धनुरासन करें रेगुलर, गर्दन और पीठ के दर्द से पाएं राहत, जानें अभ्यास का सही तरीका और अन्य फायदे

Dhanurasana benefits: लंबी उम्र तक निरोगी बने रहने का सबसे आसान उपाय है नियमित रूप से योग का अभ्यास करना. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, घंटों एक ही पोजीशन में बैठ कर काम करना, मोबाइल पर गर्दन झुकाकर आंखें गड़ाए रखना आपको पीठ, कमर, गर्दन का दर्द देने के लिए काफी हैं. यदि इन आदतों को जल्दी ठीक न किया जाए तो कई तरह की समस्याएं आगे चलकर हो सकती हैं. ऐसे में उन योगों का अभ्यास करना चाहिए, जो पीठ, कमर, गर्दन, बदन दर्द, हड्डियों का दर्द को दूर रख सकते हैं. ऐसा ही एक योगासन है धनुरासन (Dhanurasana). यह एक शक्तिशाली योगासन है, जो शारीरिक सेहत बनाने के साथ ही कमर, पीठ, गर्दन आदि के दर्द को भी कम करता है. जानते हैं भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, धनुरासन के फायदों के बारे में…

धनुरासन करने के फायदे (Dhanurasana ke fayde)

-धनुरासन का नाम संस्कृत शब्द ‘धनुर’ यानी ‘धनुष’ से लिया गया है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस आसन को करते समय आपके शरीर की बनावट घनुष समान नजर आती. शरीर धनुष की तरह झुकता है. ये आसन कोर मांसपेशियों को मजबूत करता है. लचीलापन बढ़ाता है.

-आयुष मंत्रालय के अनुसार, धनुरासन पाचन तंत्र को मजबूत करता है. आप कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो धनुरासन करें. ये अधिवृक्क और थायरॉइड ग्रंथियों के लिए भी लाभकारी है.

– यह उन ग्रंथियों के कार्य को बेहतर करता है, जो हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं. शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है. तनाव और थकान कम होता है. तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है.

-धनुरासन रीढ़ को लचीला बनाता है. यह मांसपेशियों को खींचकर तनाव दूर करता है. यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक संतुलन भी प्रदान करता है. अगर रीढ़ या पेट से संबंधित कोई समस्या है, तो योग ट्रेनर से सलाह लेकर ही इसका अभ्यास करें.

धनुरासन करने की विधि
आयुष मंत्रालय के अनुसार, इसे करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं. अपने पैरों को एक साथ और हाथों को शरीर के बगल में रखें. सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ें. एड़ियों को हाथों से पकड़ें. अब सांस लेते हुए जांघों, सिर और छाती को पेट के निचले हिस्से पर केंद्रित करते हुए जितना संभव हो ऊपर उठाएं. इस स्थिति में 10-20 सेकंड तक रहें. अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं. अभ्यास के अंत में मकरासन (मगरमच्छ मुद्रा) में विश्राम करें.

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