जोड़ों और नसों के दर्द से पाना है मुक्ति, तो अपनाएं ये प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय

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Agnikarma Therapy: अग्निकर्म थेरेपी, एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार, जोड़ों के दर्द, नसों में खिंचाव, गठिया, साइटिका और अन्य समस्याओं में राहत देती है. बिना दवा और सर्जरी के, यह तकनीक रक्त संचार सुधारती है.

बागेश्वर: बदलती जीवनशैली, बढ़ता तनाव और असंतुलित खानपान के चलते आजकल हर दूसरा व्यक्ति जोड़ों के दर्द, नसों में खिंचाव, गठिया, साइटिका और घुटनों की समस्या से जूझ रहा है. दर्द निवारण के लिए अक्सर लोग दवाओं और इंजेक्शनों का सहारा लेते हैं, लेकिन यह राहत अस्थायी होती है. ऐसे में आयुर्वेद ने एक प्राचीन और प्रभावी समाधान दिया है अग्निकर्म. जो न केवल तुरंत राहत देता है बल्कि लंबे समय तक असर बनाए रखता है.

क्या है अग्निकर्म थेरेपी

बागेश्वर की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. संगीता ने लोकल 18 को बताया कि अग्निकर्म को पंचकर्म की विशेष प्रक्रियाओं में गिना जाता है और यह आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा पद्धति का हिस्सा है. इस विधि का उल्लेख आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत संहिता में मिलता है. इसमें सोना, चांदी या तांबे जैसी धातुओं को नियंत्रित तापमान तक गर्म करके शरीर के रोगग्रस्त हिस्से पर विशेष तकनीक से स्पर्श कराया जाता है. इसका उद्देश्य केवल रोगग्रस्त ऊतक को प्रभावित करना होता है, ताकि स्वस्थ ऊतक सुरक्षित रहें. अग्निकर्म का प्रयोग मुख्य रूप से जोड़ों के दर्द, नसों में खिंचाव, साइटिका, मांसपेशियों की ऐंठन, गर्दन और पीठ के दर्द, गठिया, स्लिप डिस्क और यहां तक कि कुछ त्वचा रोगों में भी किया जाता है. खास बात यह है कि इसमें किसी दवा, इंजेक्शन या शल्य क्रिया की आवश्यकता नहीं पड़ती.

अग्निकर्म से फायदे

अग्निकर्म से शरीर में रक्त संचार में सुधार होता है. सूजन और जकड़न में कमी आती है और नसों व मांसपेशियों को मजबूती मिलती है. इसके साथ ही दर्द निवारण तत्काल महसूस होता है और रोगी को लंबे समय तक आराम मिलता है. यह तकनीक बिल्कुल प्राकृतिक और सुरक्षित है और इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते. आजकल आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ लोग प्राकृतिक उपचारों की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं.

महंगी दवाओं और सर्जरी से बचने के लिए रोगी वैकल्पिक चिकित्सा अपनाने लगे हैं. इस कारण अग्निकर्म तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. जिन रोगियों को बार-बार दर्द की समस्या होती है और दवाओं से स्थायी आराम नहीं मिल रहा, उनके लिए अग्निकर्म बेहद लाभकारी साबित हो सकता है.

बिना सर्जरी के दर्द से राहत दिलाता है अग्निकर्म

बागेश्वर के आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि अग्निकर्म केवल प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा ही कराया जाना चाहिए. यह प्रक्रिया शरीर की प्रकृति, रोग की स्थिति और रोगी की सहनशीलता के आधार पर की जाती है. सही तकनीक और सावधानियों के साथ किया गया अग्निकर्म पूरी तरह सुरक्षित है. कुल मिलाकर, अग्निकर्म आयुर्वेद की वह उपचार पद्धति है जो बिना दवा और बिना सर्जरी के दर्द से राहत दिलाने का सशक्त साधन है. यह न सिर्फ तत्काल आराम देता है, बल्कि शरीर को दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है. यही कारण है कि यह प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा आज की आधुनिक जीवनशैली में भी नई ऊर्जा और लोकप्रियता पा रही है.

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