पता नहीं था कि जिसे मैं दवा (कफ सिरप) समझकर अपने जिगर के टुकड़े को पिला रही हूं, वह हकीकत में जहर है। 9 महीने जिसे कोख में पाला वह दवा पिलाने के 20 मिनट बाद ही मुझे छोड़कर चला गया। उसके बिना जीने की इच्छा नहीं है, सोती हूं तो नींद नहीं आती। बस उसका चेह
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बिस्तर पर हाथ फेरती हूं तो याद आता है कि अब मेरा बेटू मुझसे बहुत दूर चला गया है। मेरा तो जैसे सबकुछ खत्म सा हो गया है। मैं जिस तरह अपने बच्चे के लिए तड़प रही हूं, कोई दूसरी मां को नहीं तड़पना पड़े। इसलिए उन गुनहगारों को कड़ी सजा मिले।
यह दर्द है, उस मां का जिसने अपने साढ़े 4 महीने के बेटे को खो दिया है। घटना मऊगंज जिले के शाहपुर क्षेत्र के खटखरी गांव की है। पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जांच के लिए बच्चे के शव को कब्र से बाहर निकलवाना पड़ा है। परिवार का आरोप है कि कफ सिरप पिलाने के बाद मासूम आधे घंटे भी जिंदा नहीं रहा। वे कहते हैं- सरकार, कफ सिरप, मेडिकल स्टोर.. दोष किसे दूं, यह समझ नहीं आ रहा है।
मध्य प्रदेश में कफ सिरप से 26 मौतों के बाद मऊगंज में ऐसा ही मामला सामने आया है। इसकी पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर की टीम रीवा से 75 किमी दूर गांव पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट..
कप सिरप पीने के बाद 4 महीने के बेटे की मौत हो गई थी। मृत बेटे को गोद में लिए हुए परिजन।
विक्स लेने गई थी, मेडिकल स्टोर वाले ने सिरप पिला दी टीम गांव पहुंची और बच्चे के बारे में जानकारी ली। लोग हमें एक खपरैल वाले घर तक हमें ले गए। कुछ लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे थे। कोने में एक महिला गुमसुम बैठी थी। वह कोई और नहीं मासूम की मां श्वेता यादव पति दुर्गेश यादव थी। पूरा परिवार गमजदा था।
पूछने पर श्वेता बोली- 24 अक्टूबर को बेटे धर्मेंद्र को हल्की सर्दी-खांसी हो रही थी। घर से 15 से 20 मिनट की दूरी पर खटखरी बाजार है। मैं बच्चे को लेकर बाजार पहुंची। यहां विनोद मेडिकल स्टोर पर विक्स लेने गई। मैंने कहा- भैया बच्चे को सर्दी-खांसी हो रही है। इस पर मेडिकल स्टोर संचालक ने बच्चे को देखा और कहा- इसे गंभीर समस्या है। उसने तत्काल तीन सिरप दे दिए।
उसने तत्काल आराम मिलने की बात कहते हुए बिना किसी डॉक्टर की पर्ची और जांच के बच्चे को अपनी दुकान में रखी सिरप पिला दी। मुझसे कहा- वह ठीक हो जाएगा, इसके बाद मैं अपने घर आ गई। घर आते-आते बच्चा सुस्त पड़ गया। उसकी सांसें बंद हो चुकी थी। मैंने परिवार को यह बात बताई। सभी चौंक गए, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। लोकल में ही एक डॉक्टर को बताया। मेरी गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया था। मेरी और परिवार के दूसरे सदस्यों की हालत देखकर घरवाले बच्चे के शव को लेकर अंतिम क्रिया के लिए चले गए।

बेटे को खोने के बाद मां श्वेता भी गम में डूबी हुई है।
मौत के 5 दिन बाद कब्र से खोदकर निकाला गया बच्चा परिवार ने बताया कि हम लोग बहुत गरीब परिवार से हैं। हमने सिरप से बच्चे की मौत की बात कही, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। दो-तीन दिन बाद इस बात की चर्चा शुरू हुई। 29 अक्टूबर को एसडीएम के आदेश पर मौत के कारणों का पता लगाने के लिए शव को कब्र से बाहर निकला गया।
बच्चे के सिर और हाथ का कुछ हिस्सा गल चुका था। चींटियां भी लग चुकी थीं। यह देखकर परिवार का दर्द फिर सामने आया गया। मां श्वेता की तो तबीयत बिगड़ गई। जैसे-तैसे शव को समेट कर पीएम के लिए ले जाया गया।। शव को पहले हनुमना और फिर संजय गांधी अस्पताल रीवा भेजा गया। फोरेंसिक जांच के लिए श्याम शाह मेडिकल कॉलेज भी भेजा गया, जहां पर विशेषज्ञों की टीम ने जांच की। 1 तारीख शव को वापस गांव लाया गया, जहां फिर से दफनाया गया।

