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Agriculture News: जब मक्के की फसल को एक महीने से ऊपर हो जाता है और पौधे ग्रोथ करने लगते हैं, तब उस समय पौधे में नई पुंगी बनती हैं. इन कोमल और मीठी पत्तियों को खाने के लिए इल्ली का प्रकोप अचानक बढ़ जाता है.
जब मक्का की फसल एक महीने से ऊपर की हो जाती है और पौधे ग्रोथ करते हैं, तब उस समय पौधे में जो नई पुंगी बनती हैं, तो इन कोमल और मीठी पत्तियों को खाने इल्ली का प्रकोप एकाएक बढ़ जाता है. अगर समय रहते इनको कंट्रोल नहीं किया जाता, तो फिर भयानक परिणाम भी देखने को मिलते हैं. ऐसे में किसान भाई इल्ली को कंट्रोल करने के लिए अलग-अलग तरह की दवाओं को फसल पर स्प्रे करते हैं.
मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं पेस्टीसाइड्स
कृषि अधिकारी और वैज्ञानिक बताते हैं कि किसान फसल को इल्ली से बचाने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट, डिऑक्सी, क्लोरेंट्रानिलिप्रोल, थियामेथोक्सम, लैम्ब्डा-साइहेलोथ्रिन और फिप्रोनिल जैसे कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. वहीं किसानों द्वारा पेस्टीसाइड्स का भी बहुतायत इस्तेमाल किया जाता है, जिसका असर तो बहुत जल्दी दिखाई देने लगता है लेकिन यह मिट्टी के लिए काफी नुकसानदेह होता है. ये मिट्टी की उर्वरक शक्ति को कम करते हैं लेकिन उसके बाद भी किसान बाजारों में मिलने वाले इन पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल करते हैं.
पत्तियों की कटिंग और आसपास गंदगी इसकी पहचान
इल्ली फाल आर्मीवॉर्म FAW होती है, जो पत्तियों को खा जाती है. इसकी पहचान पत्तियों की कटिंग और उनके आसपास गंदगी का मिलना होता है. मक्के में शुरुआत से ही कीट प्रकोप होता है. फिर वह चलता रहता है. किसानों को कीटों की निगरानी अंतिम समय तक करनी होती है.
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