सतना में ट्रेन की टक्कर से पांच महीने की फीमेल बाघ शावक घायल हो गई। वन विभाग की टीम ने उसका रेस्क्यू कर मुकुंदपुर जू भेज दिया है, जहां डॉक्टरों की टीम उसका इलाज कर रही है। बाघ की शावक को किस ट्रेन की टक्कर लगी है, इसकी जानकारी वन विभाग को नहीं लग पाई है। फिलहाल उसका इलाज जारी है और जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 06 Jul 2025 01:56:33 PM (IST)
Updated Date: Sun, 06 Jul 2025 01:59:01 PM (IST)
HighLights
- बाघ के शावक के सिर पर आतंरिक चोट आने की आशंका।
- डॉक्टरों द्वारा शावक के सिर का एक्स-रे भी करवाया गया है।
- टाइगर सफारी मुकुंदपुर में डॉक्टर रख रहे उस पर नजर।
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। वनमंडल सतना के चित्रकूट उपवनमंडल के तहत आने वाले मझगवां वनपरिक्षेत्र के हजारा नाला के पास रेलवे लाइन को क्रांस करते वक्त पांच महीने का फीमेल शावक घायल हो गई है। जिसका रेस्क्यू कर व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर जू भेज दिया गया है। जहां डॉक्टरों की टीम उसे बचाने के प्रयास में जुटी है। हालंकि बाघ की शावक को किस ट्रेन की टक्कर लगी है, इस बात की जानकारी वन विभाग को नहीं लग पाई है।
इस संबंध में नवागत मझगवां रेंजर रंजन सिंह परिहार ने बताया कि घटना संभवत: सुबह सात बजे की है। जिसकी सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। जहां टीम को बाघ की शावक अचेत अवस्था में ट्रैक के बीचों-बीच पड़ी हुई थी। जबकि उसकी सांसे चल रहीं थी। लिहाजा तुरंत ही उसका रेस्क्यू करते हुए मुकुंदपुर जू ले जाया गया है।
हेड इंजरी
जहां शावक के इलाज में डॉक्टरों की टीम लगी हुई है। रेंजर द्वारा मिली जानकारी के अनुसार प्रथम दृष्टया बाघ के शावक के पूंछ में चोट के निशान दिखाई दे रहा है। जबकि बाघ के शावक का इलाज कर रहे मुकुंदपुर जू के डॉक्टर नितिन गुप्ता के मुताबिक बाघ के शाव के सिर पर भी आतंरिक चोट है। जिससे हेड इंजरी जैसी दिक्कतें होने की भी संभावना है।
जांच रिपोर्ट का इंतजार, इलाज में जुटी टीम
बाघ के शाव को घायल अवस्था में मुकुंदपुर जू पहुंचते उसका इलाज शुरू कर दिया गया। इस दौरान उसे बोतल इत्यादि लगाते हुए उसके सिर का एक्स-रे भी करवाया गया है। हालंकि डॉक्टर के अनुसार जांच रिपोर्ट आने तक वह कुछ भी स्पष्ट बता पाने में असमर्थ है। फिलहाल उसका इलाज जारी है।
पहले एक बाघ की हो गई थी मौत
आज से नौ वर्ष पूर्व दिसम्बर महीने के साल 2016 में मझगवां रेंज में ही हजारा नाला के समीप रेल्वे ट्रैक में एक नर वयस्क बाघ अपनी ट्रेन की ठोकर से कटकर अपनी जान गवां चुका है। लिहाजा वन्य प्राणी प्रेमियों के अनुसार यह रास्ता बाघों का पुराना मार्ग है।
इसलिए इसे एक कॉरिडोर के रूप में विकसित करना चाहिए। साधू सन्यासियों की मानें तो सरभंगा के जंगल में आदिकाल से बाघों का डेरा रहा है। जिसका प्रमाण स्वयं गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस एवं बाल्मीक रामायण भी मिलता है, जिनके मुताबिक सरभंगा ऋषि व सुतीक्षण ऋषि की कुटिया तक बाघ पहुंचता था।
.