ही इसे रजिस्टर कराना होता है. इसके अलावा जीएसटी नंबर लेना होता है, ताकि टैक्स देने और रिटर्न फाइल करने में में कोई हीला-हवाली न हो.

त्रिखा कहते हैं कि चश्मे की दुकान पर नजर के चश्मे बनते हैं, ऐसे में सबसे जरूरी है कि वहां विजन की जांच के लिए पर्याप्त मशीनें होनी चाहिए. साथ ही एक डिग्री प्राप्त ऑप्टोमेट्रिस्ट जरूर होना चाहिए, ताकि वह जांच करके आंखों नंबर का सही पता लगा सके और चश्मे के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिख सके .

ऑप्टोमेट्रिस्ट होना क्यों जरूरी?

दिल्ली के मुखर्जी आई क्लीनिक में सीनियर कंसल्टेंट और आई सर्जन डॉ. राजीव मुखर्जी कहते हैं कि किसी भी चश्मे की दुकान पर ऑप्टोमेट्रिस्ट का होना सबसे जरूरी है. जहां ऑप्टोमेट्रिस्ट नहीं है, वहां चश्मे नहीं बनवाने चाहिए. डॉ. राजीव बताते हैं एक ऑप्टोमेट्रिस्ट नेत्र विशेषज्ञों के दिए हुए निर्देशों को पूरी तरह समझ सकता है और उसी आधार पर चश्मा बनाकर देता है. ये मशीनों से आंखों की जांच करके नजर कमजोर होने या आंख में कोई बीमारी होने का भी पता लगा सकता है और जरूरत पड़ने पर उसे नेत्र विशेषज्ञ को रैफर कर सकता है. ऑप्टोमेट्रिस्ट आंखों की प्राथमिक देखभाल करता है, हालांकि यह दवा नहीं लिख सकता. अगर कोई ऑप्टोमेट्रिस्ट ऐसा करता है तो यह गलत है. दवा देना या सर्जरी करना सिर्फ ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट का काम है.

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ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने के लिए क्या करना होता है?
चूंकि चश्मे की दुकान पर ऑप्टोमेट्रिस्ट का होना जरूरी है, ऐसे में यह बनने के लिए क्या करना होता है, यह जानना जरूरी है. डॉ. राजीव बताते हैं कि इसके लिए ऑप्टोमेट्री में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करना जरूरी है. भारत में 4 साल की बीएससी इन ऑप्टोमेट्री डिग्री कोर्स की पढ़ाई कराई जाती है. वहीं कुछ संस्थान ऑप्टोमेट्री में 2 साल का डिप्लोमा कोर्स भी कराते हैं. ऑप्टोमेट्रिस्ट सिर्फ चश्मे की दुकानों पर ही नहीं बल्कि सरकारी या निजी अस्पतालों, क्लीनिकों में काम के अलावा निजी प्रेक्टिस भी कर सकते हैं. ये लोग रिसर्च भी करते हैं.

प्रिया गौतमSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस…और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस… और पढ़ें

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