PCOD और PCOS से छुटकारा, ये 3 योगासन महिलाओं के लिए हैं गेम-चेंजर!

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Yoga Benefits: PCOD और PCOS महिलाओं में आम समस्या है, जिससे वजन बढ़ना, मुंहासे, बाल झड़ना, मासिक धर्म में अनियमितता होती है. योग और जीवनशैली में बदलाव से इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है.

ऋषिकेश: आज के समय में पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) और पीसीओएस (Polycystic Ovarian Syndrome) महिलाओं में सबसे सामान्य स्त्री रोग समस्याओं में से एक बन चुकी हैं. इन बीमारियों के कारण महिलाओं को वजन बढ़ना, चेहरे पर मुंहासे, बाल झड़ना, मासिक धर्म में अनियमितता और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं बल्कि मानसिक संतुलन को भी बिगाड़ती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि दवाइयों के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव और योग को अपनाकर महिलाएं इन समस्याओं को काफी हद तक नियंत्रित कर सकती हैं.

योग का महत्व और लाभ
लोकल 18 से बातचीत में ऋषिकेश के ओम योगा सेंटर की योगा ट्रेनर रश्मि बताती हैं कि नियमित योगाभ्यास से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, तनाव कम होता है और हार्मोन का संतुलन बना रहता है. यही कारण है कि योग को PCOD और PCOS जैसी स्त्री रोग समस्याओं के लिए प्राकृतिक और प्रभावशाली उपाय माना जाता है. योग शरीर और मन दोनों को संतुलित करता है. यह केवल शारीरिक गतिविधि नहीं है बल्कि श्वास और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति भी प्रदान करता है. इससे कोर्टिसोल यानी तनाव हार्मोन का स्तर घटता है और शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का संतुलन बनाने में मदद मिलती है. यही संतुलन PCOD और PCOS की जड़ कारणों को नियंत्रित करता है.

बटरफ्लाई पोज के फायदे
बद्धकोणासन या बटरफ्लाई पोज कूल्हों और जांघों में लचीलापन लाता है और प्रजनन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है. इसका नियमित अभ्यास मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द को कम करता है. यह गर्भाशय और डिंबग्रंथि को स्वस्थ रखता है और श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. इसे करने के लिए जमीन पर सीधे बैठें, दोनों पैरों के तलवों को मिलाकर शरीर की ओर खींचें और हाथों से पैरों को पकड़कर तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे करें. प्रतिदिन तीन से पांच मिनट इसका अभ्यास लाभकारी रहता है.

सुप्त भद्रकोण आसन के फायदे
सुप्त भद्रकोणासन बटरफ्लाई पोज का लेटकर किया जाने वाला रूप है. इसमें पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों के तलवों को जोड़ें और घुटनों को जमीन की ओर छोड़ दें. यह आसन गहरी सांस लेने और शरीर को पूरी तरह आराम देने में मदद करता है. इसका अभ्यास तनाव और चिंता दूर करता है, हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है और गर्भाशय व प्रजनन तंत्र में ऊर्जा प्रवाहित करता है. इसे योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर करें और आंखें बंद करके पांच से दस मिनट तक गहरी सांस लें.
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पवनमुक्तासन आसन के फायदे
पवनमुक्तासन को गैस रिलिविंग पोज भी कहा जाता है. इसमें शरीर को मोड़कर पेट पर हल्का दबाव दिया जाता है. यह आसन पाचन को बेहतर करता है, पेट की सूजन कम करता है और कब्ज से राहत देता है. इसका नियमित अभ्यास पेट की चर्बी कम करने और वजन नियंत्रित करने में मदद करता है. इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें, दाहिने घुटने को मोड़कर सीने से लगाएं और हाथों से पकड़ें. गर्दन उठाकर घुटने को ठोड़ी से मिलाने की कोशिश करें. इसी प्रक्रिया को बाएं पैर से दोहराएं और फिर दोनों पैरों से एक साथ करें. प्रतिदिन एक से दो मिनट तक इसका अभ्यास लाभकारी रहता है.

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