बता दें कि, देशभर में सांप की लगभग 400 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें करीब 60 प्रजातियां बहुत विषैली हैं. रसेल वाइपर, इंडियन कोबरा, इंडियन कॉमन करैत और सॉ स्केल्ड वाइपर सबसे खतरनाक माने जाते हैं. अब सवाल है कि आखिर सांप काट ले तो कितनी जल्दी एंटी वेनम इंजेक्शन गलवाना जरूरी? सांप काटने पर कौन से अंग प्रभावित होते हैं? एंटी वेनम की कितनी डोज लगती है? कितने तरह का होता है जहर? इस बारे में News18 को बता रहे हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप सिंह-
डॉ. दिलीप सिंह बताते हैं कि, सांप के काटने पर इलाज के तौर पर स्नेक एंटीवेनम इंजेक्शन दिया जाता है, जो एक प्रिस्क्रिप्शन दवा है. इसे सांप के काटने में सबसे असरदार दवा माना जाता है. इसे चार जहरों का एक संयोजन माना जाता है. ये जहर को निष्क्रिय करती है और जहरीले सांपों को काटने के बाद भी आपको जीवनदान देता है.
डॉक्टर के मुताबिक, गैर-विषैले सांप (Non Poisonous Snakes) के काटने पर एंटी वेनम इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है. पर विषैला सांप (Poisonous Snakes) काटने पर तुरंत एंटी वेनम इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ती है. यानी अगर कोबरा या करैत जैसे सांप ने डंस लिया तो 30 से 40 मिनट के अंदर एंटी वेनम इंजेक्शन लगना जरूरी है. अगर इससे भी पहले एंटी वेनम इंजेक्शन मिल जाए तो और जल्दी फायदा मिलने की संभावना रहती है. कुछ केसेज में 24 घंटे के अंदर भी एंटी वेनम दिया जा सकता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, एंटी वेनम लगने से पहले हमें यह समझना होगा कि सांप का विष कैसा होता है और क्या असर डालता है? क्योंकि, सांप का विष दो तरह का होता है. कार्डियोटॉक्सिक को न्यूरोटॉक्सिक, जो नर्वस सिस्टम से लेकर कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम प्रभावित करते हैं. कार्डियोटॉक्सिक के केस में हार्ट फेल हो सकता है, हार्ट रेट बढ़ सकता है, बीपी हाई या लो हो सकती है. इसी तरह न्यूरोटॉक्सिक के केस में बेहोशी, मूर्छा, हाई ग्रेड फीवर की दिक्कत हो सकती है.
डॉक्टर की मानें तो, सांप काटने के बाद किसी व्यक्ति को एंटी वेनम इंजेक्शन की कितना डोज लगेगी, यह उसकी हालत पर निर्भर करता है. कुछ मरीजों में विष का असर कम होता है. उन्हें एक ही डोज देनी पड़ती है. पर कुछ की हालत ज्यादा गंभीर होती है तो उन्हें फॉलोअप डोज भी देनी पड़ती है, जो तीन-चार तक हो सकता है. कई बार सांप अगर ज्यादा जहरीला होता है तो बड़ी मात्रा में एंटी वेनम की जरूरत पड़ती है. क्योंकि प्रत्येक खुराक में एंटीबॉडी की संख्या कम हो सकती है.
न्यूरोटॉक्सिन जहर: न्यूरोटॉक्सिन वेनम नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है. जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा और मृत्यु भी हो सकती है. न्यूरोटॉक्सिन आमतौर पर कोबरा, करैत, और वाइपर जैसे सांपों में पाया जाता है.
हेमोटॉक्सिन जहर: यह जहर रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे रक्तस्राव, ऑर्गन फेल्योर और मृत्यु भी हो सकती है. हेमोटॉक्सिन आमतौर पर रसेल वाइपर, टाइगर स्नेक, और किंग कोबरा जैसे सांपों में पाया जाता है.
साइटोटॉक्सिक जहर: यह जहर टीश्यूज को नष्ट कर देता है, जिससे सूजन, दर्द और मृत्यु भी हो सकती है. साइकोटॉक्सिक जहर आमतौर पर रैटल स्नेक, बोआ कंस्ट्रक्टर, और अजगर जैसे सांपों में पाया जाता है.