Dasani Story: कोका-कोला ने कैसे ‘नल का पानी’ बेचकर बना लिया करोड़ों का बिजनेस, UK वालों ने खदेड़ा

अगर आप 20 रुपये देकर एक लीटर बोतलबंद पानी खरीदकर पीते हैं तो कतई ये नहीं चाहते कि पानी किसी नल से भरा गया हो. आप 20 रुपये इसलिए देते हैं कि पानी पूरी तरह शुद्ध और मिनरल-युक्त हो. अगर नल का ही पानी पीना है तो फिर इतना पैसा क्यों दें? यही सवाल उठा था, जब कोका-कोला ने अपने पानी के ब्रांड दासानी (Dasani) को इंग्लैंड के बाजार में उतारा था. हल्ला मच गया और कोका-कोला को मार्केट छोड़कर भागना पड़ा. लेकिन एक सत्य ये भी है कि वही पानी अमेरिका में आज भी नंबर 1 ब्रांड है. दासानी की कहानी दरअसल ‘प्योरिटी बनाम ब्रांडिंग’ की है. गारंटी है कि पूरी कहानी पढ़ेंगे तो आप 4 लोगों को सुनाएंगे.

कोका-कोला ने 1999 में अपने बोतलबंद पानी का ब्रांड दासानी लॉन्च किया. क्यों? क्योंकि उस समय लोग शुगर वाले ड्रिंक्स से हटकर कुछ हेल्दी विकल्प ढूंढ रहे थे, और शुद्ध, मिनरल-युक्त पानी से बेहतर विकल्प भला क्या हो सकता था?

पेप्सीको (PepsiCo) की एक्वाफिना (Aquafina), नेस्ले की पोलैंड स्प्रिंग (Poland Spring), और फ्रेंच ब्रांड इविएन (Evian) जैसे दिग्गज पानी के ब्रांड्स पहले से ही बाजार में थे. इनसे मुकाबला करने के लिए कोका-कोला ने एक अलग रास्ता अख्तियार किया.

नेचुरल झरना vs नल का पानी

बाजार में जितनी भी कंपनियां पहले से थीं, वे सब प्राकृतिक झरनों से पानी लाने का दावा कर रही थीं, मगर कोका-कोला ने साधारण नल के पानी को आरओ (Reverse Osmosis) टेक्नोलॉजी से शुद्ध किया और उसमें मिनरल डाल दिए, जैसे मैग्निशियम सल्फेट, पोटाशियम क्लोराइज, सोडियम क्लोराइड. इन सबको साधारण आरओ वाले पानी में मिलाकर एक जैसा टेस्ट देने की कोशिश की.

कोका-कोला ने अपने ब्रांड का नाम रखा दासानी (Dasani). इस नाम का कोई खास मतलब तो नहीं था, लेकिन प्योरिटी और फ्रेशनेस दर्शाने के लिए कंपनी को यह नाम सही लगा. कोका-कोला ने इसे साफ-सुथरा, हाई-क्वालिटी और एक लाइफस्टाइल प्रोडक्ट की तरह पेश किया.

ब्रांडिंग पर दिल खोलकर खर्च

कुल मिलाकर, कोका-कोला ने ब्रांडिंग में पूरा दम लगाया. बोतल का डिजाइन मॉडर्न था. विज्ञापनों में इसे शुद्ध और ताजगी से भरपूर दिखाया गया. लोगों को यह बताया गया कि यह पानी खास तकनीक से शुद्ध किया गया है और इसमें शरीर के लिए उपयोगी मिनरल्स भी मिलाए गए हैं. इस तरह एक आम चीज को ब्रांड बना दिया गया और अच्छे-खासे पैसे में बेचा जाने लगा.

अमेरिका में लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया. यह भी उन बड़े ब्रांड्स की रेस में शामिल हो गया, जो पानी के बाजार पर छा जाना चाहते थे. कोका-कोला को लगा कि वह बाकी देशों में भी ऐसा ही कर पाएगा. इसलिए, उसने इंग्लैंड का रुख किया.

UK में नहीं चला दासानी का गेम

जब दासानी को यूके में लॉन्च किया गया, तो मीडिया ने पूरी जांच-पड़ताल के बाद उसकी हकीकत खोलकर रख दी. बड़े-बड़े अक्षरों में अखबार में हेडलाइन छपे –

महंगे दामों वाला नल का पानी

यूके के मीडिया ने इसकी जमकर खिल्ली उड़ाई और कहा कि यह पानी नल से निकला हुआ पानी है. हालात तब और बिगड़े जब कुछ बोतलों में ब्रोमेट नामक केमिकल मिला. इस केमिलक से कैंसर होने का खतरा हो सकता है. खतरा भांपते ही कोका-कोला ने 5 लाख बोतलों को वापस मंगाया और यूके से दासानी को पूरी तरह हटा दिया.

इस घटना के बाद लोगों में ब्रांड को लेकर शंका बढ़ गई. अमेरिका में जहां दासानी अब भी बिकता है, वहीं कई लोग इसके स्वाद को ‘अजीब’, ‘नमकीन’ या ‘धातु जैसा’ बताते हैं. इसका कारण है पानी में डाले गए मिनरल्स. कुछ लोग इसे पसंद करते हैं, कुछ नहीं. सोशल मीडिया पर लोग अक्सर कहते हैं- “दासानी सिर्फ महंगा नल का पानी है.”

अमेरिका में आज भी बिकता है पानी

तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद दासानी आज भी अमेरिका में बिक रहा है. कंपनी ने इसमें कुछ बदलाव किए जैसे फ्लेवर्ड वाटर, स्पार्कलिंग वर्ज़न, और कीमत को आम लोगों की पहुंच में रखना. वहीं यूके जैसे देशों में जहां इसे लेकर बुरा अनुभव रहा, वहां कंपनी ने दोबारा कदम नहीं रखा.

दासानी की कहानी एक बड़ा सबक देती है. कोई भी सामान्य चीज़ अगर सही ब्रांडिंग के साथ बेची जाए, तो वह लोगों की जरूरत बन सकती है. लेकिन अगर उसमें पारदर्शिता नहीं होगी या लोगों को भ्रमित किया जाएगा, तो भरोसा जल्दी टूट जाता है. कोका-कोला ने जहां एक ओर ब्रांडिंग की ताकत दिखाई, वहीं दूसरी ओर यह भी सीखा कि हर बाजार में एक जैसी चाल नहीं चलती. लोगों की सोच बदलती है और आज के जमाने में सच्चाई छिपाना आसान नहीं है.

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *