Guru Nanak Jayanti 2025: 500 साल पहले भोपाल आए थे गुरुनानक देव, आज भी मौजूद है चरण चिन्ह, जानिए पूरी कहानी

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Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देवजी 500 साल से भी पहले भोपाल आए थे और यहां ईदगाह हिल्स स्थित एक जगह पर रुके थे. अब यहां टेकरी साहिब गुरुद्वारा मौजूद है. टेकरी साहिब गुरुद्वारे में देश-दुनिया से बड़ी संख्या में लोग आते हैं.

Guru Nanak Jayanti 2025: सिखों के आदिगुरु श्री गुरु नानक देवजी की जयंती इस बार 05 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है. इस दिन सिखों के पहले गुरु गुरु नानक साहब का जन्म हुआ था. गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. गुरु नानक देवजी 500 साल से भी पहले भोपाल आए थे और यहां ईदगाह हिल्स स्थित एक जगह पर रुके थे. अब यहां टेकरी साहिब गुरुद्वारा मौजूद है. टेकरी साहिब गुरुद्वारे में देश-दुनिया से बड़ी संख्या में लोग आते हैं.

करीब 500 साल से भी पहले भोपाल के जिस गुरुद्वारे में गुरु नानक देव आए थे, वहां स्थित पत्थर की शिला पर आज भी लोग दर्शन कर अरदास करते हैं. साथ ही इस गुरुद्वारे में उन्होंने रोगियों के मर्ज के नाश के लिए, जिस कुंडे से जल मंगाया था, वह कुंड आज भी स्थापित है. टेकरी साहिब गुरुद्वारे में लोगों की विशेष आस्था है. लोग आज भी यहां के जल कुंड को पवित्र मानते हैं. उनका मानना है कि इस कुंड के जल से उन्हें लाभ हुआ है. साथ ही गुरुद्वारे में उनकी मन्नत पूरी हुई है.

500 साल पहले आए थे गुरु नानक देव जी
नानकजी 500 साल पहले जब देश भ्रमण पर निकले थे, तब वे भोपाल आए थे. वे ईदगाह हिल्स पर एक कुटिया में ठहरे थे, जहां अब यह गुरुद्वारा है. इस कुटिया में गणपतलाल नाम का शख्स रहता था, जो कुष्ठ रोग से पीड़ित था. एक बार वो पीर जलालउद्दीन के पास गया, पीर ने उसे नानक देवजी के पास जाने की सलाह दी.

गणपतलाल का कुष्ठ रोग किया था ठीक
गणपतलाल अपनी बीमारी के इलाज की उम्मीद में नानकजी से मिला. नानक देवजी ने अपने साथियों से पानी लाने को कहा. काफी देर यहां-वहां खोजने के बाद एक पहाड़ी से फूटते प्राकृतिक झरने से वे पानी लेकर आए. नानक देवजी ने उस पानी को गणपतलाल पर छिड़का. बताते हैं कि इसके बाद वो बेहोश हो गया. जब उसे होश आया, तब नानक देवजी वहां से जा चुके थे. लेकिन उनके पांवों के निशान मौजूद थे और गणपतलाल का कुष्ठ रोग ठीक हो चुका था.

भोपाल के नवाब ने दी जमीन
कहा जाता है कि इस गुरुद्वारे के लिए यह जमीन भोपाल के नवाब ने दी थी. जिस जगह से यह पानी मिला था, उसे अब बाउली साहब कहते हैं. इसमें आज भी बराबर पानी रहता है. यहां के जल को लोग प्रसाद मानकर अपने साथ ले जाते हैं. इस जगह को संरक्षित किया गया है.

Vibhanshu Dwivedi

विभांशु द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के रहने वाले हैं. पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है. इन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की है. पॉलिटिक…और पढ़ें

विभांशु द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के रहने वाले हैं. पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है. इन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की है. पॉलिटिक… और पढ़ें

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