कितना फायदेमंद होता है एंटी-ग्लेयर ब्लू कट चश्मा? सच में आंखों को रखता है सेफ? डॉक्टरों ने किया खुलासा

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Do Blue cut glasses really work: अगर आप भी लैपटॉप, डेस्‍कटॉप या फोन चलाते वक्‍त ब्‍लू कट ग्‍लासेज पहनते हैं और सोचते हैं क‍ि इससे आंखों की सुरक्षा होती है तो आपको जानकारी दुरुस्‍त करने की जरूरत है. आई स्‍पेशलिस…और पढ़ें

क्‍या सच में ब्‍लू कट चश्‍मे आंखों की सुरक्षा करते हैं.

हाइलाइट्स

  • ब्लू कट चश्मा पहनना जरूरी नहीं है.
  • स्क्रीन से ब्लू लाइट आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाती.
  • हर घंटे स्क्रीन से ब्रेक लेकर दूर देखें.
Do Blue light glasees actually work: आजकल बहुत सारे लोग जो लंबे समय तक स्क्रीन्स देखते हैं और जिन्हें भले ही विजन की समस्या नहीं है, वे एक से एक महंगे एंटी ग्लेयर, ब्लू कट चश्मे पहनते हैं. कुछ लोगों को तो इन चश्मों की इतनी आदत हो चुकी होती है कि अगर वे इसे पहने बिना लैपटॉप, फोन या कोई स्क्रीन देखते हैं तो उन्हें सिरदर्द जैसा महसूस होने लगता है. इसके पीछे एक आम धारणा है कि लैपटॉप या डेस्कटॉप पर काम करते समय उससे निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों को नुकसान पहुंचाती है लेकिन ब्लू कट चश्मा उसे रोक देता है और आंखें बच जाती हैं.

आमतौर पर चश्मा बेचने वाला हर दुकानदार भी ब्लू कट ग्लासेज को आंखों का बेस्ट कवच बताकर बेचता है. लेकिन क्या आपने कभी किसी डॉक्टर से पूछा है कि एंटी-ग्लेयर-ब्लू लाइट फिल्टर चश्मा पहनना क्या वास्तव में जरूरी है, क्या ये सच में फायदेमंद होते हैं और इनसे आंखों की सेफ्टी होती है? नहीं! तो आइए डॉक्टरों से ही जानते हैं.

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दिल्ली के जाने-माने आई स्पेशलिस्ट डॉ. अजय दबे बताते हैं कि दो तरह की ब्लू लाइट्स होती हैं. इनमें से एक आंखों के लिए नुकसानदेह होती है, जबकि दूसरी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती. फिजिक्स कहती है कि आजकल आ रहे टीवी और मोबाइल फोन्स के स्क्रीन से जो ब्लू लाइट निकलती है वह नॉन हार्मफुल जोन में आती है. ये ब्लू लाइट उस रेंज की नहीं होती कि हमारी आंखों को खराब कर दें, रेटिना पर असर डाले या नजर को कमजोर कर दे. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि स्क्रीन हमारी आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाती, ये आंखों को खराब करती है लेकिन इसकी वजह दूसरी है.

दिल्ली मुखर्जी आई क्लीनिक के सीनियर कंसल्टेंट, आई सर्जन डॉ. राजीव मुखर्जी बताते हैं कि हमारी आंख के अंदर इतना मजबूत मैकेनिज्म होता है कि वह ब्लू लाइट या अन्य प्रकार की लाइट्स और किरणों से आंखों की सुरक्षा खुद करता है. कई स्टडीज में पाया गया है कि स्क्रीन्स की ब्लू लाइट के खिलाफ आंखों को एक्सट्रा प्रोटेक्शन की कोई जरूरत नहीं है. अगर आप रोजाना लैपटॉप, फोन, टीवी या डेस्कटॉप की स्क्रीन पर लंबे समय तक काम करते हैं, तो कोई जरूरी नहीं है कि आप एंटी ग्लेयर-ब्लू लाइट फिल्टर या ब्लू कट चश्मा लगाएं. नहीं लगाएंगे तो भी आंखों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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ब्लू लाइट नहीं तो क्या है खतरा

डॉ. राजीव कहते हैं कि आंखों के लिए स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट खतरा नहीं है. बल्कि लोगों का उस स्क्रीन को देखने का तरीका गलत है, जिसकी वजह से आंखों की दर्जनों बीमारियां हो जाती हैं. आजकल लोग आंखों से 33 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर स्क्रीन रखकर लंबे समय तक लगातार देखते हैं. चाहे फोन हो या लैपटॉप, बिना ब्रेक के लगातार कई घंटों तक स्क्रीन देखते रहने से मायोपिया और ड्राई आईज की समस्या सबसे तेजी से बढ़ रही है. इसकी वजह से आंखों में माइनस नंबर बढ़ जाता है और दूर की चीजें या तो धुंधली दिखाई देती हैं या दूर की नजर इतनी कमजोर हो जाती है कि कुछ दिखाई नहीं पड़ता.

स्वस्थ रखनी हैं आंखें तो करें बस एक काम
डॉ. मुखर्जी कहते हैं कि अगर आपको स्क्रीन भी देखनी है और आंखें स्वस्थ रखनी हैं तो इसका सबसे सीधा फंडा है कि हर एक घंटे तक स्क्रीन देखने के बाद आप सीट से खड़े होकर बाहर लंबी दूरी तक देखें. ऐसा आप हर एक घंटे के बाद 5 मिनट तक करें. बहुत सारे लोग स्क्रीन से ब्रेक लेने के बाद फोन चेक करने लगते हैं और इस तरह आंखों को आराम देने के बजाय फिर से स्क्रीन ही देख रहे होते हैं. ये गलती बिल्कुल न करें.

प्रिया गौतमSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस…और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस… और पढ़ें

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