भारत में बनने वाले iPhone पर कितना रहेगा टैरिफ का असर? CEO टिम कुक ने किया खुलासा

Donald Trump New Tariff: आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने कारोबारी साल 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए अपने नतीजे का ऐलान कर दिया है. इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 94.04 बिलियन डॉलर (लगभग 8.21 लाख करोड़ रुपये) दर्ज किया गया, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 10 परसेंट ज्यादा है. जबकि, वॉल स्ट्रीट ने लगभग 89 बिलियन डॉलर (लगभग 7.77 लाख करोड़ रुपये) के रेवेन्यू का अनुमान लगाया था. 

अमेरिका की ट्रेड पॉलिसीज का दबाव

साल 2021 के बाद पहली बार कंपनी के ग्रोथ में इस कदर उछाल आया है, जो इसकी मजबूती से वापसी की ओर इशारा करती है. हालांकि, इस बीच एप्पल के सीईओ टिम कुक ने भारत सहित दुनियाभर में तैयार किए जा रहे इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स पर अमेरिका के लगाए गए टैरिफ के बढ़ते दबाव का जिक्र किया.

कंपनी के तिमाही नतीजे का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर iPhone भारत में बनाए जाते हैं. ऐसे में एप्पल भी अमेरिका की ट्रेड पॉलिसीज की नई लहर से पैदा हुए फाइनेंशियल प्रेशर से अछूता नहीं है. 

कंपनी को है टैरिफ के बढ़ते बोझ की फिक्र

कंपनी के सीईओ ने कहा, ”iPhone के लिए उसके सबसे तेजी से उभरते बाजारों में भारत भी शामिल हैं. एप्पल के भी ज्यादातर प्रोडक्ट धारा 232 के तहत जांच के दायरे में आते हैं. साथ ही अकेले चौथी तिमाही में ही 1.1 अरब डॉलर टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. भले ही एप्पल ने अपने आईफोन प्रोडक्शन का एक बड़ा हिस्सा भारत में शिफ्ट कर दिया है, लेकिन टैरिफ का बोझ अभी भी बना हुआ है, खासकर चीन को निशाना बनाते हुए लगाया गया IEEPA (इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट) टैरिफ की वजह से.”

बता दें कि IEEPA 1977 में बना एक कानून है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर प्रतिबंध या संपत्ति जब्त करने के लिए होता है, लेकिन ट्रंप ने इसका उपयोग टैरिफ लगाने के लिए किया.

कुक को ट्रंप ने दी थी धमकी

कुक ने कहा, “अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर आईफोन अब भारत में ही बनते हैं. अमेरिका में बिकने वाले मैक, आईपैड और वॉच मुख्य रूप से वियतनाम में बनते हैं. इसके अलावा, दूसरे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भेजे जाने वाले प्रोडक्ट्स अभी भी बड़े पैमाने पर चीन से ही आते हैं.” इधर, ट्रंप भारत में एप्पल के कारखाने लगाए जाने के सख्त खिलाफ हैं.

उन्होंने कंपनी के सीईओ से कहा था कि भारत सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से हैं इसलिए वह नहीं चाहते हैं कि एप्पल के प्रोडक्ट्स भारत में बनाए जाए. उन्होंने कुक को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ के जरिए चेतावनी देते हुए कहा भी था कि अगर आईफोन का निर्माण अमेरिका से बाहर किया जाता है, तो कंपनी को कम से कम 25 परसेंट टैरिफ का भुगतान करना पड़ेगा.

एप्पल का भारत में बढ़ रहा दायरा

इसके बावजूद भी देश की नीति, लागत और टैलेंट के चलते भारत आईफोन प्रोडक्शन का हब बनता जा रहा है. कंपनी को भारत में सरकार की मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं लुभा रही हैं और चीन के मुकाबले भारत में इम्पोर्ट टैक्स और लेबर कॉस्ट सरकार की मदद से भी कम हैं इसलिए कंपनी सरकार की मदद से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेजी से डेवलप कर रही है. 

अमेरिका में भी निवेश का प्लान

इन चुनौतियों के बावजूद कुक ने अगले चार सालों में अमेरिका में 500 अरब डॉलर के बड़े निवेश की भी घोषणा की. उन्होंने अपने एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग फंड को दोगुना करने से लेकर टेक्सास में एक नई एआई सर्वर फैक्ट्री लगाने का भी ऐलान किया है. 

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