न चल सका अपना डॉग… तो बना दी उम्मीद की चक्की, व्हीलचेयर जिसने हजारों को ज़िंदगी दी

Last Updated:

Dog Wheelchair: अपाहिज डॉग की मदद न कर पाने का अफसोस बना प्रेरणा. एक युवक ने बनाई डॉग व्हीलचेयर, अब तक हजारों पैरालाइज्ड जानवरों को चलने में मिली राहत.

भोपाल. आजकल लोग अपने पालतू कुत्ते या जानवरों को अपाहिज या विकलांग होने पर सड़क पर छोड़ देते हैं. ये जानवर सड़कों पर दर-दर की ठोकर खाते नजर आते हैं. लेकिन भोपाल में एक शख्स हैं जो अपाहिज या विकलांग जानवरों के लिए मसीहा की तरह काम कर रहे हैं.

उत्कर्ष गरे का सफर

बैरसिया रोड करोंद क्षेत्र में रहने वाले उत्कर्ष गरे हादसे में अपंग हुए और पैरालाइज्ड डॉग्स के लिए व्हीलचेयर बनाते हैं. उत्कर्ष ने बताया कि उनकी यात्रा की शुरुआत 2016 में हुई, जब उनके घर पर उनका पालतू कुत्ता हैप्पी आया. कुछ महीने बाद हैप्पी के पैरों ने बीमारी के चलते काम करना बंद कर दिया. किसी ने बताया कि विदेश में पालतू जानवरों के लिए व्हीलचेयर मिलती है, लेकिन इंडिया में नहीं. जो मिल भी रही थी उसकी कीमत बहुत ज्यादा थी. ऐसे में उत्कर्ष ने यूट्यूब की मदद से खुद ही व्हीलचेयर तैयार कर ली. हालांकि कुछ महीनों बाद ही हैप्पी की मौत हो गई.

व्हीलचेयर बनाने का उद्देश्य

उत्कर्ष के दिमाग में ख्याल आया कि उनकी तरह ही कई पेट पैरंट होंगे, जिन्हें इस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता होगा. कई लोग कुत्ते-बिल्ली जैसे जानवरों को विकलांग होने पर सड़क पर छोड़ देते हैं. उन्होंने सोचा कि वह कम दाम में व्हीलचेयर बनाएंगे. धीरे-धीरे डॉक्टर की मदद से नई डिजाइन के साथ उन्होंने 10 हजार से ज्यादा व्हीलचेयर बना लीं और देश-विदेश में लोगों तक पहुंचाईं. अब उन्होंने छोटे जानवरों के लिए भी व्हीलचेयर बनाना शुरू किया है.

हैप्पी कार्ड का नाम और उद्देश्य

उत्कर्ष ने अपनी कंपनी का नाम अपने कुत्ते हैप्पी के नाम पर ‘हैप्पी कार्ड’ रखा. ‘हैप्पी कार्ड है तो संभव है’ टैगलाइन के जरिए वह लोगों के परिवार तक पालतू जानवरों की मदद कर खुशियां बिखेर रहे हैं. उत्कर्ष को 2020 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से भी नवाजा जा चुका है और 2023 में पद्मश्री के लिए नामांकित किया गया.

व्हीलचेयर की खासियत

उत्कर्ष द्वारा बनाई गई व्हीलचेयर डॉग्स को चलने-फिरने में मदद करती है. वह इसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार से बेहद कम दाम में बेचते हैं. कार्बन फाइबर और एल्युमिनियम से बनी यह कार्ट बेहद हल्की, मजबूत और टिकाऊ होती है. इसके जरिए उत्कर्ष ने अब तक 10 हजार से भी अधिक डॉग्स को नया जीवन दिया है.

खास ऑफर और समाज सेवा

उत्कर्ष ने बताया कि 2026 में हैप्पी कार्ड को 10 साल पूरे हो जाएंगे. उस दौरान हम हैप्पी फाउंडेशन के तहत सिर्फ ₹5 में जरूरतमंद जानवरों के लिए व्हीलचेयर मुहैया कराएंगे. आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को भी इतनी ही राशि में व्हीलचेयर दी जाएगी. उत्कर्ष ने हाल ही में ऑर्गन डोनेशन डे पर अपनी आंखों और शरीर के सभी पार्ट्स को डोनेट कर दिया है. साथ ही भोपाल की पहली प्राइवेट सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर इंस्टॉल करवा चुके हैं.

homemadhya-pradesh

न चल सका अपना डॉग… तो बना दी उम्मीद की चक्की, व्हीलचेयर ने हजारों को दी जिंदगी

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *