तो कितना मीठा देना ठीक है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक बच्चों की कुल कैलोरी का सिर्फ 5% हिस्सा ही चीनी से आना चाहिए. इसका मतलब है कि एक दिन में 4 से 5 छोटे चम्मच से ज्यादा शुगर नहीं देनी चाहिए. ज़्यादा चीनी बच्चों में मोटापा, डायबिटीज और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है. खास बात ये है कि अगर बच्चा दो साल से छोटा है, तो उसे बिल्कुल भी ऐडेड शुगर नहीं दी जानी चाहिए. छोटे बच्चों का शरीर नाजुक होता है और उनका सिस्टम प्रोसेस्ड या मिलावटी शुगर को पचाने के लिए तैयार नहीं होता, इसलिए खास ध्यान देना जरूरी है.
TOI के मुताबिक, नेचुरल शुगर यानी प्राकृतिक मिठास दूध, फल और सब्जियों में पाई जाती है, जिसमें जरूरी पोषक तत्व जैसे फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं. ये शरीर के लिए फायदेमंद होती है और धीरे-धीरे पचती है. वहीं मिलावटी या ऐडेड शुगर बिस्किट, फ्लेवर दही, सॉस, पैक्ड जूस, नमकीन जैसी चीजों में डाली जाती है. इसमें सिर्फ खाली कैलोरी होती हैं, जो शरीर को न तो पोषण देती हैं और न ही ऊर्जा का अच्छा स्रोत होती हैं. यही शुगर मोटापा, डायबिटीज और दांतों की समस्याएं बढ़ाने का बड़ा कारण बनती है.
बच्चों को मीठे की लत लगने से बचाने के लिए जरूरी है कि रोजाना मीठा न दिया जाए. अगर किसी दिन पार्टी में केक खाया है, तो उस दिन और कोई मीठी चीज न दें.
आइसक्रीम, चॉकलेट जैसी चीजें महीने में 2-3 बार ही दें, रोज नहीं. इसके बजाय बच्चों को फल, ड्राई फ्रूट, मखाने, पीनट बटर या होममेड हेल्दी स्नैक्स की आदत डालें.
मीठा पूरी तरह बंद करना जरूरी नहीं
बाजार में रंगीन पैक और टीवी ऐड देखकर बच्चे अक्सर मीठी चीजों की डिमांड करते हैं. ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को शुरू से हेल्दी खाने की आदत सिखाएं.
इस तरह अगर हम आज से ही बच्चों को ‘शुगर स्मार्ट’ बना दें, तो आगे चलकर न सिर्फ वो बीमारियों से दूर रहेंगे, बल्कि एक्टिव और खुशमिजाज भी रहेंगे.
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