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Filaria Disease in Sagar: फाइलेरिया, जिसे आम भाषा में हाथीपांव कहा जाता है. यह एक गंभीर और जीवनभर रहने वाली बीमारी है. यह मच्छरों के काटने से शरीर में प्रवेश करने वाले परजीवियों के कारण होती है. इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि एक बार बीमारी हो जाने पर इसका इलाज संभव नहीं है.
Sagar News: सागर में फाइलेरिया के पांच मरीज ट्रेस होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. अब ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों की सैंपलिंग की जा रही है. पिछले चार दिनों में 500 से अधिक सैंपल कलेक्ट किए जा चुके हैं. फाइलेरिया, जिसे आम भाषा में हाथीपांव कहा जाता है. यह एक गंभीर और जीवनभर रहने वाली बीमारी है. यह मच्छरों के काटने से शरीर में प्रवेश करने वाले परजीवियों के कारण होती है.
फाइलेरिया के कीटाणु रात के समय सक्रिय होते हैं. इसलिए स्वास्थ्य विभाग की टीम रात के समय जागकर लोगों के घर दस्तक देती है, दरवाजे खटखटाती है, उन्हें समझाती है और फिर इसके सैंपल लेती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, फाइलेरिया फ्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है. इस संक्रमित मच्छर के काटने से कोई भी व्यक्ति इसकी चपेट में आ सकता है. यह बड़े, छोटे, अमीर, गरीब पर निर्भर नहीं करता.
हाथी पांव की बीमारी
स्वास्थ्य कर्मी प्रियंका दीक्षित ने बताया कि फाइलेरिया को आम बोलचाल की भाषा में हाथी पांव कहा जाता है. यह बीमारी इतनी खतरनाक होती है कि संक्रमण अगर आज हुआ है तो इसका असर 15 साल बाद दिखाई देगा और फिर उसका इलाज भी मुश्किल होता है. इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि एक बार बीमारी हो जाने पर इसका इलाज संभव नहीं है. यह बीमारी पैरों, हाथों, अंडकोष और स्तनों में सूजन पैदा कर देती है.
स्वास्थ्य कर्मी प्रियंका दीक्षित ने बताया कि अगर समय रहते इस वायरस को डिटेक्ट कर लिया जाए तो इलाज संभव हो जाता है और लोग खतरनाक बीमारी से पीड़ित होने से बच जाते हैं. सागर में जो हाथी पांव के मरीज मिले हैं, उनको डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है. डॉक्टर भी इनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और जहां पर यह मरीज मिले हैं, उस क्षेत्र में सघन रूप से सर्वे कर सैंपलिंग की जा रही है.
फाइलेरिया से बचाव
प्रियंका दीक्षित ने बताया कि हाथी पांव की बीमारी में हाथ, पैर या स्तन पर भारी सूजन आ जाती है, जिसमें खुजली होती है. इससे बचाव के लिए सरकार के द्वारा मुफ्त में फाइलेरिया रोधी दवा दी जाती है, जिनका सेवन करना चाहिए. साथ ही हो सके तो मच्छरदानी का प्रयोग करें और अपने घर के आसपास साफ-सफाई रखें.
विभांशु द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के रहने वाले हैं. पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है. इन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की है. पॉलिटिक…और पढ़ें
विभांशु द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के रहने वाले हैं. पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है. इन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की है. पॉलिटिक… और पढ़ें
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