एसिडिटी की दवा में कहीं कैंसर तो नहीं! DCGI ने सभी राज्यों को कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया, जानिए क्यों

Last Updated:

Antacid Cancer: पेट में गैस और एसिडिटी को कम करने के लिए लोग एंटासिड की गोली खाते हैं लेकिन क्या इसमें कैंसर कारक तत्व होते हैं. इसी बात का पता लगाने के लिए दवाओं पर नियंत्रण रखने वाली संस्था भारतीय औषधि महानिय…और पढ़ें

एंटासिड से क्या कैंसर होता है.

हाइलाइट्स

  • एंटासिड की दवाओं में कैंसर कारक तत्व बनने के संकेत पहले मिल चुके हैं.
  • कई देशों में इन दवाओं को वापस बुला लिया गया था. भारत में अब भी है.
  • भारत के औषधि महानियंत्रक ने सभी राज्यों से फॉर्मुलेशन की निगरानी करने को कहा.
Antacid Cancer: हम भारतीयों में दवा फांकने की आदत ज्यादा है. कुछ भी हुआ तुरंत एक गोली खा ली. वैसे भी भारत में अधिकांश लोगों को पेट से संबंधित कुछ न कुछ परेशानी हमेशा रहती है. सबसे ज्यादा गैस और एसिडिटी की समस्या रहती है. गैसे और एसिडिटी में अक्सर लोग केमिस्ट की दुकान से एंटासिड की टैबलेट ले लेते हैं और इसे पानी के साथ निगल सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि एंटासिड का अगर फर्मुलेशन (बनाने की विधि) अगर गड़बड़ हो जाता है तो थोड़ी सी हीट में भी इसके कंपाउड बदलकर कैंसर कारक तत्व में परिवर्तित हो जाते हैं. यहीं से इस दवा की बदनामी शुरू हो जाती है. अमेरिका एंटासिड, जैंटेक बनाने वाली कंपनी के खिलाफ इसे लेकर हजारों मुकदमे हुए हैं जिसमें कंपनी ने 2.2 अरब डॉलर का समझौता किया था. इसी डर से भारत के औषधि महानियंत्रक डीसीजीआई ने सभी राज्यों से कहा है कि वे इन दवाओं को बनाने वाली कंपनियों पर सख्त निगरानी रखते हुए यह सुनिश्चित करे कि एंटासिड दवाओं के फॉर्मुलेशन में कैंसरकारक अशुद्धियां न हो.

कैसे कैंसर का कारण बनती है दवा
न्यूज 18 को प्राप्त सरकारी दस्तावेज में राज्यों से कहा गया है कि वह NDMA अशुद्धियों को सख्ती से निगरानी करे. दरअसल, एसिडिटी या हार्ट बर्न के लिए लोग आमतौर एसिलोक, रेंटेक, जैंटेक जैसी दवाएं खाते हैं. इन दवाओं को बनाते समय में इसमें एक तरह की अशुद्धियां बनने की आशंका होती है. इसे साइंस की भाषा में NDMA यानी Toxicological Profile for N-Nitrosodimethylamine कहा जाता है. NDMA के कारण चूहों में कैंसर ट्यूमर बन जाता है. इसलिए डीसीजीआई ने यह कदम उठाया है. इसलिए राज्यों से एनडीएमए की सख्ती से निगरानी करने को कहा है. रैनिटिडीन एक ऐसी दवा है जो पेट में एसिड के उत्पादन घटाकर एसिडिटी से राहत देती है और एसिड संबंधी अपच और जलन जैसी समस्याओं से मुक्ति दिलाती है. यह आमतौर पर एसीलोक, रैनटैक और जाइनटैक जैसे ब्रांड नामों से उपलब्ध है.

अधिक ठोस कार्रवाई की सिफारिश
न्यूज 18 के पास 24 जुलाई को जारी हुए पत्र की प्रति है जिसमें सरकार द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों और देश की सर्वोच्च दवा सलाहकार संस्था ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया था. DTAB की यह 92वीं बैठक 28 अप्रैल को हुई थी जिसमें रैनिटिडीन में NDMA संदूषण को लेकर विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर चर्चा की गई थी. यह संदूषण बीते कुछ वर्षों से चिंता का विषय रहा है. DCGI के पत्र में कहा गया है कि NDMA अशुद्धि के कारण रैनिटिडीन की सुरक्षा को लेकर जो मुद्दा है वह काफी समय से विचाराधीन रहा है और इस कार्यालय द्वारा समय-समय पर कई कदम उठाए गए हैं. हालांकि पूर्व में कई कदम उठाए जा चुके हैं लेकिन DTAB ने हाल ही में इस विषय पर और अधिक ठोस कार्रवाई की सिफारिश की है, जिसमें एक बड़ी समिति का गठन कर रैनिटिडीन की सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करना शामिल है. विशेष रूप से इसकी भंडारण स्थितियों की, क्योंकि इससे अशुद्धि का स्तर प्रभावित हो सकता है. DTAB ने यह भी सिफारिश की है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) इस दवा पर NDMA की मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए एक सुरक्षा अध्ययन करे. News18 ने सबसे पहले 29 अप्रैल को विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों की रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

अमेरिका में दवा वापस हो गई
DTAB ने यह भी सलाह दी है कि दवा निर्माताओं को API यानी एक्टिव फर्मास्युटिकल इंग्रीडेंट्स या सक्रिय औषधीय तत्व या फॉर्मूलेशन में NDMA के स्तर की निगरानी करनी चाहिए. इसके बाद DCGI ने सभी राज्य दवा नियंत्रकों से कहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी रैनिटिडीन निर्माताओं को तुरंत यह निगरानी और जोखिम-नियंत्रण उपाय अपनाने के निर्देश दें. पत्र में कहा गया है कि जैसा कि DTAB द्वारा सिफारिश की गई है, आपसे अनुरोध है कि अपने अधिकार क्षेत्र में मौजूद निर्माताओं को निर्देशित करें कि वे रैनिटिडीन की API/फॉर्मूलेशन में NDMA स्तर की सख्ती से निगरानी करें और इससे संबंधित जोखिम आधारित उपायों को अपनाएं. NDMA (एन-नाइट्रोसो डाइमेथाइलएमीन) को संभावित मानव कैंसरकारक के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इस अशुद्धि की पहचान सबसे पहले वैश्विक स्तर पर 2019 में हुई थी, जिसके बाद कई देशों ने रैनिटिडीन दवा की वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई थी. भारत में भी रैनिटिडीन की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रही है. अमेरिका और यूरोपीय देशों में यह दवा कुछ हद तक वापस भी हो गई थी. हालांकि यह दवा अब भी बाजार में उपलब्ध है.

LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें

Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the… और पढ़ें

homelifestyle

एसिडिटी की दवा में कहीं कैंसर तो नहीं! सभी राज्यों को कड़ी निगरानी का निर्देश

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *