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Famous Food: नागौर के मूंडवा की मशहूर ‘चिटकपाक’ मिठाई अपने अनोखे स्वाद और कुरकुरी बनावट के लिए जानी जाती है. यह पारंपरिक मिठाई स्थानीय लोगों की पसंदीदा है और एक बार खाने के बाद लोग इसके दीवाने हो जाते हैं. खास …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- नाम भी अनोखा, स्वाद भी लाजवाब
- कुरकुरी बनावट और देसी घी का तड़का बनाता है इसे खास
- एक बार खाओ, बार-बार मांगो
मारवाड़ के नागौर जिले के मूंडवा में बनने वाली चिटकपाक मिठाई के लोग खासे दीवाने हैं. यहां के लोग ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के सितारे भी इसके दीवाने हैं. यह मिठाई केवल मूंडवा में ही बनती है. यह मिठाई ज्यादातर मुम्बई सहित कई बड़े शहरों में जाती है. मूंडवा की शान बनी हुई इस मिठाई का इतिहास करीब 250 साल पुराना है. यह खास मिठाई बनाने वालों का दावा है कि इसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती.
नागौर से 22 किलोमीटर दूर मूंडवा के बस स्टैंड के सामने गोपाल मिष्ठान भंडार के बृजमोहन ने बताया कि अंग्रेजों की हुकूमत के दौर से उनके पुरखों ने इस मिठाई की ईजाद की थी और इसे बेचने का काम शुरू किया था. बृजमोहन का दावा है कि यह मिठाई पूरी तरह शुद्ध होती है और यह भी कि यह सिर्फ मूंडवा में ही बनती और मिलती है. सिखवाल ब्राह्मणों की पीढ़ियों की पहचान इस मिठाई को बताते हुए उन्होंने कहा कई फिल्मी सितारे भी इसका स्वाद ले चुके हैं.
क्या है इस अनोखी मिठाई की रेसिपी
ताजे दूध को रड़ाकर लगातार घोटा जाता है. घोटते समय कुछ चाशनी डाली जाती हैं. धीमी आंच पर करीब पौन घंटे तक घोटने पर दूध का मावा तैयार होता है. चिटकपाक का रंग चॉकलेटी हो जाने पर शेष चाशनी व घी डालकर फिर से घोटा जाता है. बृजमोहन के मुताबिक दूध की गुणवत्ता अच्छी हो तो चार किलो दूध से सवा किलो से डेढ़ किलो तक चिटकपाक तैयार हो जाता है. इसमें करीब आधा किलो चाशनी व 200 ग्राम घी भी पड़ता है. पकने के बाद चाशनी की तरलता नहीं रहती. इसे दो हफ्तों तक आसानी से स्टोर भी किया जा सकता है.
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