शहर ने शुक्रवार को इतिहास रचते हुए मानवता को सलाम किया। पहली बार किसी देहदानी को गार्ड ऑफ ऑनर देकर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। यह सम्मान मिला जवाहर मार्ग निवासी स्व. अशोक वर्मा को, जिनका गुरुवार देर रात निधन हो गया था। स्व. वर्मा ने 2011
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उनके निधन के तुरंत बाद परिजनों ने समिति से संपर्क किया। नेत्र और त्वचा दान की कोशिश की गई, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हो पाया। उनकी पार्थिव देह अरविंदो मेडिकल कॉलेज को सौंप दी गई।
महर्षि दधीचि समिति के संस्थापक नंदकिशोर व्यास ने कहा कि स्व. वर्मा सच्चे अर्थों में समाजसेवी थे। मन, वचन और कर्म से उन्होंने मानव धर्म निभाया।
नई नीति के तहत मिला गार्ड ऑफ ऑनर यह राजकीय सम्मान सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा 1 जुलाई 2025 को घोषित नई नीति के तहत दिया गया। जिसके तहत देहदानियों को गार्ड ऑफ ऑनर देने का निर्णय कैबिनेट से पारित हुआ था।
सभी से भरवाते थे संकल्प पत्र वर्मा सिर्फ संकल्पकर्ता नहीं थे, बल्कि समाज के लिए जीने वाले सच्चे कर्मयोगी थे। जब उनके युवा पुत्र की अकाल मृत्यु हुई, तब भी उन्होंने उसका देहदान कर मानव सेवा का उदाहरण दिया। उन्होंने अपनी विधवा बहू का पुनर्विवाह बेटी की तरह कन्यादान कर करवाया। उनकी राजवाड़ा क्षेत्र में स्थित दवा दुकान में वर्षों से देहदान-अंगदान का बड़ा पोस्टर लगा हुआ था।
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