सागर में कोबरा के डर से स्कूल में ताला: चार सबसे जहरीले सांप हर साल ले रहे ढाई हजार लोगों की जान – Madhya Pradesh News

सागर जिले के देवरी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में छात्राएं और शिक्षक कुछ दिनों से डर के साए में स्कूल आ रहे हैं। वजह स्कूल में एक सप्ताह से लगातार सांप निकल रहे हैं। स्कूल के चार कमरों में ताला लगा दिया गया है। हालात ये हैं कि प्राचार्य ने जिला शिक्ष

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इसी तरह मंदसौर में 27 जुलाई की देर रात पुलिस की डायल 100 की गाड़ी में एक अजगर घुस गया। नाइट पेट्रोलिंग कर रही टीम को तेज बारिश में गाड़ी रोकनी पड़ी। थोड़ी देर बाद 12 फीट लंबा अजगर गाड़ी से निकलकर जंगल की ओर चला गया। 11 जुलाई को मंदसौर के सीतामऊ के एक गांव में एक ही जगह 4-5 सांप दिखाई दिए। रेस्क्यू के लिए स्नैक कैचर पहुंचा तो एक ही जगह से 40 इंडियन कोबरा के बच्चे निकले।

मध्य प्रदेश में सांपों से दहशत के ये इक्के-दुक्के मामले नहीं हैं, बल्कि यहां सांप के काटने से हर साल ढाई हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। 2025 में जून तक ही 4200 से अधिक सांपों के डसने के मामले आ चुके हैं। अकेले जुलाई महीने में ही रीवा, छतरपुर, बैतूल, सागर, भोपाल, कटनी, सतना, खंडवा समेत प्रदेश भर से सांप के डसने से मौत के कई मामले सामने आए हैं।

सागर है हॉटस्पॉट, एमपी में हर साल सांप डसने से ढाई हजार मौतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल लगभग 50 लाख लोग सांप के जहर का शिकार होते हैं, जिनमें से 81 हजार से 1 लाख 38 हजार लोगों की मौत हो जाती है, इनमें 50 फीसदी मौतें अकेले भारत में होती हैं। मध्यप्रदेश में सांप के काटने से हर साल ढाई हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। ये वो मौतें हैं जो पीड़ित के अस्पताल पहुंचने पर दर्ज की गईं, वास्तविक तादाद इससे कहीं अधिक हो सकती हैं। मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड ऐसे मामलों का हॉटस्पॉट है। चार साल में सांप के डसने के सबसे ज्यादा मामले सागर जिले में दर्ज किए गए हैं।

सागर में 2025 जून माह तक सबसे अधिक 311 लोगों को सांपों ने काटा। वहीं, दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 223 केस रीवा जिले से सामने आए।

भारत में आम पाए जाने वाले गैर-विषैले सांप

भारत में पाए जाने वाले बिना जहर वाले (गैर-विषैले) सांप इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होते। इनमें से ज्यादातर चूहे, मेंढक, छिपकली और छोटे पक्षियों को खाते हैं, जिससे ये पर्यावरण के लिए उपयोगी हैं। बिना जहर वाले सांप डराने के लिए फुफकार सकते हैं, लेकिन नुकसान नहीं पहुंचाते।

मध्य प्रदेश में 4 साल में 10 हजार से अधिक मौतें

मध्यप्रदेश में इस साल सांपों ने 4 हजार से ज्यादा लोगों काे काटा है, हालांकि ये तादाद पिछले साल की तुलना में कम है। एम्बुलेंस 108 ने MP स्नेक बाइट केस रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, साल 2025 में जून महीने तक 4 हजार 205 लोगों को सांप ने काटा है, जिन्हें एम्बुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सांप के काटने से मध्यप्रदेश में हर साल ढाई हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। साल 2020 से 2024 यानी 4 सालों में सांप के डसने से करीब 10 हजार 700 लोगों की मौत हुई। बीते चार साल में हर पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपए सरकारी मुआवजा दिया गया, यानी 427 करोड़ रुपए से ज्यादा का वित्त-भार सरकार पर आया। इतनी लागत से एक 5 मंजिला स्पेशियलिटी अस्पताल शुरू हो सकता है।

