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How Fast do Tsunami Waves Travel: गहरे समुद्र में सुनामी की गति बहुत ज्यादा होती है. लगभग जेट विमान जितनी. इतनी तेज गति से लहरें कुछ घंटों में पूरे महासागर को पार कर सकती हैं.
हाइलाइट्स
- सुनामी की लहरें जेट विमान जितनी तेज गति से चलती हैं
- सुनामी की गति समुद्र की गहराई के साथ बदलती रहती है
- उथले पानी में धीमी लेकिन ऊंची और विनाशकारी होती हैं लहरें
सुनामी क्या है?
सुनामी पानी के भीतर आए भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र के नीचे चट्टान खिसकने या और भी दुर्लभ मामलों में अंतरिक्ष से पानी में गिरे किसी एस्टोरायड या उल्कापिंड के कारण पैदा हो सकती है. जब किसी बड़े भूकंप का केंद्र समुद्र तट से दूर होता है तो कभी-कभी समुद्र तल डिस्प्लेस (विस्थापित) हो जाता है. जब किसी टेक्टोनिक प्लेट की सीमा पर स्थित समुद्र तल अचानक ऊपर या नीचे उठता है. तो इससे ऊपर का पानी विस्थापित हो जाता है और लहरें उठती हैं जो सुनामी का कारण बनती हैं.
ज्यादातर सुनामी पानी के अंदर आने वाले भूकंपों के कारण आती हैं, लेकिन सभी पानी के अंदर आने वाले भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते. सुनामी आने के लिए रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.75 से ज्यादा होनी चाहिए. सुनामी समुद्री लहरों की एक श्रृंखला है जो पानी के बड़े-बड़े उभारों को जमीन पर लाती है. जो कभी-कभी 100 फीट (30.5 मीटर) से भी ज्यादा ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं. पानी की ये दीवारें जब किनारे से टकराती हैं, तो बड़े विनाश का कारण बन सकती हैं.
जब पानी का एक बड़ा हिस्सा विस्थापित हो जाता है, तो पैदा हुई लहर बहुत लंबी होती हैं. ये सैकड़ों मील लंबी हो सकती हैं, लेकिन बहुत ऊंची नहीं. खासकर गहरे समुद्र में यह लगभग तीन फीट ही होती है. यह लहर समुद्र में चारों दिशाओं में फैलती है और अपने स्रोत से बहुत दूर तक प्रचंड गति से यात्रा करती है. खुले समुद्र में सुनामी 970 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा की रफ्तार से चल सकती है. यह गति किसी जेट विमान जितनी तेज है. एक सुनामी को पूरे महासागर को पार करने में बस कुछ ही घंटे लगते हैं. जैसे-जैसे सुनामी की ये लहरें तटरेखा के पास पहुंचती हैं और उथले पानी में प्रवेश करती हैं उनकी गति धीमी हो जाती है. उनकी ऊर्जा और ऊंचाई बढ़ने लगती है.
कैसे आता है भूकंप?
जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के विपरीत खिसकती हैं तो उनमें तनाव बढ़ता है और ऊर्जा जमा होने लगती है. यह खिंचाव लगातार बढ़ता रहता है जब तक कि प्लेटों के टूटने की सीमा पार नहीं हो जाती. एक बार जब यह सीमा पार हो जाती है, तो जमा हुई ऊर्जा अचानक छूटती है. यह ऊर्जा कई रूपों में बाहर निकलती है, जैसे:
फॉल्ट की सतह पर घर्षण से गर्मी: जहां प्लेटें खिसकती हैं, वहां गर्मी पैदा होती है.
चट्टानों का टूटना: प्लेटों के टूटने से चट्टानें भी टूटती हैं.
इन सब के परिणामस्वरूप भूकंप आता है.
ज्यादातर भूकंप प्लेट सीमाओं पर आते हैं, जहां टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं. हालांकि भूकंप प्लेट सीमाओं से दूर भी आ सकते हैं. भूकंप पृथ्वी की पपड़ी में अचानक ऊर्जा निकलने का नतीजा है, जिससे भूकंपीय तरंगें बनती हैं.
फॉल्टलाइन (भ्रंश रेखाएं): ये पृथ्वी की पपड़ी में दरारें होती हैं.
मैग्मा की हलचल: जहां पृथ्वी की पपड़ी के अंदर पिघला हुआ लावा (मैग्मा) बहुत ज्यादा चलता है.
ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र
प्रशांत महासागर को घेरने वाला 40,0000 किमी का विस्तार सुनामी के लिए सबसे अधिक संवेदनशील है. जबकि रिंग ऑफ फायर भूकंप के लिए सबसे संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. दुनिया के 90 प्रतिशत भूकंप और 80 प्रतिशत सबसे बड़े भूकंप रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आते हैं. लगभग 80 फीसदी सुनामी भी रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आती हैं.
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