दोस्ती हो तो ऐसी: दोनों ने 1 लाख से शुरू किया था बिजनेस, आज करोड़ों का टर्नओवर

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Khandwa News: नवनीत और सुनील ने सिर्फ एक लाख रुपये से शुरुआत की लेकिन उनका मकसद बड़ा था. उनका लक्ष्य किसानों को ऐसा मार्गदर्शन देना था, जो उन्होंने अपनी पढ़ाई और अनुभव से हासिल किया था. आज ‘जय किसान कृषि क्लिनि…और पढ़ें

खंडवा. कहते हैं असली दोस्ती वही होती है, जो हर हाल में साथ खड़ी रहे, चाहें वो खेत की मिट्टी हो या बिजनेस की मंडी. ऐसी ही मिसाल पेश की है मध्य प्रदेश के खंडवा के नवनीत रेवा पाटी और सुनील पटेल ने, जिनकी दोस्ती ने हर किसी का दिल जीत लिया है. मित्रता दिवस के खास मौके पर जानते हैं, इन दो किसानों के बेटों की अनोखी और प्रेरणादायक कहानी कि कैसे एक लाख रुपये से शुरू हुआ उनका सपना आज करोड़ों के कारोबार में बदल गया है. साल 2004, जगह इंदौर. नवनीत और सुनील कृषि क्षेत्र में करियर बनाने की तैयारी में जुटे थे. एक कोचिंग सेंटर में मुलाकात हुई और वहीं से दोस्ती की नींव पड़ गई. नवनीत जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय चले गए, तो सुनील खंडवा के भगवंतराव कृषि महाविद्यालय में पढ़ाई करने लगे लेकिन मन नहीं माना और एक साल बाद नवनीत ने भी ट्रांसफर लेकर खंडवा में एडमिशन ले लिया.

साल 2012, दोनों ने सरकारी नौकरी छोड़कर जोखिम उठाया और किसानों के लिए कुछ करने की ठानी. शुरुआत की एक छोटे से प्लेटफॉर्म से, मात्र एक लाख रुपये से लेकिन मकसद बड़ा था. किसानों को ऐसा मार्गदर्शन देना था, जो उन्होंने अपनी पढ़ाई और अनुभव से सीखा था. आज खंडवा के जलेबी चौक स्थित ‘जय किसान कृषि क्लिनिक’ एक जाना-माना नाम है. किसान भाइयों का भरोसा और मेहनत का फल आज करोड़ों के टर्नओवर में बदल चुका है.

लोग कहते हैं- ऐसी जोड़ी नहीं देखी
खंडवा के बाजार में आज लोग कहते हैं कि ऐसी जोड़ी नहीं देखी. पहली बार ऐसे पार्टनर देखे हैं, जिनके बीच कभी मतभेद या शिकायत नहीं आई. न ईर्ष्या, न अलगाव की चर्चा. दोनों का वादा है कि वे मरते दम तक साथ रहेंगे. नवनीत बताते हैं कि वह ग्राम बासवा से हैं और उनका पूरा परिवार खेती करता है. यही कारण रहा कि हमने किसानों के लिए ही कुछ करने की सोची. सुनील ने कहा कि वह कोरगला गांव के रहने वाले हैं. पढ़ाई पूरी कर ली थी लेकिन नौकरी में दिल नहीं लगा. जब नवनीत के साथ फिर जुड़ा, तो महसूस हुआ कि यही सही रास्ता है.

मित्रता दिवस पर संदेश
दोनों कहते हैं कि मित्रता सिर्फ सेल्फी और पोस्ट तक सीमित नहीं होनी चाहिए. सच्चा दोस्त वही है, जो आपका बोझ बांटे, जो हर मुश्किल में सबसे पहले याद आए. बहरहाल खंडवा की यह जोड़ी सिर्फ बिजनेस पार्टनर ही नहीं बल्कि दोस्ती की एक आदर्श जोड़ी बन चुकी है. नवनीत और सुनील जैसे दोस्त मिल जाएं, तो न संघर्ष भारी लगता है और न सफर लंबा लगता है. इस जोड़ी ने मित्रता दिवस की सभी को शुभकामनाएं दी हैं.

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