नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं? तो रखें इन 5 बातों को ध्यान

जौनपुर: मातृत्व एक महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत और संवेदनशील चरण होता है. इस दौरान मां और शिशु दोनों की सेहत पर विशेष ध्यान देना बेहद जरूरी है. जौनपुर की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशु कुमारी ने बताया कि स्वस्थ जच्चा-बच्चा और नॉर्मल डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाओं को समय पर देखभाल और संतुलित जीवनशैली अपनानी चाहिए. इस दौरान उन्होंने हेल्दी लाइफस्टाइल और डिलीवरी के लिए कुछ खास टिप्स साझा किए.

संतुलित आहार लेना है जरूरी

डॉ. अंशु कुमारी ने कहा कि सबसे पहले गर्भावस्था के शुरुआती महीनों से ही संतुलित आहार लेना शुरू करें. भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, प्रोटीन से भरपूर दालें, दूध और सूखे मेवे शामिल करें. समय-समय पर पानी पीते रहना और शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि ज्यादा तैलीय और जंक फूड से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये शरीर में अतिरिक्त वजन बढ़ाने के साथ ही गर्भावस्था में परेशानी पैदा कर सकते हैं.

नियमित व्यायाम भी जरूरी

गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित व्यायाम भी जरूरी है. हल्की वॉक, योग और डॉक्टर की सलाह से किए जाने वाले प्रेग्नेंसी एक्सरसाइज न केवल शरीर को एक्टिव रखते हैं बल्कि नॉर्मल डिलीवरी की संभावना भी बढ़ाते हैं.

मानसिक तनाव से बचना बेहद आवश्यक

डॉ. अंशु ने बताया कि गर्भावस्था में मानसिक तनाव से बचना बेहद आवश्यक है. सकारात्मक सोच, परिवार का सहयोग और पर्याप्त नींद गर्भवती महिला के मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं. उन्होंने कहा कि समय पर डॉक्टर से जांच कराना, टीकाकरण और जरूरी सप्लीमेंट्स लेना भी मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए जरूरी है.

हर 15 दिन पर चेकअप 

गर्भवती महिला को शुरुआती महीनों में हर महीने और अंतिम महीनों में हर 15 दिन पर चेकअप कराना चाहिए. इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान किसी भी असामान्य लक्षण जैसे अत्यधिक थकान, सूजन, या ब्लड प्रेशर बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

डॉक्टर की सलाह का पालन करें

डॉ. अंशु कुमारी ने यह भी कहा कि नॉर्मल डिलीवरी के लिए शारीरिक और मानसिक तैयारी बेहद जरूरी है. संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, समय पर जांच और सकारात्मक वातावरण इस दिशा में मददगार होते हैं. उन्होंने गर्भवती महिलाओं से अपील की कि वे खुद का ध्यान रखें, तनावमुक्त रहें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें. इससे न सिर्फ जच्चा-बच्चा स्वस्थ रहेगा, बल्कि नॉर्मल डिलीवरी की संभावना भी अधिक बढ़ेगी.

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