फटी एड़ियों से छुटकारा, महंगी क्रीम की जरूरत नहीं, अपनाएं यह देसी इलाज

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बारिश के मौसम में खेतों में लंबे समय तक काम करने वाले ग्रामीणों के पैरों की एड़ियों में दरार आ जाती है, जिससे दर्द के साथ ही एड़ियां खराब नजर आने लगती हैं. ऐसे में हम आपको एक घरेलू नुस्खे के बारे में बता रहे हैं, जिसे अपनाने से आपके पैरों की दरारों में राहत मिल सकती है.

इस घरेलू नुस्खे में महुआ के बीज से निकाला गया तेल एंटी-इंफ्लेमेटरी और मॉइश्चराइजिंग गुणों से भरपूर होता है. इसे नियमित रूप से रात को सोने से पहले पैरों की एड़ियों पर लगाएं. कुछ ही दिनों के नियमित इस्तेमाल से एड़ियों की कठोरता कम होने लगती है और दरारें धीरे-धीरे भरने लगती हैं. 

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महुआ के तेल के औषधीय गुण इसे सिर्फ पैरों की एड़ियों तक सीमित नहीं रखते. आयुर्वेद में इसे ब्रोंकाइटिस, टॉन्सिलाइटिस और ग्रसनीशोथ जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों में लाभकारी माना गया है. इसके नियमित और नियंत्रित उपयोग से इन जटिल बीमारियों में सूजन कम करने और आराम पहुंचाने में मदद मिलती है. 

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आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव (सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज) के अनुसार महुआ के फूल, पत्तियां और छाल भी औषधीय दृष्टि से उपयोगी हैं. महुआ के बीज से 35 से 47 प्रतिशत तक तेल निकाला जाता है, जो स्वास्थ्यवर्धक फैट का उत्कृष्ट स्रोत है. यह तेल न केवल एड़ियों की देखभाल में बल्कि शरीर के लिए पोषण और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मददगार है. 

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आयुर्वेदिक डॉक्टरों के अनुसार महुआ का तेल स्किन से जुड़ी कई समस्याओं में बेहद फायदेमंद है. प्राचीन काल से ही त्वचा की देखभाल के लिए इसका उपयोग होता रहा है. यह तेल दाग-धब्बे, मुंहासों और अन्य स्किन इरिटेशन को कम करने में मदद करता है और त्वचा को मुलायम व स्वस्थ बनाए रखता है. 

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महुआ का तेल पूरी तरह केमिकल-फ्री होता है, इसलिए यह स्किन की देखभाल और चमक बढ़ाने में बेहद फायदेमंद है. आप इसे सीधे त्वचा पर लगाकर दाग, धब्बे, मुंहासे और दानों जैसी समस्याओं से राहत पा सकते हैं, जिससे त्वचा स्वस्थ और मुलायम बनी रहती है. 

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महुआ के बीज का तेल फटी एड़ियों के लिए एक कारगर उपाय माना जाता है. इसे रात में फटी एड़ियों पर लगाकर सोने से सुबह तक एड़ियां मुलायम हो जाती हैं. लगातार 4-5 दिन इस उपाय को अपनाने से दरार पूरी तरह ठीक हो जाती है.

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65 साल की बुजुर्ग निर्मला देवी बताती हैं कि महुआ के बीज का तेल बनाने के लिए सबसे पहले कुसुली को फोड़कर उसके अंदर का हिस्सा धूप में सुखाया जाता है. जब यह अच्छी तरह से सूख जाता है, तो इसे पेराई मशीन में पीसा जाता है, जिससे यह मोम जैसी बनावट में आ जाता है. गर्मी में यह पिघलकर तेल की तरह हो जाता है. 

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बारिश के मौसम में खेतों में काम करने या लंबे समय तक पानी में रहने से उंगलियों के बीच फंगस जैसी इंफेक्शन हो जाती हैं. ऐसे में महुआ के बीज का तेल फंगस से निपटने में काफी लाभदायक साबित होता है.

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