पहला घंटा सबसे अहम, झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ें

एम्स भोपाल के ट्रॉमा एंड इमरजेंसी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. भूपेश्वरी पटेल ने कहा कि आज भी लोग झाड़-फूंक पर भरोसा करते हैं, जिसकी वजह से अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती है। सांप के काटने के बाद पहला घंटा यानी गोल्डन आवर बेहद अहम होता है। इस समय पर सही इलाज मिल जाए तो ज्यादातर लोगों की जान बच सकती है।

इसके अलावा, सांप काटने के कुल केस में आधे भी जहरीले सांप के नहीं होते हैं। यही नहीं, कई बार सांप ड्राई बाइट भी करता है। यानी सांप काटता है, लेकिन जहर नहीं छोड़ता है। हमने देखा है इस तरह के मामलों में भी मौत हुई हैं। इसकी वजह डर रही। जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो इस बात का खुलासा हुआ। यह चिंताजनक है।

क्या होती है ड्राई बाइट

डॉ. पटेल ने कहा कि सांप को जहर बनाने की लिए काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। यह उसकी कमाई की तरह है। इसलिए वो इसे जब तक जरूरी नहीं होता खर्च नहीं करता है। कई बार सांप ड्राई बाइट करता है, यानी जहरीला सांप कांटे लेकिन जहर ना छोड़े, ऐसा दो कारण से होता है। सांप यदि सिर्फ डराने के लिए काट रहा तो वो जहर नहीं छोड़ता है। सांप ने हाल ही में शिकार किया हो और उसमें उसका पूरा जहर खर्च हो गया हो।

स्टडी : 15 को सांप ने काटा, 11 ने झाड़-फूंक कराया, सभी की मौत

स्नेक बाइट मारटेलिटी एंड स्टेट कंपनसेशन इन एमपी स्टडी के अनुसार, जिन 15 में 7 लोगों को सोते समय सांप ने काटा। 15 में से 11 लोगों ने इलाज के बजाय पहले झाड़ फूंक पर भरोसा किया, इस कारण इन सभी की मौत हो गई। 15 में से 6 की देरी से अस्पताल पहुंचने और 3 की रेफर करने के कारण रास्ते में ही मर गए।

सांप के काटने के बाद सबसे जल्दी आधे घंटे में एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया। वहीं एक पीड़ित 20 घंटे तक मौत से लड़ा, लेकिन सही इलाज ना मिलने से मौत हो गई। वहीं, इनके परिजनों को सरकारी मुआवजा मिलने में एक महीने से लेकर एक साल तक का समय लगा। इनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी 2 दिन से लेकर 40 दिन में आई।

नाग-नागिन जोड़ी बनाकर नहीं रहते

हिंदू मान्यता के अनुसार लोग नाग-नागिन के जोड़े को शुभ भी मानते हैं। नाग-नागिन की प्रचलित कहानियां, इच्छाधारी नाग, नाग को मारने के बाद नागिन का बदला लेने की धारणा पर कई लोग विश्वास करते हैं। विज्ञान इसको लेकर कुछ और ही कहता है, जो बेहद दिलचस्प है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि सांप, कोबरा स्तनधारियों की तरह भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते यानी जोड़ी बनाकर नहीं रहते हैं। सांप स्वभाव से अकेले रहने वाले जीव हैं। वे केवल प्रजनन के समय साथ आते हैं और उसके बाद अलग हो जाते हैं।

सांपों के व्यवहार का आधार स्मृति या भावनात्मक लगाव नहीं, बल्कि एक रसायन ‘फेरोमोन’ होता है। नर या मादा प्रजनन के समय एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए फेरोमोन छोड़ते हैं। इसकी गंध से दूसरे नर या मांदा सांप आकर्षित होते हैं। नर सांप कई मादाओं से मेल कर सकते हैं। मादाएं भी एक ही सीजन में कई नर से मेल कर सकती हैं।

किंग कोबरा की प्रवृत्ति थोड़ी अलग

इस मामले में किंग कोबरा थोड़ा अपवाद है। ये नर और मादा अंडों की सुरक्षा के दौरान कुछ समय तक साथ रह सकते हैं, लेकिन यह संतानों की सुरक्षा के लिए होता है, न कि आपसी भावनात्मक लगाव के कारण। यहां तक कि किंग कोबरा भी जीवनभर साथ नहीं रहते और न ही शोक मनाते हैं।

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