श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के 20वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2025 की पांचवीं संध्या में विविध कलाओं का संगम देखने को मिला। त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के सभागृह में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में कोलकाता की अद्रिजा बसु ने शास्त्रीय
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कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में अद्रिजा बासु ने ऋतु कालीन राग गौड मल्हार में विलम्बित तीनताल पर आधारित बंदिश प्रस्तुत की। इसके बाद उन्होंने द्रुत तीन ताल में बंदिश व तराना पेश किया। उनकी प्रस्तुति का समापन भगवान शिव की प्रार्थना ‘तिलक गंगा जटा झुट ब्याल कर थारा त्रिशूल रुद्राक्ष राजे’ से हुआ। तबला पर तल्लीन त्रिवेदी और हारमोनियम पर रोहित परिहार ने संगत की।
दूसरी प्रस्तुति में गोवहाटी के शुभांकर हजारिका ने सितार वादन के माध्यम से तीन ताल में राग चारुकेशी में आलाप, जोड़ और झाला प्रस्तुत किए। इस दौरान तबला पर देवव्रत गुप्ता ने संगत की।
कुचिपुड़ी भजन ‘आजाए श्याम मोहना’ की प्रस्तुति
कार्यक्रम की अंतिम और तीसरी प्रस्तुति पद्मश्री गुरु जयराम राव और उनके समूह द्वारा कुचीपुड़ी नृत्य की रही। उन्होंने विष्णु स्तुति और दुर्गा स्तुति महिषासुर मर्दिनी के प्रतिष्ठित प्रसंग को शक्तिशाली अभिनय के साथ प्रस्तुत किया। इसके बाद कुचिपुड़ी भजन ‘आजाए श्याम मोहना’ की प्रस्तुति दी गई।
श्रावण महोत्सव 2025 की पांचवीं संध्या में विविध कलाओं का संगम देखने को मिला।
कुचिपुड़ी युगल गीत ‘अर्धनारी’ की प्रस्तुति
कार्यक्रम में द्रौपदी वस्त्रापहरण के प्रसंग को संचारी भाव के साथ प्रस्तुत किया गया। इसमें कृष्ण द्वारा असहाय अवस्था में द्रौपदी की रक्षा के भाव का वर्णन था। अंत में कुचिपुड़ी युगल गीत ‘अर्धनारी’ की गहन प्रस्तुति दी गई।
पद्मश्री गुरु जयराम राव के साथ टी. रेड्डी लक्ष्मी, विदुषी, वैष्णवी, मेघना और संघिता ने मंच पर प्रदर्शन किया। नट्टुवंगम पर स्वयं पद्मश्री गुरु जयराम राव, गायन स्वर पर जयन कोटाक्कल, मृदंगम पर विग्नेश जयरामन और वायलिन पर सौम्या कन्नन ने संगत की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंधक सतीश मेहता ने दीप प्रज्वलन किया। कार्यक्रम का संचालन माधव तिवारी ने किया।

कार्यक्रम में कोलकाता की अद्रिजा बसु ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी।
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