मां बोली- मेडिकल वाले ने कहा था तुरंत ठीक होगा श्वेता का कहना है कि 9 जुलाई को नॉर्मल डिलीवरी से बच्चा हुआ था। वह जन्म से ही पूरी तरह स्वस्थ्य था। साढ़े 4 माह का हो गया था, लेकिन नहीं के बराबर बीमार हुआ होगा। सुबह-शाम सब उसका नाम लेकर पुकारा करते थे। क्या मालूम था कि जिसे दवा समझा, वह जहर है।
मेडिकल संचालक ने बोला कि दवा दे रहे हैं, तुरंत आराम हो जाएगा। पति परिवार पालने के लिए बाहर रहते हैं। बुजुर्ग ससुर पर ही घर का संभालने की जिम्मेदारी है। उस दिन भी उन्हीं के साथ मेडिकल स्टोर गई थी। उसने यह कहते हुए दावा दिया कि यह बेहद फायदेमंद दवाई है। मैं जिस तरह तड़प रही हूं और किसी दूसरी मां को न तड़पना पड़े। बस शासन-प्रशासन से यही कहना चाहती हूं। उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाएं।
दादा बोले- कब्र को देख कलेजा फट जाता है दादा दशरथ यादव कहते हैं- जिस उम्र में मुझे भगवान के पास जाना चाहिए, उस उम्र में अपने पोते की मौत को देखा है। अपने इन्हीं हाथों से जब उसे दफना रहा था तो कलेजा फट रहा था। हम बहुत गरीब लोग हैं। बेटा मुंबई में प्राइवेट कंपनी में काम करता है। बुजुर्ग हूं, पर परिवार पालने के लिए अब भी थोड़ी खेती है, जिसे संभालता हूं।
खेत जाते समय रास्ते में ही पोते की कब्र है। जब भी वहीं से निकलता हूं आंखें नम हो जाती हैं। 5 दिनों तक लगातार रोता रहा। सरकार, कफ सिरप, मेडिकल स्टोर किसे दोष दूं, बस यह समझकर सहन कर गया कि शायद मेरे और मेरे बच्चों के भाग्य में यही लिखा था। हम कम पढ़े-लिखे हैं। इन सब चीजों की ज्यादा जानकारी भी नहीं है।

पुलिस बोली- कफ सिरप देने वाला स्टोर संचालक गिरफ्तार थाना प्रभारी अजय खोब्रगड़े ने बताया कि स्टोर संचालक ने बिना चिकित्सकीय परीक्षण के बच्चे को सिरप पिला दी थी, जिससे बच्चे की मां की गोद में कुछ मिनटों में मौत हो गई। घटना से आहत परिजन बिना शिकायत दर्ज कराए ही गांव लौट गए थे। उन्होंने बच्चे का अंतिम संस्कार (दफना दिया था) कर दिया था। सूचना मिलते ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
20 सालों से बिना लाइसेंस स्टोर, इलाज भी कर रहा मेडिकल वाला सुखलाल प्रजापति और राजलाल यादव समेत ग्रामीणों ने बताया कि मेडिकल स्टोर संचालक 20 सालों से बिना लाइसेंस खटखरी बाजार में एक बड़ी बिल्डिंग में स्टोर संचालित करने के साथ ही इलाज कर रहा था। वह बुखार से लेकर मलेरिया और टाइफाइड तक सभी बीमारियों का इलाज करता था। इलेक्शन से लेकर बोतल तक लगाता था।
इसकी शुरुआत मिश्रीलाल गुप्ता ने किया था, उनकी मौत के बाद उनके दोनों बेटों ने इलाज करना शुरू कर दिया। वह कहता था कि मैं जिस तरह का इलाज कर सकता हूं वह बड़े-बड़े अस्पतालों के डॉक्टर भी नहीं कर पाते। वह केवल पैसे लूटने के चक्कर में रहते हैं।
उन्होंने बताया कि उस दिन बच्चे के दादा मिले थे। बताया कि मेडिकल वाले ने तीन तरह की कफ सिरप दी है। तीनों दवाओं को अलग-अलग समय पर पिलाने को कहा है। बच्चे की मौत के बाद ऐसी बात सामने आई कि तीनों लोकल किस्म की दवाइयां थीं। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम उसे जब्त करके ले गई है। लैब टेस्ट के लिए बताकर कफ सिरप की बोतलें भी लेकर गए हैं। उन्होंने बच्चे को न्याय दिलाने का आश्वासन भी दिया है।

