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देहरादून. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आपने कई बार झाड़ियों में खिले पीले रंग के छोटे फूल देखे होंगे, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन, यही फूल जिसे स्थानीय भाषा में सिंहपर्णी और अंग्रेज़ी में डंडेलियन कहा जाता है, सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. इसकी जड़, पत्तियां और फूल सब औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों से लड़ने में कारगर साबित हो सकते हैं.
जो लोग शुगर की दवाई खाकर परेशान हो चुके हैं वह लोग इसका सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह डायबिटीज को कंट्रोल करता है. इतना ही नहीं एंटी कैंसर प्रॉपर्टी वाली इसकी जे कीमोथेरेपी जितनी असरकार होती है.

हिमालय पर कई प्राकृतिक औषधीय पौधे पाए जाते हैं जिनका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों से निपटने के लिए किया जाता है. ऐसा ही एक औषधीय पौधा है सिंहपर्णी, जिसे कुछ स्थानों पर डंडेलियन भी कहा जाता है. इस पौधे का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. इसके रूट्स, पत्ते और फूल, सभी किसी न किसी उपयोग में लाए जाते हैं. इसकी जड़ में कई मेडिसिनल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने में सहायक होती हैं.

सिंहपर्णी की पत्तियों को साग बनाकर खाया जाता है. इसके साथ-साथ सलाद के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है. यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं. अगर लगातार इसकी पत्तियों का सलाद खाया जाए, तो स्वास्थ्य में काफी सुधार होता है और इंसान बीमारियों से बचा रहता है.

गढ़वाल विश्वविद्यालय के हैप्रेक संस्थान के रिसर्चर देवेश जंगपांगी ने बताया कि सिंहपर्णी की पत्तियों को सुखाकर चायपत्ती के रूप में इसकी चाय बनाई जा सकती है. इससे कई तरह की पेट संबंधी बीमारियों से निजात मिल जाती है.

देवेश बताते हैं कि सिंहपर्णी पेट से जुड़ी बीमारियों के उपचार में मददगार है, जिसकी पत्तियों में विटामिन A, C और D के साथ अन्य जरूरी पोषक तत्व होते हैं. डंडेलियन की जड़ में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो कैंसर के इलाज में मदद कर सकते हैं, खासकर कीमोथेरेपी की तरह इसका उपयोग किया जा सकता है.

लीवर के लिए भी सिंहपर्णी का पौधा फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि आयुर्वेद में इसे लीवर की समस्याओं के लिए रामबाण माना गया है.

सिंहपर्णी सेहत दुरुस्त करने के साथ ही आमदनी भी मजबूत कर सकता है. यह किसानों की आजीविका का साधन बन सकता है और पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा मुनाफा भी दे सकता है. कई लोग इसके गुणों के बारे में नहीं जानते हैं, इसलिए वे इसे खरपतवार समझते हैं.