8वें वेतन आयोग की शर्तों को औपचारिक मंजूरी: 1 जनवरी 2026 से लागू होगा; 50 लाख से ज्यादा कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी

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नई दिल्ली31 मिनट पहले

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केंद्र सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की शर्तों को औपचारिक मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्रालय ने 3 नवंबर को आयोग की टर्म्स ऑफ रेफरेंस और सदस्यों के नामों की गजट नोटिफिकेशन जारी की।

आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई होंगी। पंकज जैन सदस्य-सचिव और प्रोफेसर पुलक घोष पार्ट-टाइम सदस्य नियुक्त किए गए हैं। अब कमीशन अपनी सिफारिशें 18 महीने के अंदर देगा। इसके बाद 1 जनवरी 2026 से नया वेतन मान लागू हो सकता है।

हालांकि, पुराने ट्रेंड को देखते हुए सिफारिशों को पूरी तरह इम्प्लीमेंट होने में 2028 तक का इंतजार करना पड़ सकता है। यानी, कर्मचारियों को 17-18 महीने का एरियर एकमुश्त या किस्तों में मिलेगा। इससे 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा।

आयोग का काम क्या होगा?

आयोग का मुख्य काम केंद्र सरकार के कर्मचारियों, रक्षा बलों और ऑल इंडिया सर्विस अधिकारियों की वेतन संरचना, भत्तों और पेंशन योजनाओं की समीक्षा करना होगा। वित्त मंत्रालय के अनुसार, आयोग ऐसी सिफारिशें देगा जो सरकारी नौकरियों में प्रतिभाशाली लोगों को आगे बढ़ाने, कार्यकुशलता बढ़ाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करें।

8वें वेतन आयोग के दायरे में कौन-कौन होंगे ?

  • केंद्र सरकार के सभी औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारी
  • ऑल इंडिया सर्विस (IAS, IPS, IFS आदि) के अधिकारी
  • रक्षा बलों के कर्मी
  • केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी
  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विभाग (CAG) के अधिकारी
  • संसद द्वारा गठित रेगुलेटरी बॉडीज (RBI को छोड़कर) के सदस्य
  • सुप्रीम कोर्ट और केंद्र शासित प्रदेशों के हाई कोर्ट के अधिकारी व कर्मचारी

समझिए 8वें वेतन मान का सैलरी कैलकुलेशन

बेसिक सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, ये फिटमेंट फैक्टर और DA मर्जर पर निर्भर करता है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। 8वें में ये 2.46 हो सकता है।

हर वेतन आयोग में DA जीरो से शुरू होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नई बेसिक सैलरी पहले से ही महंगाई को ध्यान में रखकर बढ़ाई जाती है। इसके बाद DA फिर से धीरे-धीरे बढ़ता है।

अभी DA बेसिक पे का 58% है। DA के हटने से टोटल सैलरी (बेसिक + DA + HRA) में बढ़ोतरी थोड़ी कम दिख सकती है, क्योंकि 58% DA का हिस्सा हट जाएगा।

उदाहरण:

मान लीजिए, आप लेवल 6 पर हैं और 7वें वेतन आयोग के हिसाब से आपकी मौजूदा सैलरी है:

  • बेसिक पे: ₹35,400
  • DA (58%): ₹20,532
  • HRA (मेट्रो, 27%): ₹9,558
  • टोटल सैलरी: ₹65,490

8वें वेतन आयोग में अगर फिटमेंट 2.46 लागू होता है, तो नई सैलरी होगी:

  • नई बेसिक पे: ₹35,400 x 2.46 = ₹87,084
  • DA: 0% (रीसेट)
  • HRA (27%): ₹87,084 x 27% = ₹23,513
  • टोटल सैलरी: ₹87,084 + ₹23,513 = ₹1,10,597

फिटमेंट फैक्टर क्या है?

ये एक मल्टीप्लायर नंबर है, जिसे मौजूदा बेसिक सैलरी से गुणा करके नई बेसिक सैलरी निकाली जाती है। वेतन आयोग इसे महंगाई और लिविंग कॉस्ट को ध्यान में रखकर तय करता है।

8वें वेतन आयोग का फायदा किसे मिलेगा किसे नहीं

  • फायदा मिलेगा: केंद्रीय सरकारी कर्मचारी, रक्षा कर्मी, रेलवे कर्मचारी, केंद्रीय संस्थानों के शिक्षक, 100% सरकारी स्वामित्व वाले पीएसयू, पेंशनर्स
  • फायदा नहीं: राज्य सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी, RBI और अन्य नियामक संस्थाओं के कर्मचारी, बैंक पेंशनर्स

राज्य अपने अलग पे कमीशन गठित करते हैं, जो संशोधन के बाद केंद्रीय सिफारिशों को अपनाते हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों को वेतन आयोग का लाभ नहीं मिलता क्योंकि वे भारतीय बैंक संघ (IBA) के साथ द्विपक्षीय समझौतों पर निर्भर रहते हैं।

पिछले वेतन आयोग कब बने, कब लागू हुए?

