Ground Report: भोपाल का पहला जीरो वेस्ट स्लॉटर हाउस बनकर तैयार, लेकिन मंजूरी के इंतज़ार में अधर में लटका!

भोपाल: राजधानी में आधुनिकता की एक नई पहल तो पूरी हो गई, लेकिन अब वो फाइलों और मंजूरियों के मकड़जाल में फंसी नज़र आ रही है. शहर का पहला और अत्याधुनिक जीरो वेस्ट स्लॉटर हाउस बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन अभी तक न तो इसे ऑपरेट करने की मंजूरी मिली है और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PUC) की तरफ से आवश्यक क्लियरेंस.

जिंसी चौराहा के पास बने इस स्लॉटर हाउस को बनाने में लगभग 35 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. निर्माण कार्य पूरा हुए एक साल से ज़्यादा हो चुका है, लेकिन संचालन के लिए जरूरी “कंसेंट टू ऑपरेट” सर्टिफिकेट नहीं मिलने के कारण अब तक ये शुरू नहीं हो सका है.

मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पहले मंजूरी की फाइल मंत्रालय में तीन महीने तक धूल खाती रही. अब जाकर फाइल आगे बढ़ी है और इससे जुड़ी फीस भी भर दी गई है. फिर भी प्रदूषण बोर्ड की ओर से अब तक कोई निरीक्षण नहीं हुआ है.

लोकल18 से बातचीत में मोहम्मद ओवैस, जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं, ने बताया कि निर्माण से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. अब सिर्फ बोर्ड की टीम के निरीक्षण और अनुमति का इंतजार है. इस स्लॉटर हाउस में झटका और हलाल दोनों तरह की प्रक्रिया के लिए स्टॉल ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है. इसका निर्माण लाइवस्टॉक फूड प्रोसेसर कंपनी ने किया है.

अगर ये स्लॉटर हाउस शुरू हो जाता है तो शहर के मांस विक्रेता यहीं से मटन खरीदेंगे, जिससे घरों और दुकानों में की जा रही अवैध स्लोटिंग बंद होगी और शहर में फैल रहे प्रदूषण पर भी रोक लगेगी.

फिलहाल शहर में मौजूद पुराने स्लॉटर हाउस में रोजाना 170 छोटे-बड़े पशुओं की स्लोटिंग होती है, जिसमें करीब 50 हजार लीटर पानी खर्च होता है. जबकि नए सेंटर में 150 बड़े और 750 छोटे पशुओं की स्लोटिंग की क्षमता है और नई मशीनों से 90% तक पानी की बचत होगी.

वहीं पुराने स्लॉटर हाउस में जो वेस्ट सीधे नालों में बहा दिया जाता है, उसकी जगह नए स्लॉटर हाउस में रेंडरिंग प्लांट लगाया गया है. इससे खाल, हड्डी, मांस और खून का उपयोग अलग-अलग उद्देश्यों में किया जाएगा और बचे हुए गंदे पानी को ETP प्लांट में साफ कर छोड़ा जाएगा.

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