लोकल मिठाइयों में सिरमौर बना भरतपुर का देसी कलाकंद! जानिए कैसे होता है तैयार 

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Bharatpur famous Sweet: भरतपुर की प्रसिद्ध मिठाई देसी कलाकंद, तीज-त्योहार और शादी-ब्याह में लोकप्रिय है. इसे शुद्ध दूध, चीनी और इलायची से बनाया जाता है. इसकी कीमत 300-400 रुपये प्रति किलो है.

हाइलाइट्स

  • भरतपुर का देसी कलाकंद तीज-त्योहार में लोकप्रिय है.
  • कलाकंद शुद्ध दूध, चीनी और इलायची से बनाया जाता है.
  • कलाकंद की कीमत 300-400 रुपये प्रति किलो है.
भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर की मिठाइयों की बात हो और देसी कलाकंद का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. यह मिठाई न सिर्फ भरतपुर शहर में बल्कि बयाना, रूपवास, डीग और कुम्हेर जैसे आसपास के क्षेत्रों में भी बेहद लोकप्रिय है. हर तीज-त्योहार, शादी-ब्याह या पारिवारिक आयोजन में यह मिठाई ज़रूर परोसी जाती है. इसका देसी स्वाद और पारंपरिक तरीके से बनाई जाने वाली विधि ही इसे खास बनाती है. भरतपुर की मिठाई संस्कृति में यह कलाकंद एक पहचान बन चुका है, जिसे खाने वाला इसका स्वाद लंबे समय तक नहीं भूलता.

लोकल 18 की टीम ने भरतपुर के प्रसिद्ध हलवाई वकील से इस खास मिठाई की रेसिपी और बनाने की प्रक्रिया के बारे में बात की. वकील हलवाई ने बताया कि कलाकंद को बनाने में समय और धैर्य की ज़रूरत होती है, लेकिन इसका स्वाद लोगों को इस कदर पसंद आता है कि वे बार-बार इसी मिठाई की मांग करते हैं. इसे बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध और ताजा दूध लिया जाता है. फिर उसे एक बड़ी कढ़ाई में धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए उबाला जाता है. यह प्रक्रिया 3 से 4 घंटे तक चलती है और इस दौरान दूध गाढ़ा होकर मावे का रूप ले लेता है.

स्वाद में है सभी मिठाइयों का बाप
मावा बन जाने के बाद उसमें उचित मात्रा में चीनी और इलायची पाउडर मिलाया जाता है. इलायची इसकी मिठास में सुगंध और स्वाद का अनोखा मेल जोड़ती है. इसके बाद इस मिश्रण को स्टील की ट्रे में अच्छे से फैलाकर जमने के लिए लगभग 12 घंटे तक रखा जाता है. जब यह ठोस रूप ले लेता है, तब इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बिक्री के लिए भेजा जाता है.

स्वाद, मेहनत और परंपरा से जुड़ी मिठास
भरतपुर के इस देसी कलाकंद की कीमत 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक रहती है. इसका हर टुकड़ा सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि मेहनत और परंपरा का प्रतीक भी होता है. यही कारण है कि यह मिठाई भरतपुर की पहचान बन चुकी है और लोग दूर-दूर से इसे खरीदने आते हैं. चाहे बात किसी खास मौके की हो या रोज़ की मिठास की, भरतपुर का देसी कलाकंद हर दिल को भाता है.

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