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Fish Tips:मछली नॉन-वेजेटेरियन करने वालों के लिए एक शानदार विकल्प है. यह जितनी स्वादिष्ट होती है, उतनी ही स्वास्थ्यवर्धक भी. मछली जैसा हेल्दी भोजन दूसरा कोई नहीं है. आजकल डॉक्टर भी मछली खाने की सलाह देते हैं. खासकर कुछ विशेष प्रकार की मछलियां तो कुछ मामलों में दवाइयों से भी ज्यादा असरदार भूमिका निभा सकती हैं.

वैसे तो कई मछलियां पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है. इनमें कई तरह के मेडिसीनल गुण भी होते हैं. खासकर कुछ समुद्री मछलियां, लेकिन उनकी खास गंध और स्वाद के कारण बहुत से लोग पसंद नहीं करते. बिहार में तो समुद्री मछलियां आती भी नहीं है और आती है तो बहुत कम लोग इसे पसद करते हैं.

कई ऐसी रिसर्च सामने आई है जिसमें दावा किया जा रहा है कि मछलियों में कई तरह के मेडिसीनल प्रोपर्टीज है. अब पश्चिम बंगाल में एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भोला भेटकी नाम की इस मछली से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है यहां तक कि लिवर की समस्याओं जैसी गंभीर स्वास्थ्य दिक्कतों को नियंत्रित करने में भी यह खास मछली किसी औषधि से कम नहीं है.

यह खास समुद्री मछली स्वाद में भी इलिश और पार्शे जैसी लोकप्रिय मछलियों को टक्कर दे सकती है. समुद्री होने के बावजूद इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है और इसके पीछे का बड़ा कारण है इस मछली के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ!

इसी कारण आजकल डॉक्टर हमारी डाइट में इस मछली को और अधिक शामिल करने की सलाह दे रहे हैं. इसलिए जब भी बाजार में यह मछली दिखे, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें, बल्कि तुरंत बैग में भर लें.

असल में खारे पानी की मछली का नाम सुनते ही हममें से कई लोग कतराने लगते हैं और कई तो इसे पसंद ही नहीं करते. लेकिन समुद्री मछली जटिल बीमारियों से राहत दिला सकती है. और हाल ही में शोधकर्ताओं ने भी इसकी पुष्टि की है.

आजकल हर घर में डायबिटीज़ की समस्या है. साथ ही कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इन सारी समस्याओं के जोखिम को कम करने में मछलियों को खाने की सलाह डॉक्टर देते हैं. यह बात अध्ययन में भी साबित हो गया है.

यह खास मछली भोला भेटकी रक्तचाप को कम करती है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और लिवर की समस्याओं को दूर करती है. भोला भेटकी मछली डायबिटीज़ के खिलाफ लड़ाई में भी प्रभावी है.

इस विषय पर हाल ही में पश्चिम मेदिनीपुर जिले के बेल्दा कॉलेज, विद्यासागर विश्वविद्यालय और राजा नरेंद्रलाल खान महिला कॉलेज के प्राध्यापकों के शोध ने विशेष रूप से प्रकाश डाला है. इनके अध्ययन में पाया गया कि यह मछली कई तरह की क्रोनिक बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती है.

यह शोध 2017-18 में शुरू हुआ था. बेल्दा कॉलेज के पोषण विभाग के प्राध्यापक कौशिक दास, श्राबंती बथ, जयश्री लाहा, संजय दास, सुप्रिया भौमिक और सायन पांडा इस शोध में शामिल हुए. उनके शोध से चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं.

प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस मछली को खाने से हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है, जोड़ों का दर्द घटता है और पीरियड्स के समय होने वाला दर्द भी कम हो जाता है.

अध्ययन में पाया गया कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले 124 लोगों में जिन्होंने इस मछली का सेवन किया, उनमें 3 से 4 लोगों में ही डायबिटीज के लक्षण मिले जबकि मीठे पानी की मछली खाई थी उनमें से लगभग 30 प्रतिशत लोगों में शुगर का स्तर अधिक था.

चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि भोला भेटकी नामक यह समुद्री मछली ब्लड में ग्लूकोज के स्तर में उल्लेखनीय रूप से कमी लाती है. यह भी पुष्टि की गई है कि आहार में इस मछली को शामिल करने से ब्लड शुगर का स्तर काफी हद तक घट जाता है.

এই বিবরণের ভিত্তিতে বিশেষজ্ঞরা বলছেন যে ভবিষ্যতে এই মাছটি ক্যাপসুল আকারে সরবরাহ করা যেতে পারে। অধ্যাপক শ্রাবন্তী পাইনের এই গবেষণাটি পশ্চিমবঙ্গ বিজ্ঞান ও প্রযুক্তি কংগ্রেস ২০২৩-এ সম্মানিত হয়েছে।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि इस मछली से बनी कैप्सूल को भविष्य में उपलब्ध कराया जा सकता है. प्रोफेसर श्राबंती पाइन की इस रिसर्च को पश्चिम बंगाल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस 2023 में सम्मानित किया गया है.

इस लेख में केवल सामान्य ज्ञान और दैनिक जीवन से जुड़ी कुछ सामान्य जानकारी साझा की गई है. यदि आप कहीं अपने स्वास्थ्य, जीवन और विज्ञान से संबंधित कुछ पढ़ते हैं, तो उसे अपनाने से पहले अवश्य किसी विशेषज्ञ की सलाह लें.