जिस सिरप को दिया गया उसका कवर परिजनों ने दिखाया।
कब्र के पास मिला कफ सिरप का खोखा और ढक्कन परिवार और ग्रामीणों से बात करने के बाद भास्कर की टीम उस कब्र के पास भी पहुंची, जहां से बच्चे को पोस्टमॉर्टम के लिए निकालकर उसे फिर से दफनाया गया है। मौके पर अब भी बच्चे के कपड़े और बाकी अन्य चीजें पड़ी हुई थीं। कफ सिरप की सभी बोतलें स्वास्थ्य विभाग की टीम परिवार के पास से बरामद करके ले गई है, लेकिन सिरप का एक खोखा कब्र के पास भी पड़ा हुआ दिखाई दिया। दादा ने कहा- इसी में नापकर बच्चे को दवा देने का कहा था।
परिवार को नहीं मिली आर्थिक मदद ग्रामीणों का कहना है कि मौत का पता चलने के बाद दो बार प्रशासनिक टीम गांव आई और परिवार से मिली। कलेक्टर, एसडीएम से लेकर तहसीलदार तक इनमें शामिल हैं, लेकिन परिवार को एक रुपए की आर्थिक मदद नहीं मिली, जबकि उनकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। बेटे की मौत के बाद पिता भी मुंबई से वापस गांव आ गया है।

मौत के पांच दिन बाद प्रशासन ने कब्र से शव को निकाला है। ताकि जांच की जा सके।
स्वास्थ्य अधिकारी बोले- स्टोरी सील कर दिया सीएमएचओ संजीव शुक्ला का कहना है कि कफ सिरप से बच्चे की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई करते हुए स्टोर को सील कर दिया है। सैंपल भी कलेक्ट किए गए हैं। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया भी की गई है, जिसके बाद आगे की जांच की जा रही है।
रीवा और मऊगंज में लगातार मेडिकल स्टोर्स को सील किया जा रहा है और अमानक दवाओं को जब्त किया जा रहा है। किसी भी व्यक्ति को बिना लाइसेंस मेडिकल स्टोर संचालित करने का अधिकार नहीं है। अगर ऐसा पाया जाता है तो कार्यवाही की जाएगी। बिना चिकित्सीय परामर्श इलाज करने पर भी पाबंदी है। बच्चे की मौत को गंभीरता से लिया गया है।
भाजपा विधायक ने स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ CM को लिखा पत्र उधर, गुढ़ से भाजपा के वरिष्ठ विधायक नागेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य अधिकारी सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला के खिलाफ CM को पत्र लिखा है और CMHO पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने CM से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि स्वास्थ्य अधिकारी की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। उन्होंने दावा किया है कि स्वास्थ्य अधिकारी के संरक्षण में ही सभी तरह के अवैध और भ्रष्टाचार के काम हो रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों और मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

कलेक्टर कार्यालय और शाहपुर थाना।
एक स्टोर संचालक ने बताया था कि नकली दवाइयां बेचते हैं उधर, कुछ दिनों पहले ही शहर के सबसे बड़े अन्नपूर्णा मेडिकल स्टोर के संचालक ने हिडन कैमरे में यह बताया था कि वो और कई मेडिकल स्टोर्स संचालक नकली दवाइयां बेचते हैं। जो असली दवाई मार्केट में 300 रुपए में मिलती है, उसी की कॉपी, नकली या लोकल दवाई को वो मात्र 50 रुपए में दे देते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया था कि सरकारी डॉक्टर ही उस दवाई को लिखते हैं और सभी इस सिंडीकेट में मिले हुए हैं, जिसके बाद कार्यवाही करते हुए उस मेडिकल स्टोर को सील भी कर दिया गया था।

मध्यप्रदेश में 26 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो चुकी मध्य प्रदेश में जहरीला कफ सिरप पीने से अब तक 26 बच्चों की मौत हो चुकी है। जिसमें सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा जिले के बच्चे शामिल हैं। बच्चों की मौत की प्रारंभिक वजह किडनी फेल होना बताया जा रहा है, लेकिन ये केवल यहां तक सीमित नहीं थी। कफ सिरप में शामिल डायएथिलीन ग्लाइकॉल केमिकल ने बच्चों के दूसरे अंगों को भी धीरे-धीरे डैमेज किया था, जिसमें लिवर और फेफड़े भी शामिल हैं।
इसका सबसे भयावह पहलू ये है कि जहरीली दवा से बच्चों के ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया था। इस मामले में 3 बच्चों का पोस्टमॉर्टम हुआ है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इसकी रिपोर्ट को दबाए बैठा रहा। दवा का इस्तेमाल करने वाले अभी भी कई बच्चों का इलाज नागपुर के अस्पताल में चल रहा है।

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