कीचड़ और मिट्टी में खेलने वाले बच्चे ज्यादा हेल्दी, जानें क्यों होता है ऐसा

वहां के किंडरगार्टन डेकेयर सेंटर्स के गार्डन में बच्चे मिट्टी और पौधों के साथ खेलते नजर आते हैं. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक पूरे फिनलैंड में 43 डेकेयर सेंटर्स को करीब ₹8.3 करोड़ की राशि दी गई है. इसका उद्देश्य है बच्चों को मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों, जैसे बैक्टीरिया और फंगस के संपर्क में लाना. यह पहल मुख्य रूप से 3 से 5 साल की उम्र के बच्चों के लिए की जा रही है.

क्या है स्टडी में दावे

करीब दो साल की एक स्टडी में पाया गया कि मिट्टी और हरे-भरे गार्डन्स के संपर्क में रहने वाले बच्चों की स्किन, लार और मल में मौजूद सूक्ष्मजीवों में अहम बदलाव देखे गए.

डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. योगेश कल्याणपाद, जो एस्थेटिक मेडिसिन में फेलो रह चुके हैं, बताते हैं कि यह प्रभाव छोटे बच्चों में ज्यादा देखा जाता है. उनके अनुसार, हाइजिन हाइपोथेसिस कहती है कि अत्यधिक स्वच्छ माहौल में पलने वाले बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे एलर्जी जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.

डॉ. योगेश का कहना है कि अगर बच्चों को शुरुआती सालों में मिट्टी और बैक्टीरिया के संपर्क में लाया जाए, तो उनकी स्किन अधिक स्वस्थ रहती है. कई जगहों में बच्चों को मिट्टी से दूर रखा जाता है. इसलिए शहरों में एलर्जी जैसे मामले देखने को ज्यादा मिल रहे हैं.

स्टडी में पाया गया कि ग्रीन किंडरगार्टन में खेलने वाले बच्चों की स्किन पर बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया कम थे और उनकी इम्यून सिस्टम अधिक मजबूत था. उनकी आंतों के माइक्रोबायोटा में क्लोस्ट्रीडियम बैक्टीरिया का स्तर भी कम पाया गया, जो आंत की सूजन, कोलाइटिस, सेप्सिस और बोटुलिज़्म जैसी बीमारियों से जुड़ा होता है.

तेजी से होता है इम्यून सिस्टम मजबूत

सिर्फ 28 दिनों में उनके ब्लड में “T Regulatory Cells” (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं) की संख्या बढ़ी हुई पाई गई. ये सेल शरीर को ऑटोइम्यून बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं. इन “रीवाइल्ड” डेकेयर सेंटर्स की तुलना उन केंद्रों से की गई, जहां जमीन पर सिर्फ डामर, रेत, ग्रेवल या प्लास्टिक की मैट बिछी हुई थीं.

कई वैज्ञानिक मानते हैं कि आज एलर्जी बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है कि लोग बचपन में पर्यावरण में पाए जाने वाले प्राकृतिक सूक्ष्मजीवों के संपर्क में नहीं आते. “ओल्ड फ्रेंड्स हाइपोथेसिस” के अनुसार, मनुष्य और सूक्ष्मजीव (हवा, पौधों और मिट्टी में) साथ-साथ विकसित हुए हैं, और शरीर इन सूक्ष्मजीवों के साथ संपर्क में रहकर स्वस्थ रहता है.

इन बातों का रखें ध्यान

फिनलैंड में इन तरह के गार्डन तैयार किये गए हैं जो साफ सुथरे हैं. इनमें गंदगी नहीं है और बाहरी कूड़ा नहीं है. लेकिन पब्लिक पार्क को लेकर सवाल सबके मन में है.

डॉ. योगेश के मुताबिक, भारत जैसे देश में स्वच्छता एक अहम मुद्दा है. कई पार्क और मैदानों में सफाई की कमी होती है, जिससे मिट्टी में माइक्रोप्लास्टिक और हानिकारक वॉर्म्स पनप सकते हैं, जो बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं. इसलिए, बच्चों को मिट्टी में खेलने देना फायदेमंद तो है, लेकिन यह किसी साफ-सुथरे और सुरक्षित स्थान पर होना चाहिए.

फिनलैंड में नर्सरी में मिट्टी और प्रकृति को लाने की यह पहल अब तेजी से फैल रही है. वहां के एक डेकेयर सेंटर को 30,000 यूरो (करीब 30 लाख रुपये) के सरकारी अनुदान से फिर से डिजाइन किया गया है. इसका उद्देश्य बच्चों को प्रकृति से जोड़ना और उनकी सेहत को प्राकृतिक तरीके से बेहतर बनाना है.

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