बच्‍चों को मीठा देना कितना सही? ऐसे बनाएं बचपन से उन्‍हें ‘शुगर स्‍मार्ट’, मोटापा और बीमारियां रहेंगी दूर

Sugar Intake In Children: हमारे देश में जब बच्‍चे कुछ अचीव करते हैं तो उन्‍हें पुरस्‍कार के रूप में कुछ मीठा खाने जैसे मिठाई या चॉकलेट देना आम बात है. बच्‍चे ने अगर होमवर्क पूरा किया तो उसे आइसक्रीम दे दो, अच्‍छे नंबर आए तो चॉकलेट या बर्थडे पर बड़ा सा केक ला दो! लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि बचपन में ज्‍यादा मीठा खिलाना आगे चलकर बड़ी हेल्‍थ प्रॉब्‍लम बन सकता है? एक नई स्‍टडी कहती है कि अगर बच्‍चों को शुरू से ही शुगर कम दी जाए, तो उन्‍हें डायबिटीज और मोटापे का खतरा बहुत हद तक कम हो सकता है. डॉक्‍टर भी मानते हैं कि ज्‍यादा चीनी से बच्‍चों को पेट की समस्‍याएं, फैटी लिवर और मूड स्‍विंग्स तक हो सकते हैं.

तो कितना मीठा देना ठीक है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक बच्चों की कुल कैलोरी का सिर्फ 5% हिस्सा ही चीनी से आना चाहिए. इसका मतलब है कि एक दिन में 4 से 5 छोटे चम्मच से ज्यादा शुगर नहीं देनी चाहिए. ज़्यादा चीनी बच्चों में मोटापा, डायबिटीज और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है. खास बात ये है कि अगर बच्चा दो साल से छोटा है, तो उसे बिल्कुल भी ऐडेड शुगर नहीं दी जानी चाहिए. छोटे बच्चों का शरीर नाजुक होता है और उनका सिस्टम प्रोसेस्ड या मिलावटी शुगर को पचाने के लिए तैयार नहीं होता, इसलिए खास ध्यान देना जरूरी है.

नेचुरल और मिलावटी शुगर में फर्क
TOI के मुताबिक, नेचुरल शुगर यानी प्राकृतिक मिठास दूध, फल और सब्जियों में पाई जाती है, जिसमें जरूरी पोषक तत्व जैसे फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं. ये शरीर के लिए फायदेमंद होती है और धीरे-धीरे पचती है. वहीं मिलावटी या ऐडेड शुगर बिस्किट, फ्लेवर दही, सॉस, पैक्ड जूस, नमकीन जैसी चीजों में डाली जाती है. इसमें सिर्फ खाली कैलोरी होती हैं, जो शरीर को न तो पोषण देती हैं और न ही ऊर्जा का अच्छा स्रोत होती हैं. यही शुगर मोटापा, डायबिटीज और दांतों की समस्याएं बढ़ाने का बड़ा कारण बनती है.

मीठे को कंट्रोल कैसे करें?
बच्‍चों को मीठे की लत लगने से बचाने के लिए जरूरी है कि रोजाना मीठा न दिया जाए. अगर किसी दिन पार्टी में केक खाया है, तो उस दिन और कोई मीठी चीज न दें.

आइसक्रीम, चॉकलेट जैसी चीजें महीने में 2-3 बार ही दें, रोज नहीं. इसके बजाय बच्‍चों को फल, ड्राई फ्रूट, मखाने, पीनट बटर या होममेड हेल्‍दी स्‍नैक्‍स की आदत डालें.

जब मीठे की क्रेविंग हो, तो गुड़, खजूर जैसे हेल्‍दी ऑप्‍शन चुनें. इस तरह धीरे-धीरे उनकी टेस्ट हैबिट बदलकर उन्‍हें ‘शुगर स्‍मार्ट’ बनाया जा सकता है, जो आगे चलकर उनकी हेल्‍थ के लिए फायदेमंद होगा.

मीठा पूरी तरह बंद करना जरूरी नहीं
बाजार में रंगीन पैक और टीवी ऐड देखकर बच्‍चे अक्‍सर मीठी चीजों की डिमांड करते हैं. ऐसे में पेरेंट्स की जिम्‍मेदारी है कि वे अपने बच्‍चों को शुरू से हेल्‍दी खाने की आदत सिखाएं.

इस तरह अगर हम आज से ही बच्‍चों को ‘शुगर स्‍मार्ट’ बना दें, तो आगे चलकर न सिर्फ वो बीमारियों से दूर रहेंगे, बल्कि एक्टिव और खुशमिजाज भी रहेंगे.

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *