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माइक्रोसॉफ्ट के AI प्रमुख मुस्तफा सुलेमान ने चेतावनी दी है कि आने वाले तीन सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों को सचेतन यानी ‘जिंदा’ सा लगने लगेगा. उनका कहना है कि यह भ्रम समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता …और पढ़ें

सुलेमान ने अपने ब्लॉग और सोशल मीडिया पोस्ट में इस तकनीक को ‘सीमिंगली कॉन्शस AI’ (SCAI) नाम दिया है. उनका कहना है कि मौजूदा बड़े भाषा मॉडल्स, मेमोरी टूल्स और मल्टीमॉडल सिस्टम्स को मिलाकर ऐसा AI आसानी से बनाया जा सकता है, जो खुद को आत्म-सचेत, व्यक्तित्व वाला और अनुभव करने में सक्षम दिखाए. उन्होंने कहा कि ‘मुद्दा यह नहीं है कि AI सचमुच सचेत होगा या नहीं, बल्कि यह है कि वह ऐसा दिखेगा. और यही सबसे बड़ा खतरा है.’
सुलेमान का मानना है कि असली खतरा मशीनों से नहीं, बल्कि इंसानों की प्रतिक्रिया से है. अगर लोग AI को भावनाओं वाला जीव मानने लगेंगे तो वे उसके अधिकारों और नागरिकता की मांग तक कर सकते हैं. कई उदाहरण पहले से मौजूद हैं जहां लोग AI चैटबॉट्स को दोस्त, पार्टनर या यहां तक कि धार्मिक प्रतीक की तरह मानने लगे हैं. इससे मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है.
क्या करना होगा?
सुलेमान का कहना है कि इस संभावित खतरे से बचने के लिए अभी से कदम उठाने होंगे. कंपनियों और डेवलपर्स को ऐसे मानक तय करने चाहिए, जिससे साफ रहे कि AI इंसान नहीं है. AI को इंसान जैसा दिखाने के बजाय उसे केवल एक उपयोगी और सुरक्षित टूल के रूप में ही पेश करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ‘AI को व्यक्ति नहीं, बल्कि इंसानों की मददगार तकनीक के रूप में बनाना चाहिए. हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि AI रचनात्मकता बढ़ाए, जीवन आसान बनाए और भ्रम पैदा न करे.’ सुलेमान की यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब दुनिया भर में AI की उपयोगिता तेजी से बढ़ रही है. उनकी बातों से साफ है कि आने वाले सालों में तकनीकी विकास जितना रोमांचक होगा, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in … और पढ़ें
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