इंटरनेशनल चेस फेडरेशन महिला शतरंज वर्ल्ड कप का फाइनल इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। पहली बार ये मुकाबला इंडिया वर्सेस इंडिया है। दरअसल, जॉर्जिया के बाटुमी में खेले जा रहे महिला शतरंज वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की दो खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी और दिव्या देशमुख ने जगह बना ली है। शतरंज के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब शतरंज के फाइनल में दो भारतीय खिलाड़ी आपस में मुकाबला करेंगे।
भारतीय ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी ने गुरुवार को चीन की टिंगजी लेई को टाईब्रेकर में हराकर फाइनल में जगह बनाई है। वहीं भारत की ही दिव्या देशमुख एक दिन पहले ही इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंच चुकी हैं। अब ये दोनों खिलाड़ी 26 और 27 जुलाई को खिताब के लिए आमने-सामने होंगी।
कौन हैं ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी?
कोनेरू हम्पी भारत की सबसे बेहतरीन महिला शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने अपने बेहतरीन खेल से पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। 31 मार्च 1987 को आंध्र प्रदेश के गुडिवाला में जन्मी हम्पी महिला वर्ल्ड शतरंज चैंपियन की उपविजेता और दो बार कि महिला वर्ल्ड रैपिड शतरंज चैंपियन हैं। हम्पी के पिता भी शतरंज के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। बहुत छोटी उम्र से ही उनके पिता ने उन्हें शतरंज के गुर सिखाए।
कोनेरू हम्पी 2002 में, हम्पी ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी और पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। उनकी उम्र 15 साल, 1 महीने, 27 दिन थी। ये रिकॉर्ड अब तक केवल होउ यिफान ने तोड़ा है। हम्पी ओलंपियाड, एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल विजेता हैं। हम्पी को शतरंज में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत सरकार ने 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया। वहीं उन्हें 2003 में अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया है
कौन हैं दिव्या देशमुख?
9 दिसंबर 2005 में नागपुर में जन्मीं दिव्या ने पांच साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। दिव्या के माता-पिता डॉक्टर हैं उनके पिता का नाम जितेंद्र और माता का नाम नम्रता है। दिव्या ने 2012 में सात साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती। इसके बाद उन्होंने अंडर-10 और अंडर-12 कैटेगरी में विश्व युवा खिताब अपने नाम किया। इसके बाद 2014 में डरबन में आयोजित अंडर-10 वर्ल्ड यूथ टाइटल और 2017 में ब्राजील में अंडर-12 कैटेगरी में भी खिताब अपने नाम किए। उनकी निरंतर प्रगति ने उन्हें 2021 में महिला ग्रैंडमास्टर बना दिया और इसके साथ ही वह विदर्भ की पहली और देश की 22वीं महिला खिलाड़ी बनीं जिन्होंने ये उपलब्धि हासिल की।
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