Cement Companies Earnings: महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर सरकार के बढ़ते खर्च की वजह से चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में प्रमुख सीमेंट कंपनियों की बिक्री में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. इसी दौरान कंपनियों की आमदनी में भी इज़ाफ़ा हुआ. सीमेंट निर्माताओं को उम्मीद है कि पूरे वित्त वर्ष में यह रुझान जारी रहेगा. कम उत्पादन लागत—जैसे कोयला और पेटकोक की कीमतों में गिरावट और स्थिर डीज़ल कीमत—ने कंपनियों की कर-पूर्व आय (EBITDA) सुधारने में मदद की है. यह राहत ऐसे समय आई है जब सीमेंट कंपनियों को 2024-25 में कठिन दौर का सामना करना पड़ा था.
सरकार ने बढ़ाया ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च
अल्ट्राटेक सीमेंट की बिक्री जून तिमाही में 9.7 प्रतिशत बढ़कर 3.68 करोड़ टन रही, जिसमें इंडिया सीमेंट्स और केसोरम इंडस्ट्रीज के अधिग्रहण का योगदान रहा. अदाणी समूह की अंबुजा सीमेंट्स ने भी अब तक की अपनी सबसे अधिक सीमेंट बिक्री 1.84 करोड़ टन और रिकॉर्ड 10,000 करोड़ रुपये का तिमाही राजस्व दर्ज किया. बिड़ला कॉरपोरेशन की बिक्री 9.36 प्रतिशत बढ़कर 47.9 लाख टन, नुवोको विस्टास कॉर्प की बिक्री 51 लाख टन, और जेके लक्ष्मी सीमेंट की बिक्री मात्रा लगभग 10 प्रतिशत बढ़ गई.
हालांकि, कुछ कंपनियों को गिरावट का सामना करना पड़ा. श्री सीमेंट की बिक्री उत्तरी क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव के कारण प्रभावित हुई. डालमिया भारत की बिक्री मात्रा 5.8 प्रतिशत घटकर 74 लाख टन रही. वहीं, केरल में समय से पहले आए मानसून की वजह से रामको सीमेंट्स की बिक्री में 7 प्रतिशत की गिरावट आई.
कंपिनयों का क्या कहना है?
कंपनियों ने अपने नतीजों पर टिप्पणी करते हुए बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई. अंबुजा सीमेंट के सीईओ विनोद बहेटी ने कहा कि यह वृद्धि मूल्य पर ध्यान, मजबूत बिक्री मात्रा, कीमतों में सुधार और चैनल जुड़ाव जैसे कारकों पर आधारित है. वहीं, अल्ट्राटेक के सीएफओ अतुल डागा ने बताया कि सरकारी पूंजीगत व्यय कार्यक्रम ने अप्रैल-मई, 2024 के निचले आधार पर तिमाही के पहले दो महीनों में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है. उन्होंने कहा कि बिहार, आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का प्रदर्शन सालाना आधार पर बेहतर रहा है.
सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी उद्योग को सहारा दिया है. जून 2025 में अखिल भारतीय औसत सीमेंट की कीमत सालाना आधार पर 7 प्रतिशत बढ़कर 355 रुपये प्रति 50 किलो बैग हो गई. इक्रा की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में मजबूत मांग और कंपनियों द्वारा की गई कीमत बढ़ोतरी के चलते दाम बढ़कर 360 रुपये प्रति बैग हो गए. जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में औसत कीमतें 7 प्रतिशत घटकर 340 रुपये प्रति बैग रह गई थीं.
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