चिकनगुनिया का टेस्ट कैसे किया जाता है? कौन से लक्षण दिखने पर करानी चाहिए जांच, डॉक्टर से समझ लीजिए

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Chikungunya Symptoms & Test: चिकनगुनिया एक वायरस इंफेक्शन है और इसकी चपेट में आने पर तेज बुखार, जोड़ों में दर्द और शरीर पर चकत्ते जैसे लक्षण नजर आते हैं. ये लक्षण दिखने पर RT-PCR या ELISA टेस्ट करवा सकते हैं.

चिकनगुनिया का टेस्ट कैसे किया जाता है? कौन से लक्षण दिखने पर करानी चाहिए जांचचिकनगुनिया के लक्षण दिखने पर 2-3 दिनों में इसका टेस्ट करा लेना चाहिए.
Tips To Prevent Chikungunya: बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है. इस मौसम में मच्छर पनप जाते हैं और मच्छरों के काटने से मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया समेत कई तरह की बीमारी हो जाती हैं. चिकनगुनिया भी एक इसी तरह का इंफेक्शन है, जो बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. चिकनगुनिया के लक्षण अक्सर डेंगू या वायरल फीवर से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे सही समय पर पहचान करना मुश्किल हो सकता है. आज डॉक्टर से जानने की कोशिश करेंगे कि चिकनगुनिया की जांच कैसे की जाती है, कौन-से टेस्ट कराए जाते हैं और कौन से लक्षण दिखने पर चिकनगुनिया की जांच करा लेनी चाहिए.

नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने News18 को बताया कि चिकनगुनिया एक वायरल इंफेक्शन है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है. संक्रमित मच्छर के काटने के कुछ दिनों बाद चिकनगुनिया के लक्षण नजर आने लगते हैं. चिकनगुनिया की चपेट में आने पर लोगों को तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, अत्यधिक थकान, सिरदर्द और स्किन पर चकत्ते जैसी समस्याएं होने लगती हैं. बरसात के मौसम में यह संक्रमण सबसे ज्यादा फैलता है, क्योंकि इस वक्त मच्छर ज्यादा हैं. अगर किसी को लगातार 2-3 दिन तक बुखार आए और चिकनगुनिया जैसे लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर चिकनगुनिया की जांच कराएं.

डॉ. रावत ने बताया कि चिकनगुनिया को डिटेक्ट करने के लिए ब्लड टेस्ट किए जाते हैं. इसमें एक RT-PCR टेस्ट और दूसरा IgM ELISA टेस्ट है. RT-PCR टेस्ट में वायरस का जीनोम डिटेक्ट किया जाता है और यह शुरुआती 5-7 दिनों में किया जाता है. जबकि IgM ELISA एंटीबॉडी टेस्ट होता है, जो शरीर में वायरस से लड़ने के लिए बने एंटीबॉडी की पहचान करता है. यह लक्षण शुरू होने के 4-5 दिन बाद किया जाता है. इन दोनों जांचों के जरिए यह तय किया जा सकता है कि मरीज को चिकनगुनिया है या नहीं. इसी के आधार पर फिर इलाज किया जाएगा.

एक्सपर्ट की मानें तो चिकनगुनिया का ट्रीटमेंट लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बुखार के लिए पैरासिटामोल दवा दी जाती है, जबकि दर्द होने पर पेनकिलर दिया जाता है. इस बीमारी को कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं होता है. दवाओं के अलावा चिकनगुनिया से निजात पाने के लिए मरीज को आराम करने, भरपूर पानी पीने और हल्का खाना खाने की सलाह दी जाती है. कुछ मामलों में जोड़ों का दर्द हफ्तों या महीनों तक बना रह सकता है, इसलिए फॉलो-अप जरूरी होता है.

अब सवाल है कि चिकनगुनिया से बचाव कैसे करें? इस पर डॉक्टर ने बताया कि यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है, इसलिए बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है. घर और आसपास पानी इकट्ठा न होने दें, रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, शरीर को ढककर रखें और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे लगाएं. बरसात के मौसम में खास सतर्कता बरतना जरूरी है, क्योंकि इस मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं. चिकनगुनिया एक गंभीर बीमारी है और इसे लेकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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