IITian सानिध्य ने लाखों का ऑफर ठुकराया, खड़ा कर दिया करोड़ों का स्टार्टअप, NSA अजीत डोभाल भी फैन

Satna News: सतना के एक युवा को IIT में दाखिला मिला. इसके बाद लाखों का पैकेज ऑफर हुआ. लेकिन, उसने ऑफर को ठुकरा दिया और सफलता की एक नई कहानी लिख दी. सफलता भी ऐसी कि पूरे देश में उसका झंडा बुलंद हो गया. सतना के सानिध्य चतुर्वेदी (25) ने लाखों के ऑफर को ठुकराकर करोड़ों का स्टार्टअप खड़ा कर दिया. आज उनका नाम राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंज रहा है.

यहां तक कि NSA अजीत डोभाल भी सानिध्य का सम्मान कर चुके हैं. सानिध्य के बारे में कहा जाता कि ये सेंसर की दुनिया के शहंशाह हैं. लोकल 18 से खास बातचीत में सानिध्य ने बताया कि उनकी स्कूली पढ़ाई सतना के सेंट माइकल स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने बीटेक और एमटेक दोनों इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में आईआईटी मद्रास से 2025 में ही पूरी की. पढ़ाई के दौरान ही वे फ़ोलियम सेंसिंग प्राइवेट लिमिटेड के को-फाउंडर और सीईओ बन गए.

ऑप्टिकल फाइबर सेंसिंग में क्रांतिकारी कदम
सानिध्य का स्टार्टअप ऑप्टिकल फाइबर सेंसिंग पर आधारित है. उन्होंने बताया, दो प्रकार के सेंसर होते हैं, एक तो पॉइंट सेंसर और दूसरा डिस्ट्रीब्यूटेड सेंसर. इंटरनेट और कम्युनिकेशन के लिए ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल तो आम है, लेकिन सेंसिंग के लिए इसका इस्तेमाल पहली बार हो रहा है. यह तकनीक 25 साल की रिसर्च का नतीजा है जो आईआईटी मद्रास की लैब्स में प्रोफेसरों के सहयोग से संभव हो पाई. वहीं, इसमें सानिध्य के पांच पेटेंट भी शामिल हैं.

एक साल में 25 करोड़ की वैल्यूएशन
कंपनी की शुरुआत 6 अगस्त 2024 को हुई थी, जिसका हेड ऑफिस चेन्नई में है. महज एक साल में इसकी वैल्यूएशन 25 करोड़ रुपये पहुंच गई है. उम्मीद है कि यह एक साल में यूनिकॉर्न बन सकती है. इस दौरान सानिध्य ने कई पुरस्कार जीते, जिसमें 25 राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं. इनमें की स्टार्टअप इंडिया का इमर्जिंग एंटरप्रेन्योर अवार्ड अंडर 25, गूगल फ्यूचर एक्स सीईओ अवार्ड, आईआईटी मद्रास एलुमनाई एसोसिएशन अवार्ड और हाल ही में एमएचआरडी का यूथ आइकॉन ऑफ द ईयर अवार्ड अंडर 25 शामिल है.

घर का सहयोग और मेहनत का फल
सानिध्य बताते हैं कि बचपन से ही घर में सपोर्टिव माहौल रहा. 12वीं के बाद उन्होंने कोटा में रहकर आईआईटी की तैयारी की. आज उनकी कंपनी में 25 कर्मचारी कार्यरत हैं. उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

भारत के बॉर्डर की निगरानी करेंगे
इस तकनीक के तीन मुख्य कार्य हैं जिसमें साउंड, टेम्परेचर और स्ट्रेन को सेंस करना है. सानिध्य ने बताया कि इसका पहला 18 करोड़ का बड़ा प्रोजेक्ट गेल कंपनी के साथ रहा, जिसमें ऑयल और गैस पाइपलाइन लीकेज की सेंसिंग की जा रही है. दूसरा प्रोजेक्ट भारतीय सेना के साथ है, जिसमें हाल ही में उन्होंने इंडो-चाइना बॉर्डर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और सम्मान प्राप्त किया. अब वे बॉर्डर की निगरानी करेंगे.

रेलवे और रोडवेज ब्रिज की मॉनिटरिंग
तीसरा प्रोजेक्ट पूरे भारत के रेलवे और रोडवेज ब्रिज की मॉनिटरिंग का है, जिसमें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी तकनीक के सहारे डेढ़ किलोमीटर पहले ही किसी भी खतरे का पता चल सकेगा. वहीं, टाटा स्टील्स के साथ सानिध्य का एक और प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें माइन्स मॉनिटरिंग का काम हो रहा है. इसके अलावा विभिन्न कंपनियों के कन्वेयर बेल्ट्स की निगरानी की जा रही है, जिससे उत्पादन और सुरक्षा दोनों में सुधार हो रहा है.

विकसित भारत 2047 का हिस्सा
सानिध्य का मानना है कि उनका काम पीएम के विकसित भारत 2047 मिशन को गति देने में सहायक होगा. यह तकनीक पूरी तरह मेक इन इंडिया, मेड फॉर इंडिया है और इसमें 35 पेटेंट हैं, जिनमें से 15 इंटरनेशनल हैं. उनका विजन है कि इस टेक्नोलॉजी से देश के हर सेक्टर को मजबूत किया जाए और भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जाए.

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