छतरपुर. रबी सीजन की बोवनी जारी है. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में भी बोवनी शुरू हो गई है. अगर आप भी रबी सीजन की बोवनी करने जा रहे हैं, तो कृषि एक्सपर्ट की कुछ काम की टिप्स जरूर अपनाएं. छतरपुर नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ डॉक्टर कमलेश अहिरवार लोकल 18 को बताते हैं कि रबी सीजन में गेहूं, चना, मसूर और सरसों की बुवाई करने जा रहे हैं, तो किसान भाई कुछ महत्वपूर्ण बातों को जरूर ध्यान में रखें.
मिट्टी परीक्षण: डॉ कमलेश बताते हैं कि गेहूं की बुवाई करने से पहले हमें खेत का मिट्टी परीक्षण जरूर कर लेना चाहिए. मिट्टी परीक्षण करने से किसान भाइयों को पता चल जाता है कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है और कैसे यह कमी पूरी कर सकते हैं.
फसल चक्र: डॉक्टर कमलेश बताते हैं कि रबी सीजन की बुवाई करने से पहले हमें फसल चक्र को जरूर समझ लेना चाहिए. अगर आपने खरीफ सीजन में अपने खेत में दलहन की फसलें लगाई हैं, तो अब उस खेत में अनाज या तिलहन की फसलें लगा सकते हैं और जिस खेत में तिलहन फसलें उगाई थीं, उस खेत में तिलहनी नहीं बल्कि दलहनी फसलें लगा सकते हैं.
बीज उपचार: वह आगे बताते हैं कि गेहूं की बोवनी करने से पहले बीज उपचार करना जरूरी होता है क्योंकि अगर बीज में रोग लगा है, तो अंकुरित पौधे भी खराब होंगे, जिससे पूरी फसल खराब हो सकती है. किसान भाइयों को बीज उपचार के बारे में जरूर पता होना चाहिए.
खाद: डॉ कमलेश बताते हैं कि किस खाद का इस्तेमाल करना है, यह फसल पर निर्भर करता है. अगर आप तिलहन वाली फसलें जैसे- सरसों, अलसी आदि लगाते हैं, तो सल्फर वाली खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं.
सिंचाई: वह आगे बताते हैं कि गेहूं की सिंचाई मिट्टी पर निर्भर करती है कि आपके यहां मिट्टी कैसी है. काली मिट्टी है या लाल दोमट मिट्टी है. जहां काली मिट्टी होती है, वहां सिंचाई की जरूरत कम होती है लेकिन जहां लाल मिट्टी होती है यानी कि भुरभुरी, वहां तीन से चार बार पानी की जरूरत होती है. साथ ही गेहूं की सिंचाई मानसून पर भी निर्भर करती है.
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