Chikankari vs Lucknowi: कहीं आप भी तो चिकनकारी को नहीं समझ बैठे लखनवी! इस तरह समझें दोनों के अंतर को

Chikankari vs Lucknowi: बॉलीवुड में एक बार फिर लखनवी और चिकनकारी एंब्रॉयडरी(embroidery ) का ट्रेंड ज़ोरों पर है. फिर चाहे वो आलिया भट्ट का एयरपोर्ट लुक हो, करीना कपूर का कैजुअल इंडियन अटायर या माधुरी दीक्षित का कम्फर्टेबल लुक. दरअसल, दरअसल, जब भी बात होती है ग्रेसफुल इंडियन वियर(Indian Wear) की, तो सबसे पहले ज़हन में आता है लखनऊ और वहां की चिकनकारी. लेकिन एक कंफ्यूजन जो हमेशा बना रहता है वो ये है कि “चिकनकारी और लखनवी में फर्क क्या है?” बहुत से लोग इन दोनों को एक ही मान बैठते हैं, जबकि फैशन(Fashion) की दुनिया में इन दोनों के बीच एक शानदार फर्क है, जो जानना हर फैशन लवर के लिए ज़रूरी है.

चिकनकारी: कढ़ाई नहीं, आर्ट

चिकनकारी एक प्राचीन हैंड एम्ब्रॉयडरी फॉर्म है, जिसकी जड़ें लखनऊ में हैं. सफेद धागे से पेस्टल फैब्रिक पर की गई बेहद नाजुक कढ़ाई को चिकनकारी कहते हैं. इसमें फंदा, जाली, बखिया, मुर्री जैसे क्लासिक स्टिच यूज़ किए जाते हैं जो इसे यूनिक बनाते हैं. यह पूरी तरह हैंडमेड होता है, इसलिए हर डिज़ाइन एक तरह से वन ऑफ अ काइंड  होता है. कुर्ता, टॉप, दुपट्टा, यहां तक कि साड़ी तक को चिकनकारी से इतना एलीगेंट बना दिया जाता है कि आप चाह कर भी नजरें हटा नहीं पाएंगे.

क्‍या है इतिहास
माना जाता है कि चिकनकारी की शुरुआत मुगलों के ज़माने में हुई थी. कहा जाता है कि बेगम नूरजहां को ये कढ़ाई इतनी पसंद थी कि उन्होंने इसे लखनऊ में प्रमोट किया और यहीं से यह आर्ट पूरे देश में फेमस हो गई. मुगल दरबार से लेकर आज की बुटीक तक, चिकनकारी की डिमांड कभी कम नहीं हुई.

लखनवी: स्टाइल की पहचान
अब बात करते हैं “लखनवी” की. ये कोई कढ़ाई की टेक्निक नहीं बल्कि एक स्टाइल स्टेटमेंट है. जब हम “लखनवी कुर्ता” या “लखनवी फैशन” की बात करते हैं, तो इसका मतलब होता है हल्के फैब्रिक में ढीला-ढाला स्टाइल, सॉफ्ट पेस्टल कलर्स और रिच एथनिक टच, यानी एकदम नवाबी लुक. इसमें चिकनकारी हो सकती है, पर जरूरी नहीं कि हो ही.

फर्क जान लें!
कई लोग सोचते हैं कि चिकनकारी मतलब लखनवी और लखनवी मतलब चिकनकारी. जबकि सच्चाई ये है. चिकनकारी एक एम्ब्रॉयडरी आर्ट फॉर्म है जबकि लखनवी एक ओवरऑल फैशन स्टाइल जो लखनऊ से इंस्पायर्ड है. मतलब, चिकनकारी तो एक क्राफ्ट है, जबकि लखनवी एक लुक है जिसमें चिकनकारी भी शामिल हो सकता है. जैसे हर साड़ी बनारसी नहीं होती, वैसे ही हर कुर्ता लखनवी नहीं होता!

शॉपिंग से पहले ये फर्क जान लें–
जब भी अगली बार चिकनकारी कुर्ता या लखनवी सूट खरीदें, तो ध्यान से देखें कि आप आर्ट ले रहे हैं या लुक. क्यूंकि चिकनकारी जहां आपको ट्रेडिशन से जोड़ता है वहीं लखनवी स्टाइल  आपको रॉयल फील देता है. तो अब जब भी चिकनकारी या लखनवी पहनें, उसके पीछे की कहानी भी गर्व से बताएं. क्योंकि सही फैशन वो ही होता है जो सिर्फ दिखे नहीं, बल्कि कुछ कहे भी!

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