मायो क्लीनिक के मुताबिक मलेरिया एक रोग है जो परजीवी यानी पैरासाइट के कारण होता है. इसका प्लाज्मोडियम वाइवेक्स है. यह पहले मच्छरों में किसी संपर्क से घुसता है. इसके बाद यह मच्छर संक्रमित हो जाता है. इसके बाद यह परजीवी संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है. जिन लोगों को मलेरिया होता है, वे आमतौर पर बहुत बीमार महसूस करते हैं और उन्हें तेज बुखार तथा ठिठुरन के साथ कपकपी होती है. हालांकि ठंडे जलवायु वाले क्षेत्रों में यह रोग दुर्लभ है, फिर भी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में मलेरिया आम है. इसमें अफ्रीकी और एशियाई देश शामिल है. हर साल लगभग 29 करोड़ लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं और 4 लाख से अधिक लोगों की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है.
जब मलेरिया से संक्रमित मच्छर आपको काटेंगे तो इसके लार्वा आपके लिवर में चला जाएगा. यहां यह विकसित होने में 10 दिन से एक महीने तक का समय लगाएगा और इसके बाद यह खून में पहुंच जाएगा. मलेरिया का पारासाइट खून में लाल रक्त कोशिकाओं को खराब करने लगेगा जिससे शरीर में कई तरह की परेशानियां होंगी.
मलेरिया के लक्षण
जब मलेरिया के पैरासाइट खून में पहुंच जाता है तो मलेरिया के लक्षण और संकेत दिखने लगते हैं. इंफेक्शन के बाद बुखार, ठिठुरन, अनहेल्दी महसूस होना, सिरदर्द, मतली और उल्टी, दस्त, पेट दर्द, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द, थकान, तेज़ सांस लेना, तेज़ दिल की धड़कन, खांसी जैसी समस्याएं दिखने लगती है. इसके अलावा कुछ लोगों को मलेरिया में अटैक का अनुभव होता है. एक अटैक आमतौर पर कांपने और ठिठुरन से शुरू होता है, इसके बाद तेज़ बुखार आता है, फिर पसीना आने लगता है और अंत में तापमान सामान्य हो जाता है. मलेरिया के लक्षण और संकेत आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के कुछ हफ्तों के भीतर शुरू हो जाते हैं. हालांकि, मलेरिया परजीवी की कुछ किस्में आपके शरीर में एक साल तक सुप्त (सोई हुई) अवस्था में रह सकती हैं.
मलेरिया का खतरा आमतौर पर अफ्रीकी और एशियाई देशों के लोगों को है. इनमें भी छोटे बच्चे और शिशु, बुजुर्ग और प्रेग्नेंट महिलाओं को इसका ज्यादा खतरा है. वहीं कई देशों में जहां मलेरिया की दर अधिक है, वहां यह समस्या इसलिए और गंभीर हो जाती है क्योंकि लोगों को बचाव के उपाय, चिकित्सीय देखभाल और जानकारी तक पर्याप्त पहुंच नहीं होती.
मलेरिया से बचने के लिए क्या करें
मलेरिया से बचने का सबसे आम तरीका है कि मच्छर न काटे. इसके लिए रात में मच्छरदानी का इस्तेमाल सबसे बेहतर है. इसके अलावा मच्छर वाली जगहों में स्किन हमेशा ढका होना चाहिए. इसके लिए पैंट और फुल स्लीव की शर्ट पहनें. शर्ट को पैंट में फिट करें और पैंट के निचले हिस्से को मोज़ों में टक करें. स्किन पर कीटनाशक लगाएं. किसी भी खुली स्किन पर क्रीम भी लगा सकते हैं. इसके लिए रजिस्टर्ड रिपेलेंट का उपयोग करें. इनमें DEET, पिकारिडिन, IR3535, नींबू यूकेलिप्टस का तेल (OLE), पारा-मेंथेन-3,8-डायोल (PMD) या 2-अंडेकैनोन वाले रिपेलेंट शामिल हैं. चेहरे पर सीधे स्प्रे न करें. 3 साल से छोटे बच्चों पर नींबू यूकेलिप्टस का तेल या पारा-मेंथेन-3,8-डायोल वाले उत्पाद का उपयोग न करें.