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Burhanpur Pola Festival: बुरहानपुर के रास्तीपुरा स्थित हनुमान मंदिर में पोले के दिन 50 वर्षों से बैल दर्शन करने आते हैं, स्नान व सजावट के बाद तोरण तोड़ प्रतियोगिता और विशेष व्यंजन भी बनते हैं.
Burhanpur News: बुरहानपुर में एक ऐसा हनुमान मंदिर है, जहां साल में एक बार बैल दर्शन करने आते हैं. भक्तों के मंदिरों में दर्शन करने की कहानियां सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको हनुमानजी के प्राचीन मंदिर की अनोखी कहानी बताएंगे. इस मंदिर में साल में एक बार बैल दर्शन करने आते हैं. यह मंदिर बुरहानपुर के रास्तीपुरा क्षेत्र में स्थित है और यह परंपरा करीब 50 वर्षों से चली आ रही है.
मंदिर समिति के सुजीत पटेल और सुधाकर महाजन से ने बताया, यह हनुमानजी का बेहद प्राचीन मंदिर है. मान्यता है कि पोले के दिन बैल हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं. इसके बाद एक विशेष व्यंजन बनाया जाता है और उन्हें खिलाया जाता है. इस दिन बैलों से कोई काम नहीं करवाया जाता. यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है और हमारी तीसरी पीढ़ी इसे निभा रही है.
बैलों का उपवास
इस दिन हम सुबह ताप्ती नदी में बैलों को स्नान करवाते हैं, रंग-बिरंगे कपड़े पहनाते हैं और रस्सी के बने आभूषण पहनाकर उन्हें मेले में लेकर आते हैं. यहां बैल हनुमान जी के दर्शन करने के बाद अपना उपवास छोड़ते हैं.
इस दिन हम सुबह ताप्ती नदी में बैलों को स्नान करवाते हैं, रंग-बिरंगे कपड़े पहनाते हैं और रस्सी के बने आभूषण पहनाकर उन्हें मेले में लेकर आते हैं. यहां बैल हनुमान जी के दर्शन करने के बाद अपना उपवास छोड़ते हैं.
तोरण तोड़ने का आयोजन इस दिन
मेले में तोरण तोड़ने का आयोजन होता है. एक 12 से 15 फीट की ऊंचाई पर रस्सी बांधी जाती है जिसमें एक नारियल बंधा होता है, जिसे तोरण कहते हैं. यहां युवा बारी-बारी से ऊंचक कर इसे तोड़ने का प्रयास करते हैं. आज भी क्षेत्र के जय शिवा जाधव ने 12 फीट ऊंचाई पर बंधे नारियल को तोड़कर पोला जीता है. इस मेले में चाट, पकौड़ी, खेल और खिलौनों की दुकानें आकर्षण का केंद्र रही.
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