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Yoga for dengue : डेंगू में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता एकदम से गिर जाती है. योग इसे बढ़ाने और कमजोरी दूर करने में मदद कर सकता है. कुछ आसन ब्लड सर्कुलेशन को सुधारते हैं और प्लेटलेट्स की पूर्ति करते हैं.

भुजंगासन डेंगू के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है क्योंकि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. इस आसन से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा सुधरती है. जमीन पर पेट के बल लेटकर दोनों हथेलियों को कंधों के पास रखें और सांस लेते हुए छाती को ऊपर उठाएं. पेट जमीन से जुड़ा रहे और नजरें ऊपर की ओर रखें. इस आसन से थकान और कमजोरी कम होती है. इसे रोजाना 3-5 मिनट तक करना लाभकारी है.

सेतुबंधासन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है. डेंगू के दौरान शरीर में प्लेटलेट्स की कमी और थकान आम समस्या होती है. इस आसन से नसों और रक्त प्रवाह में सुधार आता है. पीठ के बल लेटकर दोनों घुटनों को मोड़ें और हथेलियों को जमीन पर टिकाएं. सांस भरते हुए धीरे-धीरे कमर को ऊपर उठाएं और कुछ सेकंड रोकें. यह आसन मन को भी शांत करता है और नींद की समस्या दूर करता है. इसे रोजाना सुबह और शाम 3-5 मिनट करना लाभकारी है.

बालासन शरीर को गहरी विश्रांति देने वाला आसन है. डेंगू के रोगियों के लिए यह आसन तनाव और कमजोरी कम करता है. जमीन पर घुटनों के बल बैठें और धीरे-धीरे आगे झुकते हुए माथे को जमीन से लगाएं. दोनों हाथ आगे की ओर सीधे फैलाएं. इस आसन से रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है और रक्त प्रवाह संतुलित होता है. बालासन पाचन तंत्र को भी सुधारता है और शरीर में हल्कापन लाता है. इसे 2-3 मिनट तक करने से शरीर को गहरी शांति मिलती है और थकान दूर होती है.

उत्तानपादासन डेंगू रोगियों में प्लेटलेट्स और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करता है. पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और 30-40 सेकंड तक रोके रखें. इस आसन से पेट और जांघों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पाचन क्रिया सुधरती है. नियमित अभ्यास से शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है. यह आसन खून को शरीर के ऊपरी हिस्सों तक पहुंंचाने में मदद करता है जिससे दिमाग और फेफड़ों को बेहतर ऑक्सीजन मिलती है. इसे रोजाना 4-5 बार दोहराना फायदेमंद है.

प्राणायाम डेंगू से कमजोर हुए शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. यह शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है और ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है. गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे बाहर छोड़ना प्राणायाम का आधार है. नियमित अभ्यास से फेफड़े मजबूत होते हैं और थकान दूर होती है. नाड़ी शोधन और अनुलोम-विलोम प्राणायाम डेंगू के रोगियों के लिए खास तौर पर लाभकारी हैं. ये मानसिक तनाव कम करते हैं और शरीर को भीतर से शांत करते हैं. रोजाना 10-15 मिनट प्राणायाम करने से तेजी से रिकवरी होती है.

शवासन डेंगू रोगियों के लिए सबसे जरूरी आसन है क्योंकि यह शरीर को पूरी तरह आराम देता है. थकान, कमजोरी और मानसिक तनाव दूर करने के लिए यह बेहद असरदार है. पीठ के बल सीधा लेटकर पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें. आंखें बंद रखें और गहरी सांस लें. इस दौरान शरीर की हर मांसपेशी को रिलैक्स करने का प्रयास करें. शवासन करने से नींद की गुणवत्ता सुधरती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. इसे रोजाना 10-15 मिनट करना बहुत फायदेमंद है. यह डेंगू से रिकवरी की प्रक्रिया को तेज करता है.

अर्धमत्स्येन्द्रासन डेंगू रोगियों में पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है. जमीन पर बैठकर दाएं पैर को मोड़ें और बाएं पैर के ऊपर से घुटने को पार करें. फिर शरीर को दाईं ओर मोड़ें और कुछ सेकंड इसी स्थिति में रहें. इसके बाद दूसरी ओर भी यही प्रक्रिया दोहराएं. यह आसन रीढ़ की लचीलेपन को बढ़ाता है और खून को शुद्ध करता है. इसे नियमित करने से थकान और कमजोरी कम होती है. रोजाना 2-3 मिनट दोनों ओर करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

मार्जरीआसन रीढ़ की हड्डी और नसों को लचीला बनाता है. यह आसन डेंगू के रोगियों में रक्त संचार को बेहतर बनाता है और शरीर में ऊर्जा भरता है. चारों हाथ-पैरों के बल आकर सांस लेते हुए पीठ को नीचे झुकाएं और सिर ऊपर उठाएं. फिर सांस छोड़ते हुए पीठ को गोल करें और सिर को नीचे करें. इस आसन को 5-6 बार दोहराएं. इससे शरीर की थकान और कमजोरी कम होती है. नियमित अभ्यास से इम्यूनिटी मजबूत होती है और डेंगू से रिकवरी तेज होती है.