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Unique Business Idea: बुरहानपुर के किसान सूपडू चौहान ने केले की खेती के साथ नीम-एलोवेरा से हर्बल साबुन बनाना शुरू किया. ₹20 का साबुन लोगों में खूब लोकप्रिय हो रहा है. हर महीने 600-700 साबुन बेचकर वे हजारों की क…और पढ़ें
मोहन ढाकले, बुरहानपुर: कहते हैं कि अगर जज़्बा हो तो खेती सिर्फ अनाज तक सीमित नहीं रहती, बल्कि नए-नए प्रयोग करके किसान खुद के लिए रोजगार और पहचान दोनों बना सकते हैं. मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के एकझिरा गांव के किसान सूपडू चौहान (जिन्हें लोग प्यार से किसना भी कहते हैं) ने ऐसा ही एक कमाल कर दिखाया है. पिछले चार सालों से केले की प्राकृतिक खेती कर रहे सूपडू चौहान ने अब खेती के साथ-साथ नवाचार करते हुए नीम और एलोवेरा से हर्बल साबुन बनाना शुरू कर दिया है.
यूट्यूब से मिली प्रेरणा
लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था, सूपडू ने मोबाइल पर एक वीडियो देखा जिसमें नीम और एलोवेरा से साबुन बनाने की विधि बताई गई थी. उन्होंने सोचा क्यों न इसे आज़माया जाए? शुरुआत में उन्होंने छोटे पैमाने पर प्रयोग किया और सफल होने के बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया.
कैसे बनता है साबुन?
सूपडू बताते हैं कि नीम के पत्ते, एलोवेरा जेल और ग्लिसरीन मिलाकर मैं साबुन तैयार करता हूँ. इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं होता, इसलिए यह पूरी तरह हर्बल और स्किन-फ्रेंडली है. खासतौर पर पिंपल्स और फुंसी की समस्या में यह बेहद कारगर साबित होता है.
सूपडू बताते हैं कि नीम के पत्ते, एलोवेरा जेल और ग्लिसरीन मिलाकर मैं साबुन तैयार करता हूँ. इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं होता, इसलिए यह पूरी तरह हर्बल और स्किन-फ्रेंडली है. खासतौर पर पिंपल्स और फुंसी की समस्या में यह बेहद कारगर साबित होता है.
एक बार प्रक्रिया पूरी करने में करीब 15 दिन लगते हैं. एक बैच में 200 से 300 साबुन तैयार किए जाते हैं. बाजार में इनकी कीमत ₹20 प्रति पीस है.
कितनी कमाई हो रही है?
किसान सूपडू चौहान हर महीने 600 से 700 साबुन बेचते हैं. वह इन्हें घर-घर और दुकानों तक जाकर सप्लाई करते हैं. इस तरह से उनकी महीने की अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है.किसान कहते हैं कि खेती से जितनी खुशी और संतोष मिलता है, उतनी ही खुशी तब होती है जब लोग मेरा साबुन इस्तेमाल करके कहते हैं कि इससे फायदा हुआ. यही मेरे लिए सबसे बड़ी कमाई है.”
किसान सूपडू चौहान हर महीने 600 से 700 साबुन बेचते हैं. वह इन्हें घर-घर और दुकानों तक जाकर सप्लाई करते हैं. इस तरह से उनकी महीने की अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है.किसान कहते हैं कि खेती से जितनी खुशी और संतोष मिलता है, उतनी ही खुशी तब होती है जब लोग मेरा साबुन इस्तेमाल करके कहते हैं कि इससे फायदा हुआ. यही मेरे लिए सबसे बड़ी कमाई है.”
प्राकृतिक खेती से डबल फायदा
केले की खेती में सूपडू सिर्फ जैविक खाद और प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. इससे फसल की गुणवत्ता बेहतर रहती है और अब उनके इस हर्बल साबुन कारोबार ने उनकी पहचान और आमदनी दोनों को दोगुना कर दिया है.
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