कुत्ता काटने के बाद कितने घंटे में इंजेक्शन लगाना जरूरी, ठप हो जाएगा दिमाग, दिल और नर्वस सिस्टम

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Dog bite treatment tips : पागलों की तरह भौंकते हुए दर्दनाक मौत से अच्छा है कि कुत्ते की काटते ही फौरन अस्पताल जाएं. हालांकि अगर अस्पताल दूर है तो फिलहाल ये जरूरी कदम उठा सकते हैं.

देहरादून. इन दिनों देशभर में आवारा कुत्तों पर काफी चर्चाएं की जा रही हैं. देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें कुत्ते के काटने के बाद लोगों की मौत हुई है. सड़कों और गलियों में कुत्तों की बढ़ती हुई संख्या लोगों की टेंशन बढ़ा रही है. गुस्साए कुत्ते व्यक्ति को अगर काट लेते हैं और अगर वह समय से इंजेक्शन नहीं लगाते हैं तो रेबीज जैसी घातक बीमारी उनकी जान ले सकती है. ऐसे में सबसे ज्यादा अहम बात यह है कि कुत्ते के काटने के बाद कब और कितने इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं. घरेलू नुस्खे कई बार इंफेक्शन में इजाफा कर सकते हैं.

तीन स्टेज

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में दून अस्पताल की फिजिशियन डॉ. सोनिया ने बताया कि कुत्ते के काटने के बाद बचाव के तीन स्टेज होते हैं. मतलब 3 तरह के हालातो में उसी हिसाब से ट्रीटमेंट दिया जाता है. पहला जिसमें सिर्फ़ व्यक्ति की स्किन निकलती है इसमें लोग मिर्च-हल्दी लगाने का काम करते हैं, जिससे इंफेक्शन फैल सकता है. इसलिए ऐसी गलती बिल्कुल न करें. ऐसे में आप बैठे हुए पानी के नीचे जख्म को अच्छे से धो लें और एंटीसेप्टिक क्रीम लगा लीजिए. दूसरी और तीसरी स्थिति में प्रोफाइल एक्सिस करनी पड़ती है. इसमें घाव को साफ पानी से धोने के बाद रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन लगाया जाता है. अगर पोविडोन-आयोडीन से धोया जाए तो संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. इसके बाद बिटाडीन जैसे एंटीसेप्टिक दवाएं एप्लिकेशन करना होता है.

टिटनेस का भी खतरा

डॉ. सोनिया ने बताया कि दूसरी स्टेज में कुत्ते का दांत अंदर जख्म बना लेता है और तीसरी स्टेज में इंसान का मांस भी बाहर आ जाता है, ऐसे में टिटनेस का खतरा भी बढ़ जाता है, इसीलिए टिटनेस का इंजेक्शन लगाना भी जरूरी हो जाता है. जब मांस फट जाता है तो कई लोग टांके भी लगवा लेते हैं तो इससे भी हमें बचना है क्योंकि यह नुकसानदायक साबित हो सकता है. मरीज को खाने के लिए भी एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं.

कुत्ते के काटने के बाद जितना जल्दी हो सके इंजेक्शन लगवाए. पोस्ट एक्सपोजर प्रोफाइल एक्सिस में मरीज को पांच डोज दी जाती है. इसमें पहली डोज को जीरो डोज कहा जाता है. मरीज को 0, 3, 7, 21 और जरूरत पड़ने पर 28वें दिन भी टीका लगाया जा सकता है. दून अस्पताल की बात करें तो रोजाना कुत्ते काटने के 15 से 20 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं.

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