  • 5वां वेतन आयोग: ये अप्रैल 1994 में गठित हुआ था। रिपोर्ट जनवरी 1997 में सरकार को सौंपी गई, लेकिन सिफारिशें 1 जनवरी 1996 से ही लागू हो गईं। पहले 51 पे स्केल्स थे, इन्हें घटाकर 34 कर दिया।
  • छठा वेतन आयोग: ये 20 अक्टूबर 2006 को स्थापित हुआ रिपोर्ट मार्च 2008 में तैयार होकर सरकार के पास पहुंची। अगस्त 2008 में रिपोर्ट को मंजूरी मिली और सिफारिशें 1 जनवरी 2006 से लागू हुईं।
  • 7वां वेतन आयोग: फरवरी 2014 में ये बना और मार्च 2014 तक टर्म्स ऑफ रेफरेंस फाइनल हो गए। रिपोर्ट नवंबर 2015 में सौंपी गई। जून 2016 में सरकार ने अप्रूव किया और सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हो गईं।

केंद्रीय मंत्री बोले- इंटरिम रिपोर्ट में लागू होने की तारीख आएगी

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पे कमीशन के इम्प्लीमेंटेशन के नॉर्म्स पहले से ही लगभग तय होते हैं, लेकिन फॉर्मल तरीका यह है कि इंटरिम रिपोर्ट आएगी, जिसमें वेतनमान के लागू होने की जानकारी होगी। पूरी उम्मीद है कि ये 1 जनवरी 2026 से ही लागू होगा।

ये कमीशन अपनी सिफारिशें गठन की तारीख से 18 महीने के अंदर देगा। जरूरत पड़ने पर, ये किसी भी मुद्दे पर सिफारिशें फाइनल होते ही इंटरिम रिपोर्ट्स भेजने पर विचार कर सकती है।

कमीशन जब सैलरी-पेंशन की सिफारिशें बनाएगा, तो ये 5 बातें ध्यान में रखेगा…

  • कमीशन देखेगा कि देश की इकॉनमी कैसी चल रही है। महंगाई कितनी, GDP ग्रोथ क्या है। उतनी ही सैलरी बढ़ाए कि सरकार का खर्चा कंट्रोल में रहे, वरना कर्ज बढ़ेगा।
  • सैलरी बढ़ाने से सरकार के पास विकास के लिए पैसे कम न हो जाएं। जैसे सड़कें, स्कूल, हॉस्पिटल बनाना या गरीबों की योजनाएं चलाना।
  • ये उन पेंशन स्कीम्स को ध्यान में रखना होगा, जहां कर्मचारी पैसे नहीं कटवाते (नॉन-कॉन्ट्रीब्यूटरी)। यानी, पुरानी पेंशन स्कीम्स से सरकार पर बोझ न बढ़े।
  • केंद्र की सिफारिशें ज्यादातर राज्य सरकारें थोड़ा मॉडिफाई करके अपना लेती हैं। कमीशन राज्यों के बजट को ध्यान में रखकर ही सैलरी बढ़ाएगा।
  • सरकारी कंपनियों और प्राइवेट फर्म्स में कर्मचारियों को क्या सैलरी सेटअप, बोनस, और काम की कंडीशंस मिल रही हैं। ताकि सरकारी सैलरी इनसे मैच करे।

सैलरी सिस्टम, पेंशन जैसे मुद्दों पर विचार करता है कमीशन

सेंट्रल पे कमीशन को हर कुछ सालों में बनाया जाता है, ताकि सैलरी सिस्टम, पेंशन जैसे मुद्दों पर विचार किया जा सके। ये कमीशन देखता है कि क्या बदलाव जरूरी हैं और फिर सिफारिशें देता है। आम तौर पर, इन सिफारिशों को हर दस साल बाद लागू किया जाता है। इसी पैटर्न के हिसाब से 8वें सेंट्रल पे कमीशन की सिफारिशें भी 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है।

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